महाभारत के युद्ध का महत्वपूर्ण घटना घटी थी
ऐसी मान्यता है कि श्री हरि की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से अहंकार की भावना खत्म हो जाती है
Vishnu Puja Vidhi: कुरुक्षेत्र भारत का एक प्रमुख धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है, जिसे महाभारत महाकाव्य के युद्ध क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. इसी क्षेत्र में महाभारत के युद्ध का महत्वपूर्ण घटना घटी थी, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश दिया था. इसलिए, कुरुक्षेत्र का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक सन्देश के संदर्भ में बड़ा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र भगवान विष्णु के पांचवे स्वरूप वामन की प्रकट स्थली के नाम से भी विख्यात है.
जानकारों के अनुसार, भगवान विष्णु के पांच अवतारों में से एक है वामन अवतार. इस अवतार में भगवान ने असुरी शक्ति के बादशाह महा प्रतापी राजा बलि को छल से पराजित किया और उसे शक्तिहीन बना दिया था. भगवान मानव के सबसे छोटे रूप में वामन अवतार लेकर बलि के यज्ञ स्थल पर पहुंचे. वे वस्त्रहीन पांच साल के बच्चे के रूप में अपने हाथ में छाता और पैर में खड़ाऊ पहनकर यज्ञ स्थल पर आए. जब बाली ने उनके आने का प्रयोजन जाना, तो उन्होंने स्वयं को पंडित बताया और पूजा करने की बात कही.
उन्होंने संकल्प कराया और दक्षिणा के रूप में तीन कदम भूमि की मांग की. जब असुरों के ऋषि शुक्राचार्य को शक हुआ और वे भगवान की पहचान कर लिए, तो उन्होंने बलि को आगाह किया. लेकिन शुक्राचार्य के मना करने के बावजूद भी, बलि ने उनकी बात नहीं मानी. इसके बाद, भगवान ने तीन कदमों में पूरी सृष्टि को माप लिया और चौथे कदम में राजा बलि को ही माप लिया. इससे दानवीर बलि ने भगवान को सब कुछ न्योछावर कर दिया. जिससे राजा बलि को भी मुक्ति मिल गई. कुरुक्षेत्र का वामन पुराण से गहरा संबंध है. विष्णु का वामन अवतार कुरुक्षेत्र की भूमि में ही हुआ था, वह अदिति के पुत्र थे.
ऐसी मान्यता है कि श्री हरि की पूजा करने से व्यक्ति के अंदर से अहंकार की भावना खत्म हो जाती है. साथ ही वामन द्वादशी के दिन भगवान वामन रूप की पूजा करने से बुरे कर्मों से छुटकारा भी मिल जाता है.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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