मधुबाला से माधुरी दीक्षित तक हीरोइनों ने बिना चेंजिंग और वाॅशरूम के किया काम, अब दीपिका के 8 घंटे की शिफ्ट पर स्टारडम का बवाल?

Deepika Padukone : क्या दीपिका पादुकोण पर स्टारडम हावी हो गया है और वो अपने प्रोड्‌यूसर से गलत डिमांड करने लगी है? यह सवाल इसलिए क्योंकि दीपिका ने जब अपने मदरहुड को लेकर यह बात कही कि वो 8 घंटे से ज्यादा का शिफ्ट नहीं कर पाएंगी, तो उन्हें फिल्म छोड़नी पड़ी. उनके प्रोड्‌यूसर-डायरेक्टर ये कह रहे हैं कि कल्कि2 जैसी फिल्में डेडिकेशन चाहती है और इसके लिए काम को शिफ्ट में नहीं बांटा जा सकता है. ये तो बात हुई प्रोड्रयूसर-डायरेक्टर्स की, जबकि सच्चाई यह है कि इंडस्ट्री में हीरोइनों के साथ बहुत भेदभाव होता है. पुराने समय में तो उन्हें लाइफ की बेसिक नीड भी नसीब नहीं थी और वे झाड़ियों के पीछे ही कपड़े बदलने और दिनभर बिना बाथरूम गए रहती थीं.

By Rajneesh Anand | October 10, 2025 3:07 PM

Deepika Padukone :  बॉलीवुड एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण का एक बयान इन दिनों वायरल है, जिसमें उन्होंने यह कहा है कि भले ही भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को एक इंडस्ट्री कहा जाता है, लेकिन हमने कभी भी यहां उस तरह काम नहीं किया है. दीपिका ने फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव की बात की है. उन्होंने ‘स्पिरिट’ और ‘कल्कि2’ जैसी फिल्में इसलिए छोड़ दी हैं क्योंकि उनके निर्माता उनकी इस मांग को नहीं मान रहे थे कि वे 8 घंटे की शिफ्ट में ही काम करेंगी.

CNBC-TV18 को दिए इंटरव्यू में दीपिका ने कहा कि जबसे वो मां बन गई हैं, उनकी जिम्मेदारियां अपनी बेटी को लेकर बढ़ गई हैं, इसी वजह से उन्होंने 8 घंटे की शिफ्ट की मांग की, लेकिन उनकी मांग नहीं मानी गई और उन्होंने यह फिल्में ही छोड़ दीं. भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से कास्टिंग काउच, जेंडर बायसनेस और एक्ट्रेसेस को सुविधाएं ना देने की जानकारी तो सामने आती रहती हैं, लेकिन कभी भी इसपर खुलकर बात नहीं हुई.

दीपिका पादुकोण ने क्या रखी है मांग और क्यों?

दीपिका पादुकोण ने मदरहुड की वजह से काम के घंटे 8 करने की मांग की

दीपिका पादुकोण का कहना है कि मैं एक मां हूं और मेरी जिम्मेदारी अपनी बेटी के प्रति भी है, इसलिए मैंने अपनी फिल्म के निर्माताओं से 8 घंटे की शिफ्ट की डिमांड की है. ऐसा नहीं है कि मैं कोई अनोखी डिमांड कर रही हूं, इंडस्ट्री में कई एक्टर 8 घंटे की शिफ्ट करते हैं और वे ऐसा सालों से करते आ रहे हैं. दीपिका ने किसी भी एक्टर का नाम लिए बिना ही यह कहा है कि कई एक्टर तो ऐसे हैं, जो सोमवार से शुक्रवार ही काम करते हैं, वे वीकेंड पर काम नहीं करते हैं. मेरी मांग इसलिए नहीं मानी जा रही है क्योंकि मैं एक एक्ट्रेस हूं. उन्होंने कहा है कि किस अगर किसी को यह लगता है कि मैं एक महिला हूं और मैं दबाव बना रही हूं तो किसी को ऐसा लग सकता है, लेकिन मेरी मांग जायज है.

बॉलीवुड ने अभिनेत्रियों को सुविधा देने पर कभी सोचा क्यों नहीं?

भारतीय सिने जगत की दिग्गज अभिनेत्रियां वहीदा रहमान, आशा पारेख और हेलन ने कपिल शर्मा शो के दौरान यह कहा है कि उनके लिए सेट पर कोई वाॅशरूम नहीं होता था और ना ही कोई चेजिंग रूम होता था. इसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी होती थी. वे शूटिंग के दौरान पूरे समय पानी नहीं पीती थीं, वहीदा रहमान ने बताया कि मैंने मुगले आजम के सेट पर बाथरूम बनाने के लिए पैसे दिए थे. 10 दिन बाद जब जाकर पूछा कि क्या बाथरूम बन गया है, तो वहां के एक कर्मचारी ने मुझे बताया कि इंतजाम कर दिया गया है और मैंने पाया कि उन्होंने एक थंडरबाॅक्स वहां रखवा दिया था. ये कुछ उदाहरण हैं, दरअसल फिल्म इंडस्ट्री ने कभी भी इस बारे में सोचा ही नहीं है कि वे शूटिंग के दौरान महिलाओं को क्या सुविधाएं दे, जो उनके लिए बहुत जरूरी हैं.

पिछले लगभग 20 सालों से मुंबई में फिल्म पत्रकारिता कर रही प्रभात खबर की पत्रकार उर्मिला कोरी बताती हैं कि इंडस्ट्री ने दरअसल एक्ट्रेसेस को सुविधाएं देने के बारे में गंभीरता से सोचा ही नहीं है. उनके लिए फिल्म बनाना एक पैशन है और वे इसी सोच के साथ काम करते हैं. एक औरत को चेंजिंग रूम और वाॅशरूम ना होने से क्या परेशानी होती है या अगर वो पीरियड्‌स में हो या प्रेग्नेंट हो तो उसे क्या सुविधा मिलनी चाहिए, इसे लेकर भी कुछ खास नहीं सोचा गया है. हां, यह जरूर कहा जा सकता है कि पुराने समय से अब में काफी बदलाव आ गया है.

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आज हीरोइनों के पास वैनिटी वैन है, वे अपने क्रू के साथ रहती हैं, उनके लिए हाइजिन का ख्याल रखा जाता है और सबसे बड़ी बात कि पिछले 4-5 साल से इंडस्ट्री में इंटिमेसी कोच आ गए हैं, जो इंटिमेंट सीन की शूटिंग के दौरान हीरो को यह बताते हैं कि उन्हें हीरोइन के साथ कैसे पेश आना है, ताकि हीरोइन असहज ना हो. उर्मिला बताती हैं कि मैंने रेणुका शहाणे का इंटरव्यू किया था, तो उन्होंने बताया था कि हम आपके कौन हैं के दौरान भी वैनिटी वैन की सुविधा नहीं थी, जिसकी वजह से वे पानी ही नहीं पीती थीं, तब माधुरी दीक्षित ने उन्हें समझाया था कि आप पानी पीएं हम व्यवस्था कर लेंगे. कहने का आशय यह है कि 1995-96 में भी हीरोइन को पेड़ के पीछे कपड़े बदलने होते थे और बाथरूम जाना हो तो खुले में जाना पड़ता था. इंडस्ट्री में वैनिटी वैन का चलन पूनम ढिल्लो ने अपने खर्च पर शुरू किया था, बाद में सभी स्टार्स ने इसे पसंद किया और इसे अपनाया.

क्या दीपिका की मांग गलत है ?

दीपिका पादुकोण की मांग

बॉलीवुड में आठ घंटे की शिफ्ट का मुद्दा गरमाया हुआ है. कई एक्टर और एक्ट्रेस इसके पक्ष में हैं, वहीं कई इसका विरोध कर रहे हैं. इस वजह से इंडस्ट्री में काम के समय, वर्क-लाइफ बैलेंस और खासकर महिलाओं की स्थिति पर बहस छेड़ी है. मशहूर फिल्म पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज ने प्रभात खबर के साथ बातचीत में बताया कि इंडस्ट्री में आमतौर पर शिफ्ट आठ घंटे की ही होती है,लेकिन फिल्म निर्माण का काम ऐसा है कि ये लोग ओवर वर्क करते हैं, तो एक शिफ्ट 10 घंटे की भी हो जाती है. अगर 10 घंटे से ज्यादा काम होता है, तो फिर उसे ओवरटाइम के तौर पर देखा जाता है. मैंने इतने साल इंडस्ट्री को करीब से देखा है और यह पाया है कि अधिकतर कलाकार अपनी 8 घंटे की शिफ्ट ही करते हैं. हां, यह जरूर है कि वे इन आठ घंटों में पूरा समय फिल्म के काम को ना देकर अपना निजी काम भी करते हैं. मैं सबकी बात नहीं कर रहा हूं , लेकिन इंडस्ट्री में काम का यह पैटर्न है. अब अगर बात अमिताभ बच्चन की हो, आमिर खान की हो, तो वे आठ घंटे की शिफ्ट में आते हैं, तो पूरे समय अपना काम ही करते हैं.

जहां तक बात दीपिका पादुकोण के डिमांड की है, तो उन्होंने कोई ऐसी बात नहीं कही थी, जिसे गलत कहा जाए. उनका बच्चा अभी छोटा है और उसे देखभाल की जरूरत भी है. सबसे बड़ी बात तो यह है कि वो अपना आठ घंटे का काम भी कर रही थीं, लेकिन उनके डायरेक्टर ने इसे स्टारडम करार दिया. सच्चाई यह है कि दीपिका ने स्टारडम की वजह से नहीं, बल्कि जरूरत की वजह से आठ घंटे की शिफ्ट की बात की थी. असल में उन्होंने लिखित तौर पर यह डिमांड की थी, जिसकी वजह से तमाम बखेड़ा हुआ है. इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ भेदभाव की बात अगर करें, तो जो हाल देश के समाज का है, वही फिल्म इंडस्ट्री का भी है. स्टार महिलाओं को दिक्कत कम है, लेकिन जो स्टाॅफ हैं उन्हें दिक्कत है. बाथरूम की सुविधाएं सीमित हैं. यहां एक और बात है कि जो बड़े प्रोडक्शन हाउस हैं, वे अपने यहां हर तरह की सुविधा रखते हैं, ताकि आदमी की बेसिक नीड पूरी हो, लेकिन जो छोटे प्रोडक्शन हाउस हैं, वे इन सब चीजों में पैसा बचाते हैं. चूंकि इंडस्ट्री में रूलबुक जैसा कुछ है नहीं, इसलिए औरतों को परेशानी होती है.

दीपिका पादुकोण की 8 घंटे की वर्किंग शिफ्ट की डिमांड क्या है?

दीपिका पादुकोण ने अपने डायरेक्टर के सामने यह डिमांड रखी है कि चूंकि उनकी बेटी अभी बहुत छोटी है इसलिए उसकी देखभाल के लिए वो 8 घंटे से ज्यादा का काम एक दिन में नहीं करेगी.

दीपिका पादुकोण की 8 घंटे की शिफ्ट को लेकर चर्चा क्यों हो रही है?

दीपिका पादुकोण की डिमांड डायरेक्टर ने नहीं मानी और दीपिका को फिल्म छोड़नी पड़ी है, इसलिए यह मसला चर्चा में है.

दीपिका पादुकोण के कितने बच्चे हैं?

दीपिका पादुकोण की एक बेटी है दुआ, जिसकी उम्र अभी मात्र एक साल है.

दीपिका पादुकोण की उम्र कितनी है?

दीपिका पादुकोण की उम्र 39 साल है.

8 घंटे की शिफ्ट को लेकर दीपिका पादुकोण ने कौन सी फिल्म छोड़ दी है?

‘स्पिरिट’ और ‘कल्कि2’ को दीपिका ने 8 घंटे की शिफ्ट की डिमांड ना माने जाने पर छोड़ दी है.

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