Gopinath Bordoloi : कौन हैं गोपीनाथ बोरदोलोई, जिनकी पीएम मोदी ने की असम में तारीफ?
Lokpriya Gopinath Bordoloi : पीएम मोदी और बीजेपी की यह खासियत है कि वे समय पर सही दांव खेलते हैं. विधानसभा चुनाव से पहले असम यात्रा पर गए पीएम मोदी ने लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई को याद कर कांग्रेस की दुखती रग पर हाथ रख दिया है. पीएम मोदी ने यह साबित करने की कोशिश की है कि बीजेपी हर देशभक्त का सम्मान करती है, चाहे उसकी पार्टी कोई भी हो. बीजेपी के इस दांव से असम की आम जनता प्रभावित है, क्योंकि उनके मन में गोपीनाथ बोरदोलोई का बहुत सम्मान है.
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Lokpriya Gopinath Bordoloi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी असम यात्रा के दौरान एक कांग्रेसी लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई की तारीफ की है . उन्होंने कहा कि बोरदोलोई वो शख्स हैं, जिन्होंने असम को पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बनने से बचा लिया, अन्यथा देश के बंटवारे के वक्त जिस तरह की राजनीतिक साजिश अंग्रेजों और मुस्लिम लीग ने की थी, असम पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन जाता. पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भी इस राजनीति का हिस्सा बन जाती, लेकिन गोपीनाथ बोरदोलोई अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो गए और असम की पहचान के लिए लड़े, उन्होंने असम को पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बनने नहीं दिया. आखिर क्यों पीएम मोदी ने बोरदोलोई को इतिहास के पन्नों से बाहर निकाला है और क्या है उनका योगदान? इस आलेख में उनपर बात.
कौन हैं लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई ?
गोपीनाथ बोरदोलोई असम के पहले मुख्यमंत्री थे. उन्होंने आजादी की लड़ाई में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया था और असम को एक बेहतर और विकसित राज्य बनाने का सपना देखा था. उनका जन्म 6 जून 1890 को असम के नगांव जिले के राहा में हुआ था. उन्होंने कानून की पढ़ाई की थी और युवावस्था से ही गांधीवादी विचारों के साथ थे. असम और वहां की जनता के प्रति उनका प्रेम निस्वार्थ था, जिसे देखते हुए असम के उस वक्त के राज्यपाल जयराम दास ने उन्हें लोकप्रिय की उपाधि दी थी, जिसके बाद से वे लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई के रूप में जाने गए. 5 अगस्त 1950 में उनका निधन हो गया था, लेकिन वे जबतक रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था.
असम को पूर्वी पाकिस्तान में शामिल होने से किसने बचाया?
1947 में जब भारत आजाद हुआ, उस वक्त देश के दो टुकड़े हुए थे. भारत और पाकिस्तान. बंटवारे के दौरान पाकिस्तान को देश का वो हिस्सा मिला, जहां मुस्लिम आबादी अधिक थी. बंटवारे के वक्त अंग्रेज और मुस्लिम लीग इस साजिश में थे कि असम भी पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बन जाए. उस वक्त गोपीनाथ बरदोलोई असम के तारणहार बनकर उभरे और उन्होंने असम को पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनने दिया. इसके लिए वो कांग्रेस पार्टी में डटकर खड़े हो गए और पार्टी के उन लोगों को मुंहतोड़ जवाब दिया, जो पाकिस्तान से सौदेबाजी के लिए असम को छोड़ने के लिए तैयार थे. उन्होंने संविधान सभा में भी इस बात को उठाया और कहा कि असम की रक्षा से ही देश की भौगोलिक सुरक्षा संभव है. बोरदोलोई असमिया भाषा और संस्कृति के पक्षधर थे. वे यह मानते थे कि इसकी अलग पहचान है और इसे बचाकर रखा जाना चाहिए.
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क्या आदिवासियों के हितैषी थे गोपीनाथ बोरदोलोई?
बोरदोलोई यह चाहते थे कि असम की संस्कृति सुरक्षित रहे. उन्होंने असम के आदिवासियों और उनकी भूमि की रक्षा के लिए विशेष प्रावधानों की पैरवी की.इसके पीछे उनकी यही सोच थी कि असमिया पहचान को बचाया जाए. बोरदोलोई आदिवासी क्षेत्रों में बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहते थे. उनकी सोच यह थी कि जमीन और संसाधन स्थानीय लोगों के हाथ में रहे. बोरदोदोलोई पंडित नेहरू के काफी करीबी थे. पंडित नेहरू भी यह मानते थे कि असम को लेकर बोरदोलोई की सोच सही है.
असम में कब होना है विधानसभा चुनाव?
असम में विधानसभा चुनाव 2026 में होना है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असमिया हितों के रक्षक गोपीनाथ बोरदोलोई की चर्चा करके वहां के लोगों को विश्वास में लेने की कोशिश की है. वे यह बताना चाहते हैं बीजेपी के लिए देश सबसे ऊपर है, इसलिए वे हर देशभक्त का सम्मान करते हैं, भले ही वह व्यक्ति बीजेपी का सदस्य हो ना हो. बोरदोलोई ने हमेशा असम के प्रति अपने कर्तव्य को सर्वोपरि माना, इसी वजह से उन्होंने असम में जनसंख्या के संतुलन को बचाकर रखने की बात की, ताकि असम की पहचान पर कोई हावी ना हो.
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