पटना: बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर केंद्रीय करों में भारी छूट मिलने का जदयू भ्रम फैला रहा है. विशेष राज्य के दर्जे से टैक्स में छूट का कोई संबंध नहीं है. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड इसके उदाहरण हैं, दोनों राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा तो मिला, लेकिन टैक्स में कोई रियायत नहीं मिली. उक्त बातें बुधवार को भाजपा विधान मंडल दल के नेता सुशील मोदी ने कहीं. उन्होंने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, भाजपा इसके पक्ष में है, लेकिन विशेष दर्जे के नाम पर सरकार और जदयू जिस तरह से भ्रम फैला रहे हैं, हम उसका विरोध करते हैं.
भाजपा यह लगातार मांग कर रही है कि बिहार को सिर्फ विशेष राज्य का दर्जा ही नहीं मिले, बल्कि विशेष पैकेज मिले. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले, यह सभी दलों का मुद्दा है.
आज यह एक दल का मुद्दा बन गया है. इस पर कांग्रेस से सौदेबाजी हो रही है. मोदी ने कहा कि पिछले हफ्ते भी उन्होंने इस बात से इनकार किया था कि विशेष राज्य का दर्जा मिलने से बिहार को केंद्र से चार हजार करोड़ का लाभ मिलेगा. मेरे तर्क का न सीएम ने आज तक खंडन किया है, न जदयू के किसी प्रवक्ता ने. मुख्यमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए. विशेष राज्य का दर्जा मिले राज्यों के कई उदाहरण भी मोदी ने गिनाये. हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा 1971 में मिला, लेकिन टैक्स की छूट 20 वर्षो बाद 17 जनवरी, 2003 को मिली. सात वष बाद यह वापस ले ली गयी.
विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त उत्तर-पूर्व के आठ राज्यों को भी पहली बार टैक्स में छूट 1997 में मिली. गुजरात को विशेष राज्य का दर्जा तो नहीं मिला, किंतु कच्छ में आये भूकंप के कारण टैक्स में उसे विशेष छूट मिली थी. दर्जा मिलने पर टैक्स में रियायत मिलेगी ही, यह जरूरी नहीं है. मौके परविधायक विनोद नारायण झा, कन्हैया रजवार, पार्टी के प्रदेश महामंत्री सुधीर शर्मा व प्रो सूरज नंदन मेहता थे.