शनि-राहु का दुष्प्रभाव, जानें पिशाच योग क्या है और आपकी कुंडली पर इसका असर

Shani Rahu Yuti 2025: पिशाच योग को एक रहस्यमय ज्योतिषीय योग के रूप में पुस्तकों में वर्णित किया गया है. वैदिक ज्योतिष में ग्रहों की स्थिति और उनके संयोग किसी व्यक्ति के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं. इनमें से एक विशेष और दुर्लभ योग है पिशाच योग. यह योग व्यक्ति के जीवन में मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। लेकिन क्या वास्तव में यह योग इतना प्रभावशाली है? आइए इस पर चर्चा करें-

By Shaurya Punj | March 18, 2025 2:59 PM

Shani Rahu Yuti 2025: जब जन्मकुंडली के किसी भाव में शनि और राहु एक साथ उपस्थित होते हैं, तो यह एक अत्यंत अशुभ योग का निर्माण करता है. यह योग बुरे कर्मों के प्रभाव को दर्शाता है और जिस भाव में यह योग बनता है, उस भाव से संबंधित प्रभावों को नष्ट कर देता है. इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न समस्याओं का सामना करता है. ज्योतिष में राहु और शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है और इन्हें अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है. शनि को अंधकार का ग्रह माना जाता है, जबकि राहु व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है. इस दोष को पिचाश योग भी कहा जाता है.

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पिचाश दोष की व्याख्या

शनि कर्म के अनुसार फल प्रदान करते हैं, इसलिए इन्हें न्यायप्रिय माना जाता है. जन्मकुंडली में शनि का दशम और एकादश भाव महत्वपूर्ण होता है. दशम भाव मकर राशि में स्थित होता है, जो आपके व्यापार और नौकरी से संबंधित कार्यों को दर्शाता है. वहीं, एकादश भाव लाभ का संकेत देता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि आपकी आय कैसी होगी और लाभ प्राप्त होगा या नहीं. राहु को किसी विशेष राशि का स्वामी नहीं माना जाता; वह जिस राशि में स्थित होता है, उसी के अनुसार फल देता है. लेकिन जब शनि और राहु एक साथ होते हैं, तब शनि प्रभावित होते हैं. इस स्थिति में लाभ और करियर, नौकरी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं.

शापित या पिचाश दोष का प्रभाव किस प्रकार होता है

  • जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शापित या श्रापित दोष उत्पन्न होता है, तो यह विभिन्न प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है. इससे वैवाहिक जीवन में अनबन की स्थिति उत्पन्न होती है और विवाह टूटने की संभावना बढ़ जाती है.
  • यदि किसी लड़की की जन्मकुंडली में इस योग का निर्माण होता है, तो इससे विवाहित जीवन में तनाव उत्पन्न होता है, साथ ही विधवा होने की संभावना भी बढ़ जाती है, चाहे कुंडली कितनी ही मजबूत क्यों न हो.
  • संतान सुख की प्राप्ति में बाधा आती है, और उपाय करने के बाद भी संतान का जन्म देर से होता है.
  • महिलाओं में बार-बार गर्भपात की घटनाएँ होती हैं और गर्भाशय से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
  • परिवार में अनावश्यक विवाद उत्पन्न होते हैं, और छोटी-छोटी बातों पर भी झगड़े होते हैं.
  • विद्यार्थियों की पढ़ाई में बार-बार रुकावट आती है, जिससे करियर में भी समस्याएं उत्पन्न होती हैं.
  • कानूनी मामलों में फंसकर कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

उपाय

  • भगवान शनि की पूजा करें और सरसों के तेल या तिल के तेल का दीपक जलाएं.
  • पितृदोष का पूजन करें.
  • हनुमान चालीसा का पाठ करे मंगलवार को चमेली का तेल हनुमान जी पर चढ़ाएं.
  • पूर्वजों के नाम पर अभिषेक करें.
  • सोमवती अमावस्या पर ब्राह्मण को भोजन कराएं , महामृतुज्य पाठ या मंत्र का जप करें.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847