Changing Word Usage : क्या आप जानते हैं Gay का अर्थ पहले था रंगीन-खुशमिजाज और हैकर का एक्सपर्ट?
Changing Word Usage : ठहराव किसी भी चीज को जहां समाप्त कर देता है, वहीं बदलाव उसे गतिशील रखता है. संभव है कि इस गतिशीलता में कुछ परिवर्तन हों,लेकिन वो खत्म होने से बेहतर स्थिति होती है. भाषा के बदलाव में भी यही सिद्धांत काम करता है, परिणाम यह होता है कि कई बार शब्दों के अर्थ उनके प्रयोग के अनुसार बदल जाते हैं.जैसे अवतार शब्द को देखें, तो इसका अर्थ पहले भगवान का धरती पर अवतरित होना था, लेकिन आज के संदर्भ में अवतार डिजिटल दुनिया में किसी व्यक्ति का प्रतिनिधि है. भाषा के बदलाव में बदलती संस्कृति का भी अहम रोल होता है. आज जो भाषा हमारे सामने है, उसपर वैश्वीकरण का भी बहुत प्रभाव दिखता है.
Changing Word Usage : मानव के विकास के साथ ही भाषा का भी विकास हुआ. विकास के क्रम में भाषाओं ने भी अपना स्वरूप बदला है और काल और परिस्थितियों के अनुसार जहां जरूरत पड़ी विस्तार किया और जहां जरूरत दिखी वहां खुद को समेटा भी. यह स्थिति किसी खास भाषा के साथ हो ऐसा नहीं है, विश्व की तमाम भाषाओं में यह प्रैक्टिस दिखती है. बदलने के क्रम में एक बड़ी चीज जो हर भाषा में दिखती है, वो है शब्दों का अर्थ परिवर्तन या कहें कि उनके प्रयोग में परिवर्तन तो ज्यादा बेहतर होगा. आज अगर हिंदी और अंग्रेजी भाषा को देखें तो कई ऐसे शब्द मिलते हैं जो निर्माण के वक्त जिस तरह से प्रयोग किए जाते हैं, उससे कहीं व्यापक स्वरूप में आज उनका प्रयोग हो रहा है. ऐसा क्यों होता है आइए समझते हैं-
भाषा का होता है विस्तार और सिकुड़न
रांची विश्वविद्यालय के हिंदी के रिटायर्ड प्रोफेसर और भाषाविद् अशोक प्रियदर्शी बताते हैं कि कोई भी भाषा जब लंबा सफर तय करती है, तो उसके स्वरूप में बदलाव आता है, कई बार वह सिकुड़ती है; तो कई बार भाषा का विस्तार भी होता है. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो भाषा विस्तार के दौरान होती है. मसलन हिंदी का एक शब्द है-मृगया. मृगया शब्द का अर्थ पहले मृग के शिकार से जुड़ा था, जिसका अर्थ था मृग का शिकार. आज के संदर्भ में मृगया शब्द का अर्थ पशुधन के रूप में होता है. ऐसा ही एक शब्द है गुरु, जिसका प्रयोग पहले ज्येष्ठ, वंदनीय, श्रेष्ठ और महान व्यक्तियों के संदर्भ में होता था, लेकिन आज के समय में इस शब्द का प्रयोग सिर्फ शिक्षक के लिए होता है. यानी गुरु शब्द भाषा के फैलाव का नहीं उसके सिकुड़न का उदाहरण है.
शब्दों के प्रयोग का होता है विस्तार
सरला बिरला स्कूल की सीनियर हिंदी टीचर मुक्ति शाहदेव बताती हैं कि जब कोई भी भाषा घिसती है, तो उसके शब्दों के प्रयोग का विस्तार होता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि हम दस बच्चों को लेते हैं और पहले बच्चे के कान में कोई शब्द कहते हैं. फिर दूसरा बच्चा उस शब्द का अर्थ तीसरे को बताता है, फिर चौथा और फिर पांचवां बच्चा. जब दसवां बच्चा उस शब्द के अर्थ को परिभाषित करता है, तो वह एक नए स्वरूप में सामने आता है. भाषा के विस्तार के क्रम में कई बार शब्दों का प्रयोग विस्तारित हो जाता है, वहीं कई बार वे रूढ़ भी हो जाते हैं. जैसे एक शब्द है बलात्कार, जिसका अर्थ होता है बलपूर्वक किया गया कार्य. आज की स्थिति में बलात्कार शब्द का प्रयोग बलपूर्वक बनाए गए शारीरिक संबंध के लिए प्रयुक्त होता है.
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कुछ शब्द और उनके बदलते अर्थ:-
| शब्द | पुराना अर्थ | नया अर्थ |
|---|---|---|
| अवतार (Avatar) | भगवान का पृथ्वी पर अवतरण | वर्चुअल प्रोफाइल/डिजिटल कैरेक्टर |
| मृगया | मृग का शिकार | पशुधन |
| गे ( Gay) | खुश, रंगीन | समलैंगिक व्यक्ति |
| हैकर ( Hacker) | सिस्टम सुधारने वाला विशेषज्ञ | साइबर अपराधी |
| मीम्स (Meme) | संस्कृति में फैलता विचार | इंटरनेट जोक / वायरल कंटेंट |
| वायरल (Viral) | वायरस से फैलने वाला | तेजी से फैलने वाला कंटेंट |
| ठग (Thug) | ठगों का हिंसक समूह | गैंगस्टर/अपराधी |
| अमेजन (Amazon) | योद्धा महिलाएं | वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनी |
| टैबलेट (Tablet) | लिखने की पट्टी | डिजिटल डिवाइस |
| खाकी (Khaki) | मिट्टी का रंग | पुलिस/फौजी वर्दी |
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