Maa Kushmanda Vrat Katha: नवरात्रि के चौथे दिन जरूर पढ़ें मां कुष्मांडा की व्रत कथा, तभी होगी पूजा सफल   

Navratri Vrat Katha: शारदीय नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा की पूजा के लिए समर्पित होता है. देवी दुर्गा का यह स्वरूप सुख, समृद्धि और ऊर्जा प्रदान करने वाला माना जाता है. इस दिन मां कुष्मांडा की कथा पढ़ना शुभ माना जाता है.

By JayshreeAnand | October 8, 2025 4:54 PM

Navratri Vrat Katha: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कुष्मांडा की सच्चे मन से पूजा करने पर साधक के जीवन से दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि उनकी कृपा से रुके हुए कार्य भी शीघ्र पूरे हो जाते हैं. और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. मां कुष्मांडा का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि उनकी मुस्कान (कुशमंड) से ही सम्पूर्ण ब्रह्मांड की रचना हुई थी. नवरात्रि के इस दिन व्रत रखने वाले भक्त विशेष रूप से मां कुष्मांडा की कथा का पाठ करते हैं. यह माना जाता है कि कथा का पाठ न करने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिलता. इसलिए चौथे दिन की पूजा में मंत्र, कथा श्रवण और दीप जलाने का विशेष महत्व होता है.

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मां कुष्मांडा व्रत कथा

सनातन शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में त्रिदेव ने सृष्टि की रचना का संकल्प लिया. उस समय सम्पूर्ण ब्रह्मांड में घना अंधकार व्याप्त था. समस्त सृष्टि एकदम शांत थी, न कोई संगीत, न कोई ध्वनि, केवल एक गहरा सन्नाटा था. इस स्थिति में त्रिदेव ने जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा से सहायता मांगी. जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कुष्मांडा ने तुरंत ही ब्रह्मांड की रचना की. कहा जाता है कि मां कुष्मांडा ने अपनी हल्की मुस्कान से सृष्टि का निर्माण किया. मां के चेहरे पर फैली मुस्कान से सम्पूर्ण ब्रह्मांड प्रकाशमय हो गया. इस प्रकार अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना करने के कारण जगत जननी आदिशक्ति को मां कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है. मां की महिमा अद्वितीय है. मां का निवास स्थान सूर्य लोक है. शास्त्रों के अनुसार, मां कुष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं. ब्रह्मांड की सृष्टि करने वाली मां कुष्मांडा के मुखमंडल पर जो तेज है, वही सूर्य को प्रकाशवान बनाता है. मां सूर्य लोक के भीतर और बाहर हर स्थान पर निवास करने की क्षमता रखती हैं.

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मां कुष्मांडा की पूजा करने से मिलती है सुख-समृद्धि

मां कुष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. साथ ही, मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी बढ़ता है. यही कारण है कि शारदीय नवरात्रि के चौथे दिन भक्त पूरे श्रद्धा भाव से मां कुष्मांडा की आराधना करते हैं.

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