‘कोयंबटूर के वाजपेयी’ सीपी राधाकृष्णन बने देश के उपराष्ट्रपति, तमिलनाडु की राजनीति में सेंध के लिए बीजेपी का बड़ा दांव
Vice President Election Results : उपराष्ट्रपति पद पर सीपी राधाकृष्णन का चुना जाना बीजेपी के उस दांव की ओर स्पष्ट इशारा कर रहा है, जिसका आयोजन 2026 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के रूप में होना है. राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं और उनकी छवि एक गैर विवादास्पद नेता की रही है, जो प्रदेश की द्रविड़ राजनीति में बीजेपी को प्रवेश दिला सकते हैं.
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Vice President Election Results : 9 सितंबर को जब देश के नए उपराष्ट्रपति के चुनाव परिणाम की घोषण हुई तो आश्चर्य बिलकुल भी नहीं हुआ, क्योंकि इसी परिणाम की अपेक्षा थी. सीपी राधाकृष्णन एनडीए के उम्मीदवार थे और उनके पास पर्याप्त संख्याबल होने की वजह से सीपी राधाकृष्णन का चुना जाना महज औपचारिकता ही था. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि इस पूर्व निर्धारित या तय परिणाम के पीछे संदेश क्या है? आखिर क्यों बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को देश का अगला उपराष्ट्रपति चुना है?
सीपी राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनाने के पीछे का संदेश
सीपी राधाकृष्णन को बीजेपी ने देश का अगला उपराष्ट्रपति चुनकर यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि दक्षिण भारत के सबसे प्रमुख राज्य तमिलनाडु में उसे अपनी उपस्थिति दर्ज करानी है. इसके लिए बीजेपी ने एक ओबीसी राजनेता पर जिनका बैकग्राउंड संघ का है और जो एक बहुत ही शालीन व्यक्तित्व के हैं, अपना दांव खेल दिया है. द्रविड़ राजनीति के गढ़ में बीजेपी को अबतक अपने हिंदुत्व कार्ड की वजह से कोई बड़ी बढ़त नहीं मिल पाई है. बात चाहे विधानसभा चुनाव की कें या लोकसभा चुनाव की, बीजेपी दो अंकों तक नहीं पहुंच पाई है. जो 3-4 सीट पर जीत मिली भी है, वो अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन की वजह से ही मिल पाई है. ऐसे में राधाकृष्णन जैसे नेता को उपराष्ट्रपति चुनना, जिनकी छवि बहुत ही शालीन है, एक बड़ा रणनीतिक कदम है. बीजेपी को अपने इस कदम से कई उम्मीदें भी हैं. 2026 में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव है और बीजेपी उससे पहले यहां अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है और सहयोगी और विपक्षी दोनों ही पार्टियों को विशेष संदेश भी देना चाहती है.
ओबीसी समाज को साधने की कोशिश
उप राष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन गौंडर जाति से आते हैं, जो तमिलनाडु में प्रभावशाली ओबीसी समुदाय है. सीपी राधाकृष्णन के जरिए बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि उनकी राजनीति अब ओबीसी प्रतिनिधित्व को सर्वोच्च स्तर तक ले जाने की है. राष्ट्रीय राजनीति में भी ओबीसी समाज को साधने की जोरदार कोशिश है. बीजेपी ने एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति चुनकर यह संदेश दिया था कि वह हाशिए पर पड़े लोगों को मुख्यधारा में लाना चाहती है. राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं. उनकी पहचान संघ के आजीवन निष्ठावान कार्यकर्ता की है. इसके साथ ही वे अपने शालीन व्यक्तित्व की वजह से राज्यसभा का संचालन भी बखूबी कर पाएंगे.
सीपी राधाकृष्णन का परिचय
- 68 वर्षीय सीपी राधाकृष्णन का जन्म तिरुप्पुर तमिलनाडु में हुआ है.
- किशोरावस्था में ही आरएसएस से जुड़े और निष्ठावान कार्यकर्ता बने.
- 1998 और 1999 में कोयंबटूर से सांसद बने, उस दौर में जब तमिलनाडु में भाजपा की पकड़ बेहद कमजोर थी.
- मेल-मिलाप की राजनीति के लिए ‘कोयंबटूर का वाजपेयी’ कहा गया.
- 2014 और 2019 में चुनाव हारे, बाद में झारखंड और फिर महाराष्ट्र के राज्यपाल बने.
- सौम्य, गैर-विवादास्पद छवि.
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