हमारी रोजाना की आम जिंदगी में छोटी-छोटी परेशानियां रहती हैं. हमें कोई प्यार नहीं करता- इस बात का दुख और अगर प्यार किया जा रहा है, तो उसका अपार आनंद. यदि आप जीवन की इन छोटी-छोटी चीजों को समझ सकें, तो आप इनमें अपने दिल-दिमाग के काम करने के ढंग को देख सकेंगे.
खुशी, गम, विपत्तियों, आशा, निराशा के इन संबंधों को यदि आप बहुत ही सतही स्तर पर अवलोकन करते हैं, धैर्य पूर्वक प्रतीक्षा करते हुए, बिना बड़ाई या निंदा करते हुए, सचेत रहते हुए, बिना कोई फैसला किये हुए, तो आपका मन समस्या में गहरे तक पैठता जाता है. लेकिन, यदि आप किसी समस्या विशेष से निजात पाने के पहलू से ही सरोकार रखते हैं, तो आपका मन बहुत ही सतही स्तर पर बना रहता है. हमारा समाज दूसरे के प्रति जलन पर ही आधारित है.
आपके पास कुछ है; मेरे पास नहीं है, आप कुछ हैं; मैं कुछ भी नहीं हूं और मैं कुछ होने के लिए आपसे प्रतिस्पर्धा करता हूं. आपके पास अधिक ज्ञान है, अधिक धन-दौलत है, अधिक अनुभव है, मेरे पास नहीं है, तो इस प्रकार यह चिरस्थायी संघर्ष बना रहता है. आप हमेशा आगे ही आगे बढ़ते चले जाते हैं और मैं हमेशा नीचे की ओर धंसता, गिरता चला जाता हूं. आप गुरु हैं और मैं शिष्य हूं या अनुयायी हूं. आपके और मेरे बीच गहरी खाई है. आप हमेशा आगे हैं और मैं हमेशा पीछे.
इस सभी संघर्षों के और रोजाना की अन्य कई छोटी-छोटी बातांे के असंख्य निहितार्थ हैं. आप अपने जीवन की इन छोटी-छोटी बातों को उनकी वास्तविकता में देखें, तो यही चीजें आपको भीतरी तथ्यों से साक्षात्कार करायेंगी. आखिरकार, जब आप कोई खूबसूरत चीज देखते हैं, तो ये सब आपको बहुत कुछ बताते हैं.
जब आप जीवन की कुरूप चीजें देखते हैं, तो ये सब भी विचार की मूलभूत प्रक्रिया से परिचित कराते हैं. यदि मन केवल पलायन से ही सरोकार रखता है, किसी रामबाण उपाय की तलाश में रहता है, सभी संबंधों के अन्वेषण से बचना चाहता है, तो हम इन सब के प्रति कदापि सचेत नहीं हो सकते. दुर्भाग्य से हमारे पास धैर्य नहीं है, हम त्वरित जवाब चाहते हैं. समाधान चाहते हैं, हमारा मन समस्या के प्रति बहुत ही बेसब्रा है और अधैर्यपूर्ण है.
– जे कृष्णमूर्ति