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क्रेग कीसवेटर का संन्यास और सुरक्षा से जुड़े मुद्दे

एक बारफिर यह सवाल चर्चा में है कि क्रिकेट का खेल कितना सुरक्षित है, क्योंकि इंग्लैंड के युवा विकेटकीपरक्रेग कीसवेटर का कैरियर चोटिल होने के कारण खत्म हो गया. क्रेग अभी मात्र 27 वर्ष के हैं और उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी है. काउंटी क्रिकेट में समरसेट की तरफ से खेलते हुए उन्हें बल्लेबाजी […]

एक बारफिर यह सवाल चर्चा में है कि क्रिकेट का खेल कितना सुरक्षित है, क्योंकि इंग्लैंड के युवा विकेटकीपरक्रेग कीसवेटर

का कैरियर चोटिल होने के कारण खत्म हो गया. क्रेग अभी मात्र 27 वर्ष के हैं और उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी है. काउंटी क्रिकेट में समरसेट की तरफ से खेलते हुए उन्हें बल्लेबाजी करने के दौरान चोट लगी थी. हालांकि क्रेग ने हेलमेट पहना था, लेकिन बॉल हेलमेट के गार्ड को भेदती हुई उनके चेहरे पर जा लगी और उनके आंख और नाक में तेज चोट लगी थी. हालांकि कुछ समय के ब्रेक के बाद वे मैदान पर लौटे, लेकिन उन्हें खेलने में परेशानी होती थी, जिसके कारण उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी. इस मौके पर क्रेग ने कहा कि उन्हें संन्यास लेने का दुख नहीं है, कैरियर में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. लेकिन यहां कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब तलाशने की जरूरत है.

क्या घरेलू क्रिकेट में सुरक्षा मानकों की होती है अनदेखी

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर फिलिप ह्यूज से लेकर क्रेग किसवेटर तक, पिछले दिनों जितनी भी चोटिल होने की घटनाएं पिछले दिनों क्रिकेट जगत में समाने आयीं हैं, सभी में खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट खेलते हुए चोटिल हुए हैं. कई खिलाड़ियों की मौत भी हुई है. कोलकाता में भी एक युवा खिलाड़ी की मौत हो गयी थी. फिलिप ह्यूज के बारे में यह कहा गया था कि उन्होंने खेलते वक्त सही हेलमेट नहीं पहना था, जिससे उनके सिर के पिछले हिस्से में चोट लग गयी.अगर सचमुच घरेलू क्रिकेट में सही उपकरण उपलब्ध नहीं कराये जाते हैं, तो अविलंब इसमें सुधार की जरूरत है.

क्या बाउंसर गेंद को प्रतिबंधित कर देना चाहिए

फिलिप ह्यूज की मौत के बाद यह सवाल उठा था कि क्या बाउंसर को बंद कर देना चाहिए, क्योंकि उनकी मौत एक बाउंसर से ही हुई थी. लेकिन फिर भारत-ऑस्ट्रेलिया के दौरान वहां के खिलाड़ियों ने जमकर बाउंसर फेंका.

अनिवार्य किया जाये सुरक्षा उपकरणों को पहनना

कई बार देखा जाता है कि खिलाड़ी सुरक्षा उपकरणों को पहनने में कोताही करते हैं,जिसके कारण वे दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि क्रिकेट की वैश्विक संस्था आईसीसी इस संबंध में कड़े कानून बनाये.

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