श्रावण शुक्ल तृतीया 31 जुलाई यानी आज हरियाली तीज का त्योहार मनाया जा रहा है.सावन में सौभाग्य का पर्व हरियाली तीज का काफी महत्व है. इस दिन रविवार और वरियान योग होने से इसका महत्व और बढ़ गया है हिंदू धर्म के मुताबिक मान्यता है कि हरियाली तीज के दिन मां पार्वती ने खुद को प्रकृति के रूप में रंग लिया था और भगवान शिव की भक्ति में लीन हो गई थी. तृतीया तिथि को मां पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए विशेष पूजा अर्चना की थी इसलिए इस दिन सुहागिनों के लिए विशेष दिन माना जाता है
पंचांग के अनुसार, श्रावण शुक्ल तृतीया तिथि का आरंभ 30 जुलाई, शनिवार की रात लगभग 3 बजे होगा, जो 1 अगस्त, सोमवार की सुबह 04.18 तक रहेगी. 31 जुलाई को रवि योग दोपहर 02:20 से 1 अगस्त की सुबह 06:04 बजे तक रहेगा. साथ ही इस दिन छत्र नाम का एक अन्य शुभ योग भी रहेगा.
नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है. हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है.
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1. हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है. इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है.
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2. इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है. महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं. इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है. यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है.
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3. हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं. यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है.
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4. इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं.
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5. हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं.
शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है. इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है..
1. इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें. एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें.
2. मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें.
3. हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है. इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं.