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Chhath Puja 2020 Date and Time: आज है छठ पूजा का तीसरा दिन, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत नियम के साथ पूरी डिटेल्स…

Chhath Puja Date 2020, Chhath Puja 2020, chhath puja, Kharna, nahay khay, Chhath Puja 2020: छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. आज इस पर्व का तीसरा दिन है. व्रति महिलाएं इसकी प्रक्रिया पूरी करने में जुटी हुई है. छठ का पर्व चार द‍िनों का होता है और इसका व्रत सभी व्रतों में सबसे कठ‍िन होता है. इसल‍िए इसे महापर्व के नाम से जाना जाता है. हिन्दी पंचाग के अनुसार, छठ पूजा का खरना कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को होता है. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इसका छठ पूजा में विशेष महत्व होता है. खरना के दिन छठ पूजा के लिए विशेष प्रसाद बनाया जाता है. खरना के दिन भर व्रत रखा जाता है और रात प्रसाद स्वरुप खीर ग्रहण किया जाता है. इस बार छठ पूजा 18 नवंबर से 21 नवंबर तक है. अगर आप भी छठी मइया के पर्व को मना रहे हैं तो यहां देखें छठ पूजा से जुड़ी हर अपडेट...

लाइव अपडेट

सूर्य को अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त

आज षष्ठी तिथि है. इस दिन संध्या अर्घ्य देने का मुहूर्त सबसे प्रमुख होता है. संध्या अर्घ्य मुहूर्त में सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल चढ़ाया जाता है. वहीं अगले दिन सप्तमी को ऊषा अर्घ्य मुहूर्त महत्वपूर्ण है. इसमें उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाने का विधान है. षष्ठी तिथि के दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट पर है.

घाट पर ले जाना न भूले ये पूजा सामग्री

छठ पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी-बड़ी टोकरियां खरीद लें. बांस या फिर पीतल का सूप, दूध और जल के लिए एक ग्लास, एक लोटा और थाली ले लें. इसके अलावा 5 गन्ने, जिसमें पत्ते लगे हों, शकरकंदी और सुथनी, पान और सुपारी, हल्दी, मूली और अदरक का हरा पौधा, बड़ा वाला मीठा नींबू, शरीफा, केला और नाशपाती, पानी वाला नारियल, मिठाई, गुड़, गेहूं, चावल का आटा, ठेकुआ, चावल, सिंदूर, दीपक, शहद और धूप का प्रयोग छठ पूजा में किया जाता है. वहीं, पहनने के लिए नए कपड़े, दो से तीन बड़ी बांस से टोकरी, सूप, पानी वाला नारियल, गन्ना, लोटा, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, चावल, थाली, दूध, गिलास, अदरक और कच्ची हल्दी, केला, सेब, सिंघाड़ा, नाशपाती, मूली, आम के पत्ते, शकरगंदी, सुथनी, मीठा नींबू (टाब), मिठाई, शहद, पान, सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम और चंदन.

यहां जानें क्या होता है खरना

यह पर्व चार दिन तक मनाया जाता है. इस पर्व का दूसरा दिन खरना होता है. खरना का मतलब शुद्धिकरण होता है. जो व्यक्ति छठ का व्रत करता है उसे इस पर्व के पहले दिन यानी खरना वाले दिन उपवास रखना होता है. इस दिन केवल एक ही समय भोजन किया जाता है. यह शरीर से लेकर मन तक सभी को शुद्ध करने का प्रयास होता है. इसकी पूर्णता अगले दिन होती है.

यहां जानें खरना में प्रसाद ग्रहण करने का नियम

खरना पर प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष नियम है. जब खरना पर व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो घर के सभी लोग बिल्कुल शांत रहते हैं. चूंकि मान्यता के अनुसार, शोर होने के बाद व्रती खाना खाना बंद कर देता है. साथ ही व्रती प्रसाद ग्रहण करता है तो उसके बाद ही परिवार के अन्य लोग भोजन ग्रहण करते हैं.

खरना पर बनती है रसिया (खीर)

खरना के दिन रसिया का विशेष प्रसाद बनाया जाता है. यह प्रसाद गुड़ से बनाया जाता है. इस प्रसाद को हमेशा मिट्टी के नए चूल्हे पर बनाया जाता है और इसमें आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. खरना वाले दिन पूरियां और मिठाइयों का भी भोग लगाया जाता है.

छठ पूजा मुहूर्त 2020

20 नवंबर संध्या अर्घ सूर्यास्त का समय 05 बजकर 25 मिनट पर

21 नवंबर उषा अर्घ सूर्योदय का समय 06 बजकर 48 मिनट पर

छठ पूजा में खरना का होता है खास महत्व

खरना के दिन में व्रत रखा जाता है और रात में पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रती छठ पूजा की पूर्ण होने के बाद ही अन्न-जल ग्रहण करते हैं. इसके पीछे का मकसद तन और मन को छठ पारण तक शुद्ध रखना होता है.

साफ-सफाई पर दें ध्यान

छठ पूजा में सफाई का बहुत ही महत्व होता है. छठ पूजा का प्रसाद बनाने वाली जगह साफ-सुथरी होनी चाहिए. प्रसाद को गंदे हाथों से न तो छूना चाहिए और न ही बनाना चाहिए.

नई फसल के उत्सव का भी प्रतीक है छठ पूजा

छठ पूजा का महापर्व नई फसल के उत्सव का भी प्रतीक है. सूर्यदेव को दिए जाने प्रसाद में फल के अलावा इस नई फसल से भोजन तैयार किया जाता है.

यहां जानें कैसे बनाये प्रसाद

छठ पूजा का प्रसाद बिना प्याज, लहसुन और नमक के तैयार किया जाता है. कुछ भक्त सेंधा नमक का उपयोग करते हैं.

छठी मइया की पूजा विधि Chhath Puja Vidhi

- नहाय-खाय के दिन सभी व्रती सिर्फ शुद्ध आहार का सेवन करें.

- खरना या लोहंडा के दिन शाम के समय गुड़ की खीर और पूरी बनाकर छठी माता को भोग लगाएं. सबसे पहले इस खीर को व्रती खुद खाएं बाद में परिवार और ब्राह्मणों को दें.

छठी मइया का प्रसाद Chhathi Maiya Ka Prasad

ठेकुआ, मालपुआ, खीर, खजूर, चावल का लड्डू और सूजी का हलवा आदि छठ मइया को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है.

कल है खरना

कार्तिक माह की शुक्लपक्ष पंचमी को महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को भोजन करती हैं. शाम को गुड़ से खीर बनाकर खाई जाती है. इस विधि को खरना कहा जाता है.

इस महापर्व का सबसे खास दिन है षष्टी तिथि

षष्टी तिथि छठ महापर्व का सबसे खास दिन होता है. इस दिन व्रती महिलाएं ढलते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करती हैं. साथ ही उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं. इस दिन सूर्यास्त का समय शाम 05 बजकर 26 मिनट है. सूर्योदय का समय सुबह 06 बजकर 48 मिनट रहेगा.

इस तरह से की जाती है पूजा की तैयारी

आज नहाए-खाए है. नहाय-खाय के साथ छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है. नहाय-खाय से पहले ही छठ पूजा की पूरी तैयारी कर ली जाती है. इसकी शुरुआत होती है घर की साफ सफाई से. परंपरा के अनुसार, घर में एक स्थान पर मिट्टी का चूल्हा बनाया जाता है. छठ पूर्व के दौरान प्रसाद और पूरा भोजन वही बनता है. हालांकि आजकल बाजार में मिट्टी के रेडी टू यूज चूल्हे भी मिल रहे हैं. गेहूं को धोखर सुखाया जाता है. इस दौरान कद्दू की सब्जी बनाने का विशेष महत्व है.

छठ पर्व की पूजन सामग्री की लिस्ट

छठ पर्व के दौरान फलों का भी विशेष महत्व है. इनमें संतरा, अन्नास, गन्ना, सुथनी, केला, अमरूद, शरीफा, नारियल भी शामिल हैं. इनके अलावा साठी के चावल का चिउड़ा, ठेकुआ, दूध, शहद, तिल और अन्य द्रव्य भी शामिल किए जाते हैं. इनसे डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

आज नहाय-खाय कल होगा खरना

नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है. इस दिन से सभी लोग उपवास करना शुरू करते हैं. इस बार खरना 19 नवंबर को है. इस दिन छठी माई के प्रसाद के लिए चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) बनाया जाता है. साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है. इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है.

क्या है नहाय-खाय

छठ पूजा का महापर्व 4 दिनों का होता है. छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय किया जाता है. इस दिन जो लोग व्रत करते हैं वो स्नानादि के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. इसके बाद ही वो छठी मैया का व्रत करते हैं. इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है.

18 नवंबर दिन बुधवार का पंचांग (ऋषिकेष पंचांग)

कार्तिक शुक्लपक्ष चतुर्थी रात -03:45 उपरांत पंचमी

श्री शुभ संवत -2077, शाके-1942, हिजरी सन -1441-42

सूर्योदय-06:38

सूर्यास्त-05:22

सूर्योदय कालीन नक्षत्र- मूल उपरांत पूर्वाषाढ़ा, धृति- योग, व- करण

सूर्योदय कालीन ग्रह विचार- सूर्य-वृश्चिक,चंद्रमा-धनु,मंगल-मीन,बुध-तुला, गुरु- मकर, शुक्र- तुला, शनि- मकर, राहु -वृष, केतु- वृश्चिक

चौघड़िया

सुबह 06.01 से 7.30 बजे तक लाभ

सुबह 07.31 से 9.00 बजे तक अमृत

सुबह 09.01 से 10.30 बजे तक काल

सुबह 10.31 से 12.00 बजे तक शुभ

दोपहर 12.01 से 1.30 बजे तक रोग

दोपहर 01.31 से 03.00 बजे तक उद्वेग

दोपहर 03.01 से 04.30 बजे तक चर

शाम 04.31 से 06.00 बजे तक लाभ

राहुकाल 12 से 3 1:30 तक।

छठ पर्व की तारीख

18 नवंबर 2020 दिन बुधवार को नहाय-खाय

19 नवंबर 2020 दिन गुरुवार को खरना

20 नवंबर 2020 दिन शुक्रवार को डूबते सूर्य का अर्घ्य

21 नवंबर 2020 दिन शनिवार को उगते सूर्य का अर्घ्य

खरना

खरना (19 नवंबर) के दिन व्रती महिलाएं दिनभर उपवास रखेंगी और शाम को सूर्यास्त के बाद खीर और रोटी खाएंगी. इस दिन सूर्यास्त के बाद गुड़-दूध की खीर बनेगी और रोटी बनाकर प्रसाद स्वरूप भगवान सूर्य की पूजा करके उन्हें भोग लगाया जाएगा. खरना के साथ ही व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है. खरना के दिन ही भोग के लिए ठेकुआ और अन्य चीजे बनाई जाती है.

नहाय खाय

18 नवंबर बुधवार को नहाय खाय है. इस दिन व्रती महिलाएं नहाने के बाद नए कपड़े पहन कर सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद सात्विक (शाकाहारी) खाना खाती है. कुछ जगहों पर इस दिन कद्दू की सब्‍जी बनाई जाती है.

बिहार के अलावा इन राज्यों में भी मनाया जाता है छठ

बिहार के अलावा यूपी, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल में भी धूमधाम से छठ का त्योहार मनाया जाता है. छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कि पारण तक चलता है.

कुछ ऐसा है छठ का त्योहार

हिंदू धर्म में यह पहला ऐसा त्‍योहार है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्‍य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं. इस बार शाम का अर्घ्‍य 20 नवंबर को है. इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

सुबह के अर्घ्य का महत्व

चौथे दिन सुबह के अर्घ्‍य के साथ छठ का समापन हो जाता है. सप्‍तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है. विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा जाता है और इस तरह छठ पूजा संपन्न होती है. यह तिथि इस बार 21 नवंबर को है.

डूबते सूर्य को दिया जाता है अर्घ

हिंदू धर्म में यह पहला ऐसा त्‍योहार है जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. छठ के तीसरे दिन शाम यानी सांझ के अर्घ्‍य वाले दिन शाम के पूजन की तैयारियां की जाती हैं. इस बार शाम का अर्घ्‍य 20 नवंबर को है. इस दिन नदी, तालाब में खड़े होकर ढलते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. फिर पूजा के बाद अगली सुबह की पूजा की तैयारियां शुरू हो जाती हैं.

नहाय खाय के अगले दिन शुरू होगा खरना

नहाय खाय के अगले दिन खरना होता है. इस दिन से सभी लोग उपवास करना शुरू करते हैं. इस बार खरना 19 नवंबर को है. इस दिन छठी माई के प्रसाद के लिए चावल, दूध के पकवान, ठेकुआ (घी, आटे से बना प्रसाद) बनाया जाता है. साथ ही फल, सब्जियों से पूजा की जाती है. इस दिन गुड़ की खीर भी बनाई जाती है.

छठ व्रत से मिलता है फल

  • छठी पूजा करने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है.

  • छठी मैया संतान की रक्षा करती हैं और उनके जीवन को खुशहाल रखती हैं.

  • छठ पूजा करने से सैकड़ों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है.

  • परिवार में सुख समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी छठी मैया का व्रत किया जाता है.

  • छठी मैया की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

पांडवों को मिला आशीर्वाद

एक पौराणिक कथा के मुताबिक, जब पांडव अपना सारा राज-पाठ कौरवों से जुए में हार गए, तब दौपदी ने छठ व्रत किया था. इस व्रत से पांडवों को उनका पूरा राजपाठ वापस मिल गया था. छठ व्रत करने से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है.

द्रौपदी ने की सूर्य देवता की उपासन

पांडवों की पत्नी द्रौपदी अपने परिवार के उत्तम स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए नियमित तौर पर सूर्य पूजा किया करतीं थीं. कहा जाता है कि जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए, तब द्रौपदी ने सूर्य भगवान की आराधना की और छठ का व्रत रखा. सूर्य देव के आशीर्वाद से उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी हुई .

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष से शुरू होती है छठ की पूजा

छठ पूजा कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की षष्‍ठी से शुरू हो जाती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है, जो कि इस बार 18 नवंबर को है. इस दिन घर में जो भी छठ का व्रत करने का संकल्‍प लेता है वह, स्‍नान करके साफ और नए वस्‍त्र धारण करता है. फिर व्रती शाकाहारी भोजन लेते हैं. आम तौर पर इस दिन कद्दू की सब्‍जी बनाई जाती है.

छठ पूजा 2020 : पूजा के मुहूर्त

20 नवंबर छठ पर्व की शुरुआत होगी. इस दिन सूर्योदय – 06:48 पर होगा तथा सूर्यास्त – 17:26 पर होगा. वैसे षष्ठी तिथि एक दिन पहले यानी 19 नवंबर को रात 9:58 से शुरू हो जाएगी और 20 नवंबर को रात 9:29 बजे तक रहेगी. इसके अगले दिन सूर्य को सुबह अर्घ्य देने का समय छह बजकर 48 मिनट है.

खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद

खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है. इसमें गुड़ और चावल का खीर बनाया जाता है, साथ ही पूड़ियां, खजूर, ठेकुआ आदि बनाया जाता है. पूजा के लिए मौसमी फल और कुछ सब्जियों का भी प्रयोग होता है. व्रत रखने वाला व्यक्ति इस प्रसाद को छठी मैया को अर्पित करता है. खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर वह व्रत प्रारंभ करता है. छठ पूजा का प्रसाद बनाते समय इस बात का खास ध्यान रखा जाता है कि चूल्हे में आग के लिए केवल आम की लकड़ियों का ही प्रयोग हो.

छठ पर्व पर क्यों की जाती है सूर्य की आराधना

छठ पूर्व में सूर्य की आराधना का बड़ा महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी माता को सूर्य देवता की बहन माना जाता हैं. कहा जाता है कि छठ पर्व में सूर्य की उपासना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति तथा संपन्नता प्रदान करती हैं. छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है.

चार दिवसीय छठ पर्व पूर्ण होता है

  • Nov 18: नहाए खाए (Nahay Khay)

  • Nov 19: खरना (Kharna)

  • Nov 20: शाम का अर्घ्य (sham ka arghay)

  • Nov 21: सुबह का अर्घ्य (subah ka arghay)

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