Saphala Ekadashi Aarti: सफला एकादशी पर करें विष्णु जी की आरती, यहां से जानें लाभ और महत्व
Saphala Ekadashi Aarti: सफला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आरती करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन आरती करने से न केवल आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. जानें कैसे इस व्रत और आरती से मिलते हैं अद्भुत लाभ और महत्व.
Saphala Ekadashi Aarti: आज 15 दिसंबर 2025 को सफला एकादशी का त्योहार मनाया जा रहा है. सफला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित विशेष तिथि है. इस दिन विष्णु जी की आरती करने से आत्मा शुद्ध होती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है. आरती में भजन और मंत्रों का जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
आरती से मिलने वाले लाभ
- धार्मिक दृष्टि से: आरती करने से मन का भय और चिंता दूर होती है. व्यक्ति अपने कर्मों में निष्ठा और संयम विकसित करता है.
- सामाजिक दृष्टि से: घर में सुख-शांति और सौहार्द्य बढ़ता है. परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के प्रति अधिक सहयोगी और समझदार बनते हैं.
- आध्यात्मिक दृष्टि से: आरती के दौरान भगवान विष्णु का ध्यान करने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं.
कैसे करें विष्णु जी की आरती
सफला एकादशी पर सुबह या शाम को स्वच्छ स्थान पर विष्णु प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर आरती करें. तुलसी, फल और मिठाई अर्पित करना शुभ माना जाता है.
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भगवान विष्णु की आरती
ओम जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे.
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का.
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी.
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी.
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता.
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति.
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे.
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा.
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा.
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे.
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ओम जय जगदीश हरे…॥
