मोतीहारी : महात्मा गांधी के अहिंसा के अद्भुत प्रयोग की स्थली चंपारण में वर्तमान लोकसभा चुनाव का काफी महत्व है क्योंकि आधारभूत संरचना, विकास का अभाव एवं बदहाली झेल रहे इस ऐतिहासिक क्षेत्र में नील की खेती की अंग्रेजी प्रणाली के खिलाफ बापू के देश में पहले सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष आने वाला है और लोगों को काफी उम्मीदें हैं.
मोतीहारी के जाने माने गांधीवादी प्रो राम निरंजन पांडे ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में चम्पारण के स्वतंत्रता सेनानी राजकुमार शुक्ल के आमंत्रण पर महात्मा गांधी अप्रैल 1917 में यहां आये थे. नील की खेती पर तिनकठिया प्रणाली के विरोध में बापू ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग यहीं पर किया था। लेकिन यह ऐतिहासिक क्षेत्र आज विकास के अभाव में बदहाली झेल रहा है.
2017 में चम्पारण सत्याग्रह का शताब्दी वर्ष होगा, चंपारण के भीतरहवा गांधी आश्रम ने 2011 के अक्तूबर माह में चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी वर्ष को विशेष बनाने के लिए उपराष्ट्रपति कार्यालय को ज्ञापन सौंपा था. इस बारे में राज्य सरकार के सचिव को भी पत्र लिखा गया.
पांडे ने कहा कि मोतीहारी में गांधीजी जिस तत्कालीन अंग्रेज सब डिवीजनल अफसर की कचहरी में उपस्थित हुए, वहां एक स्मारक बनाया गया है. वहां उनकी पुरानी धोती और खडाउ को रखा गया है. लेकिन ऐसी समृद्ध विरासत को संजोय इस इलाके में विकास का अभाव है, बेरोजगारी की समस्या है और आधारभूत संरचना की कमी है.