Nepal Protest : 17 साल में 13 प्रधानमंत्री, रिपब्लिक बनने के बाद भी नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता

Nepal Protest : नेपाल में युवाओं के प्रदर्शन ने इतना भयंकर रूप लिया कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को पद से त्यागपत्र देना पड़ा. विदेश मंत्री और वित्तमंत्री की भीड़ ने पिटाई कर दी और संसद को आग के हवाले कर दिया. नेपाल में जनांदोलन का इतिहास रहा है. राजशाही के खिलाफ भी जनता ने आंदोलन किया था, तब जाकर नेपाल रिपब्लिक बना था. नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता का दौर जारी है, यहां पिछले 17 साल में 13 प्रधानमंत्री बन चुके हैं.

By Rajneesh Anand | September 9, 2025 5:42 PM

Nepal Protest : युवाओं के हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. जेन जेड के प्रदर्शन के महज दूसरे दिन ही प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंपना पड़ा, इससे प्रदर्शन की तीव्रता और प्रधानमंत्री के ऊपर दबाव दोनों को समझा जा सकता है. नेपाल एक ऐसा देश है, जिसने राजशाही, संवैधानिक राजशाही और उसके बाद रिपब्लिक गणराज्य सबका शासन देखा है. साल 2008 में नेपाल को रिपब्लिक गणराज्य घोषित किया गया है. उससे पहले यहां राजशाही थी. नेपाल को रिपब्लिक गणराज्य बने महज 17 साल ही हुए हैं और इन 17 सालों में यहां 13 प्रधानमंत्री हो चुके हैं. आइए समझते हैं कि नेपाल में इतनी राजनीतिक अस्थिरता क्यों रही है.

नेपाल में पहले थी राजशाही

नेपाल में 2008 से पहले राजशाही थी. नेपाल को राजतंत्र से रिपब्लिक गणराज्य तक का सफर तय करने में कई तरह के संघर्ष करने पड़े हैं. यहां छोटे–छोटे रजवाड़ों को मिलाकर राजशाही की स्थापना हुई थी. यह परंपरा काफी मजबूत थी और राजा को देवता के करीब माना जाता था. लोकतंत्र की कोशिशें हुईं लेकिन वो कामयाब नहीं हुईं. 

राजशाही के खिलाफ पहली बार कब हुआ तीव्र विरोध

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता

नेपाल में राजशाही के खिलाफ लोगों का मोह धीरे–धीरे भंग होने लगा और 1996 में माओवादी पार्टी ने राजशाही खत्म करने के लिए सशस्त्र विरोध शुरू किया. इस विरोध प्रदर्शन की वजह से नेपाल  में गृहयुद्ध जैसी स्थिति बन गई थी और 13,000 लोग मारे गए थे.  2001 में राजा बीरेंद्र समेत शाही परिवार के नौ लोगों की हत्या हुई थी और फिर ज्ञानेंद्र राजा बने थे. ज्ञानेंद्र की सत्ता काफी निरकुंश थी, जिसकी वजह से जनता में आक्रोश बढ़ता गया और वहीं से शुरू हुई नेपाल  को गणराज्य बनाने की मांग.

2008 में नेपाल बना गणराज्य

राजा ज्ञानेंद्र के खिलाफ जनता ने जनांदोलन चलाया और 2006 से शुरू हुआ आंदोलन 2008 में सफल  हुआ. 2008 में संविधान सभा ने नेपाल को ‘संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य’ घोषित किया और 240 साल पुरानी राजशाही समाप्त हो गई. नेपाल के रिपब्लिक गणराज्य घोषित होने के बाद  पुष्प कमल  दहल  देश के पहले प्रधानमंत्री बने. यह नेपाल  का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि वहां हमेशा गठबंधन की ही सरकार रही, जो आपसी खींचतान की वजह से हमेशा अस्थिर रहती है.

विभिन्न विषयों पर एक्सप्लेनर पढ़ने के लिए क्लिक करें

17 साल में 13 प्रधानमंत्री बने

नेपाल को लोकतांत्रिक देश बने 17 साल हो गए हैं. इन 17 सालों में नेपाल में चार बार  चुनाव हुए हैं और देश को 13 प्रधानमंत्री मिला है. नेपाल में दो बार चुनाव संविधान सभा के लिए हुए और दो बार प्रतिनिधि सभा के लिए चुनाव हुए हैं. जितने भी प्रधानमंत्री नेपाल में हुए उनका कार्यकाल बहुत ही संक्षिप्त रहा और राजनीतिक दलों की आपसी खींचतान ने किसी भी प्रधानमंत्री को इतना वक्त नहीं दिया कि वे पांच साल तक अपने पद पर बने रहते. केपी शर्मा ओली ही ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिन्होंने अधिकतम 3 साल 88 दिन तक शासन किया.

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की वजह

नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता की बड़ी वजह यह है कि यहां हमेशा गठबंधन की राजनीति हुई है. गठबंधन की राजनीति में पार्टियों के बीच खींचतान बहुत ज्यादा होती है, जिसकी वजह से यहां अस्थिरता कायम रही है. किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने की वजह यह है कि यहां भौगोलिक विविधता बहुत हैं और उन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जरूरत और मांग भी अलग–अलग है. अस्थिर सरकार होने की वजह से यहां  प्रधानमंत्री बार-बार बदलते रहते हैं. यहां की बड़ी पार्टियों में टूट भी कई बार हुई है, जो अस्थिरता के लिए जिम्मेदार है. समाज का कई वर्ग यहां खुद को उपेक्षित महसूस करता है और वह बार–बार आंदोलन करता है, इस वजह से भी कई बार सरकारें गिरती रही हैं .

ये भी पढ़ें : Mughal Harem Stories : बंगाली महिलाओं के दीवाने थे मुगल बादशाह, उन्हें हरम में रखने के लिए रहते थे लालायित

Maratha Aarakshan : हैदराबाद गजट के अनुसार अब मराठा समुदाय को मिलेगा आरक्षण, जानिए अभी भी किसे नहीं मिलेगा लाभ

क्या है टैरिफ जिसको लेकर देश में मचा है बवाल, किसे मिलता है इसका लाभ और किसे होता है नुकसान?

बिहार में SIR और राहुल गांधी के Vote Chori के आरोप की 5 बड़ी बातें जो आपको जाननी चाहिए