सोमवार को भूलकर भी न करें ये गलती, नाराज हो सकते हैं भोलेनाथ

Somvar Ke Upay: सोमवार के दिन भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करने से यह मान्यता है कि भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं. लेकिन, भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है. आइए जानते हैं कि सोमवार को पूजा के दौरान किन कार्यों से बचना चाहिए और भगवान शिव की पूजा करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

By Shaurya Punj | April 7, 2025 8:05 AM

Somvar Ke Upay: सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना और व्रत का विशेष महत्व है. भगवान शिव को भोले भंडारी के नाम से भी जाना जाता है, और यह विश्वास किया जाता है कि उनकी पूजा से वे जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. भगवान शिव अत्यंत दयालु हैं और अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते. उनकी पूजा और आराधना से वे भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं. विशेष रूप से, सोमवार को व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों ही प्रसन्न होते हैं. पौराणिक काल से भक्तगण भोले भंडारी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन सोमवार का व्रत करने लगे हैं. इस दिन कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जिनका ध्यान रखने से जातक निश्चित रूप से शंकर भगवान की कृपा के पात्र बन सकते हैं.

क्या करें और क्या न करें

सोमवार की पूजा के समय काले रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए. यदि आप सोमवार का व्रत रख रहे हैं, तो इस दिन किसी भी प्रकार के गलत कार्य से दूर रहना आवश्यक है. भगवान शिव की पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं करना चाहिए. नारियल चढ़ाते समय यह ध्यान रखें कि शिवजी को नारियल चढ़ाना शुभ है, लेकिन नारियल का पानी नहीं चढ़ाना चाहिए. भगवान शिव की पूजा के दिन आप हरे, लाल, सफेद, केसरिया या पीले रंग के वस्त्र पहन सकते हैं.

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शिवलिंग पर ना चढ़ाएं ये सारी चीजें

शिवलिंग की पूजा करते समय नियमों का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण है. शिवलिंग पर गलती से भी तुलसी के पत्ते, हल्दी या सिंदूर नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इन वस्तुओं से शिवलिंग का अभिषेक करने पर व्यक्ति को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और भगवान शिव नाराज हो सकते हैं.

सही तरीके से जल अर्पित करें, अन्यथा समस्या उत्पन्न हो सकती है.

यदि आप शिवलिंग पर जल अर्पित करने के इन नियमों का पालन करते हैं, तो भगवान शिव की कृपा आप पर सदैव बनी रहेगी. लेकिन यदि आप इन गलतियों को दोहराते हैं, तो शुभ फल के स्थान पर अशुभ फल भी प्राप्त हो सकते हैं. इसलिए जल अर्पित करते समय सही दिशा, उचित पात्र और सही सामग्री का ध्यान अवश्य रखें.