नयी दिल्ली : कूल्हे में तकलीफ के कारण रिटायर्ड हर्ट होने वाले धनंजय डिसिल्वा के शतक और पदार्पण कर रहे रोशन सिल्वा की जुझारु पारी से श्रीलंका ने तीसरे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट के पांचवें और अंतिम दिन आज यहां भारत को जीत से वंचित करके मैच ड्रा कराया लेकिन वह मेहमान टीम को श्रृंखला 1-0 से जीतने और ऑस्ट्रेलिया के लगातार नौ सीरीज जीतने के विश्व रिकार्ड के बराबरी करने से नहीं रोक पाया.
इससे पहले ऑस्ट्रेलिया के नाम पर लगातार नौ श्रृंखला जीतने का रिकार्ड दर्ज था, जिसने यह कारनामा 2005 से 2008 के बीच किया था. भारत के विजय अभियान की शुरुआत 2015 में श्रीलंका की सरजमीं पर हुई जब कोहली की अगुआई में टीम ने तीन मैचों की श्रृंखला 2-1 से जीती और तब से भारत की जीत का क्रम जारी है.
डिसिल्वा ने रिटायर्ड हर्ट होने से पहले 219 गेंद में 15 चौंकों और एक छक्के की मदद से 119 रन की पारी खेलने के अलावा कप्तान दिनेश चांदीमल (36) के साथ पांचवें विकेट के लिए 112 रन भी जोड़े. रोशन ने इसके बाद 154 गेंद में 11 चौंकों की मदद से नाबाद 74 रन की पारी खेलने के अलावा निरोशन डिकवेला (नाबाद 44) के साथ छठे विकेट के लिए 99 रन की अटूट साझेदारी करके श्रीलंका को स्कोर पांच विकेट पर 299 रन तक पहुंचाकर मैच ड्रा कराया.
भारतीय कप्तान विराट कोहली जब सात अनिवार्य ओवर बचे थे तभी मैच ड्रॉ कराने पर राजी हो गए. भारत की ओर से रविंद्र जडेजा ने 59 रन देकर तीन विकेट हासिल किए. मोहम्मद शमी ने 50 जबकि रविचंद्रन अश्विन ने 126 रन देकर एक-एक विकेट चटकाया.
भारत की फील्डिंग पर आज फिर सवाल उठे जब उसके क्षेत्ररक्षकों ने रोशन और डिकवेला दोनों को जीवनदान दिया. श्रीलंकाई बल्लेबाजों ने पूरे संकल्प के साथ बल्लेबाजी की. टीम ने पहले सत्र में 31 ओवर में एक विकेट पर 88 और दूसरे सत्र में 34 ओवर में एक विकेट गंवाकर 107 रन जोड़े. अंतिम सत्र में टीम ने 22 ओवर में 73 रन जोड़े और कोई विकेट नहीं गंवाया.
श्रीलंका ने सुबह के सत्र में एकमात्र विकेट एंजेलो मैथ्यूज (01) का गंवाया. मैथ्यूज हालांकि दुर्भाग्यशाली रहे क्योंकि जडेजा की जिस गेंद पर पवेलियन लौटे वह नोबाल थी. जडेजा ने 24 रन के स्कोर पर चांदीमल को भी बोल्ड कर दिया था लेकिन यह नोबाल हो गई. दिल्ली में आज धूप खिली और प्रदूषण का स्तर भी कम था जिससे पिछले तीन दिन से मेहमान टीम के खिलाड़ी काफी परेशान थे.
श्रीलंका ने दिन की शुरुआत तीन विकेट पर 31 रन से की और जल्द ही कल के नाबाद बल्लेबाज और पहली पारी के शतकवीर मैथ्यूज का विकेट गंवा दिया. दिन के छठे ओवर में गेंदबाजों के पैरों के निशान पर गिरने के बाद जडेजा की गेंद ने तेजी से स्पिन और उछाल के साथ मैथ्यूज के बल्ले का किनारा लिया और पहली स्लिप में अजिंक्य रहाणे ने कैच लपकने में कोई गलती नहीं की. बाद में हालांकि टीवी रीप्ले में दिखा कि जडेजा का पैर क्रीज से बाहर था और यह नोबाल थी लेकिन मैदानी अंपायर जोएल विल्सन इसे देख नहीं पाए.
डिसिल्वा आज लय में दिखे. उन्होंने इशांत शर्मा पर लगातार दो चौके जड़ने के अलावा जडेजा पर भी दो चौके मारे. डिसिल्वा ने अश्विन पर चौके के साथ 92 गेंद में अर्धशतक पूरा किया और फिर कप्तान चांदीमल के साथ मिलकर 40वें ओवर में टीम का स्कोर 100 रन तक पहुंचाया. जडेजा ने 44वें ओवर में 24 रन के निजी स्कोर पर चांदीमल को बोल्ड कर दिया लेकिन इस बार मैदानी अंपायर विल्सन ने तीसरे अंपायर से सलाह लेना बेहतर समझा जिन्होंने रीप्ले देखने के बाद इसे नोबाल करार दिया. चांदीमल हालांकि लंच के बाद धैर्य बरकरार नहीं रख पाए और अश्विन की गेंद को आगे बढ़कर खेलने की कोशिश में बोल्ड हो गए. उन्होंने 90 गेंद का सामना करते हुए दो चौके मारे.
डिसिल्वा को इसके बाद रोशन के रुप में उम्दा जोड़ीदार मिला रोशन ने अश्विन और मोहम्मद शमी पर चैके मारे. डिसिल्वा ने शमी की गेंद पर तीन रन के साथ 188 गेंदों पर अपना तीसरा टेस्ट शतक पूरा किया. डिसिल्वा पिछले 10 साल में विदेशी सरजमीं पर चौथी पारी में शतक जड़ने वाले पहले श्रीलंकाई बल्लेबाज हैं.
रोशन 11 रन स्कोर पर भाग्यशाली रहे जब अश्विन ने अपनी ही गेंद पर उनका कैच छोड़ दिया. डिसिल्वा ने जडेजा पर चौके के साथ 74वें ओवर में टीम का स्कोर 200 रन के पार पहुंचाया. डिसिल्वा को हालांकि कूल्हे में लगातार बढ़ रही तकलीफ के कारण 119 रन के निजी स्कोर पर रिटायर्ड हर्ट होकर वापस लौटना पड़ा. इस समय टीम का स्कोर पांच विकेट पर 205 रन था.
रोशन और डिकवेला ने इसके बाद भारत को चाय तक सफलता से महरुम रखा. भारत ने चाय से एक ओवर पहले नयी गेंद भी ली लेकिन सफलता नहीं मिली. चाय के तुरंत बाद शमी के पास सफलता हासिल करने का मौका था लेकिन उनकी गेंद डिकवेला के बल्ले का किनारा लेने के बाद दूसरी स्लिप और गली के बीच से चार रन के लिए चली गई.
रोशन ने जडेजा पर दो चौंकों के साथ 105 गेंद में अपने करियर का पहला अर्धशतक पूरा किया. वह श्रीलंका के चौथे खिलाड़ी हैं जिन्होंने पदार्पण करते हुए पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी में 50 या इससे अधिक रन बनाए. डिकवेला को भी 32 रन पर जीवनदान मिला जब वह जडेजा की गेंद को आगे बढ़कर खेलने की कोशिश में पूरी तरह से चूक गए लेकिन विकेटकीपर साहा उन्हें स्टंप नहीं कर पाए.
अंतिम सत्र में दो बार पतंग भी मैदान पर आकर गिरी जिससे दो बार संक्षिप्त समय के लिए खेल रुका. अंतत: भारतीय गेंदबाजों के सफलता हासिल नहीं कर पाने के कारण कोहली आधा घंटा पहले मैच ड्रॉ कराने को राजी हो गए. श्रीलंका का स्कोर भारतीय सरजमीं पर चौथी पारी में बना सबसे बड़ा स्कोर है. इससे पहले वेस्टइंडीज ने 1987 में इसी मैदान पर पांच विकेट पर 276 रन बनाकर जीत दर्ज की थी.