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कोरोना टीकाकरण बढ़ाने पर जोर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 18 साल से अधिक आयु के लोगों को तीसरी खुराक मुफ्त में देने का फैसला कर जरूरी कदम उठाया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सरकारी केंद्रों पर 75 दिनों के लिए कोरोना टीके की तीसरी खुराक मुफ्त देने का सराहनीय फैसला किया है. अभी तक केवल स्वास्थ्यकर्मियों, अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत लोगों तथा साठ साल की आयु से अधिक के बुजुर्गों को ही सरकारी केंद्रों पर तीसरा टीका मुफ्त दिया जा रहा था. कुछ दिनों पहले दूसरी और तीसरी खुराक के बीच की अवधि को घटाकर नौ से छह महीने कर दिया गया था.

उल्लेखनीय है कि दो माह पहले वयस्कों को तीसरी खुराक यानी बूस्टर डोज देने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. तीसरी खुराक को मुफ्त देने की मांग कई दिनों से हो रही थी. जब दूसरी और तीसरी खुराक के बीच में नौ महीने का अंतराल रखा गया था, तब इसकी बड़ी वजह यह थी कि हमारे पास समुचित मात्रा में टीकों की आपूर्ति नहीं थी. टीके से प्राप्त सुरक्षा छह महीने तक बहुत अच्छी तरह से कारगर रहती है और छह से नौ माह के बीच उसकी क्षमता में कमी आती है तथा नौ महीने के बाद वह मामूली रूप से कारगर रहता है.

लेकिन टीकों के स्टॉक के बढ़ने के साथ यह मांग भी बढ़ती जा रही थी कि बूस्टर डोज लेने की समय सीमा में कमी की जाये. कुछ समय पहले आयी सूचनाओं से पता चला था कि जुलाई में वैक्सीन की 15 करोड़ खुराक एक्सपायर हो जायेगी यानी उसे फेंक देना पड़ेगा. तब एक सप्ताह में केवल एक करोड़ खुराक की ही खपत हो रही थी. अवधि को तीन माह कम करने से बहुत सारा खुराक इस्तेमाल हो सकेगा.

जब वयस्क आबादी के लिए तीसरी खुराक को मुफ्त नहीं देने का फैसला हुआ था, तभी यह अनुमान लगाया गया था कि इससे टीकाकरण की गति में कमी आयेगी. इसकी एक वजह तो यह थी कि आबादी के बहुत बड़े हिस्से को टीकों की दो खुराक निशुल्क दी गयी थी, तो तीसरा टीका खरीदने में बहुत से लोगों को हिचक हुई.

दूसरा कारण यह रहा कि कोविड संक्रमण में जनवरी-फरवरी के बाद से तेजी से कमी आयी और लोग कुछ निश्चिंत होने लगे. ऐसे में तीसरी खुराक लोगों की प्राथमिकता में नहीं रही. यह भी समझना होगा कि जब मुफ्त में टीका देने के बावजूद कई लोगों में उत्साह नहीं होता, तो पैसा देकर खुराक लेना तो और भी मुश्किल मामला है. ऐसे में होगा यह कि खुराकों के बीच की अवधि बढ़ती जायेगी और उत्पादित वैक्सीन बर्बाद होगी.

कुछ राज्यों ने अपने तरफ से यह घोषणा की कि वे तीसरी खुराक अपनी ओर से देंगे. लेकिन अनेक राज्य, जैसे- महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि, में ऐसा नहीं हुआ. इन राज्यों में 18 साल से ऊपर के लोगों में तीसरी खुराक का कवरेज एक प्रतिशत के आसपास है, जबकि साठ साल से ऊपर के आयु वर्ग(जिन्हें मुफ्त में तीसरी खुराक दी जा रही है) में यह आंकड़ा लगभग 26 प्रतिशत है.

अभी यह समस्या आ रही है कि जो लोग को-मॉर्बिडिटी यानी जिन्हें कुछ गंभीर बीमारियां हैं और जिनकी आयु साठ साल से अधिक है, उनमें संक्रमण हो रहा है. इसी आयु वर्ग में मौतें भी हो रही हैं. अभी जो वायरस ओमिक्रॉन अधिक सक्रिय है, वह बहुत कम घातक है. इससे संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती नहीं कराना पड़ रहा है और न ही उन्हें ऑक्सीजन या अन्य आपात सहायता की आवश्यकता हो रही है.

जो मृत्यु दर एक हजार लोगों में 12 मौतों की थी, वह एक पर आ गयी. यही दर कमोबेश फ्लू संक्रमण में है. तो, जब आप फ्लू से नहीं डरते, तो वैसा ही ओमिक्रॉन के साथ हुआ और लोग शांत हो गये. संक्रमित होने से या वैक्सीन लेने से प्रतिरोधक क्षमता आती है. संक्रमण और वैक्सीन के संयुक्त रूप से प्राप्त क्षमता सबसे कारगर मानी जाती है. अनुमान है कि ऐसी क्षमता के 90 प्रतिशत लोग हमारे देश में हैं. शेष लोगों के संक्रमित होने की संभावना अधिक है.

बारह साल से कम आयु के बच्चों को अभी टीका नहीं दिया जा रहा है, जबकि हमारे पास टीका भी है और इस संबंध में अध्ययन भी हो चुके हैं. इसका कारण यह है कि बच्चों में संक्रमण नहीं आया है और कुछ बच्चों में वायरस आया भी, तो वह गंभीर रूप से बीमार नहीं बनाता है. लेकिन इस कारण स्कूलों पर प्रतिकूल असर हो रहा है. किसी बच्चे को संक्रमण हो जाता है, तो पूरा स्कूल बंद करना पड़ता है.

इस संबंध में तीन बातें हैं- एक, बच्चों को संक्रमण से बचाना है, दूसरा, स्कूल चलते रखना है और तीसरा, बच्चे जब घर में वायरस लायेंगे, तो बुजुर्ग उसके शिकार बन सकते हैं. यह हमारे सामने बड़ी चुनौती है. इसमें टीकाकरण का दायरा बढ़ाकर कुछ कमी की जा सकती है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने 18 साल से अधिक आयु के लोगों को तीसरी खुराक मुफ्त में देने का फैसला कर जरूरी कदम उठाया है. सरकार की ओर से मुफ्त टीकाकरण के कारण ही हम आबादी के बहुत बड़े हिस्से को पहली और दूसरी खुराक दे सके हैं. इस निर्णय से टीकाकरण में निश्चित ही तेजी आयेगी.

हमें यह समझना होगा कि अब कोरोना संक्रमण उतनी बड़ी चुनौती नहीं रहा है, पर हमें बचाव को लेकर गंभीर बने रहना होगा. जिन लोगों ने दो खुराक ले ली है, उन्हें तीसरी खुराक ले लेना चाहिए. जिन्होंने पहली या दूसरी खुराक अभी तक नहीं ली है, उन्हें अब कोई देरी नहीं करनी चाहिए. जो बच्चे 12 से 18 साल के हैं, उनका टीकाकरण भी हो जाना चाहिए तथा जब 12 साल से कम के बच्चों के लिए अनुमति मिलती है, तो उन्हें भी खुराक समय से दे दिया जाना चाहिए.

यह याद रखना चाहिए कि टीका सबसे असरदार सुरक्षा प्रदान करता है. भीड़ भरे इलाके में, बस, ट्रेन और जहाज में यात्रा करते हुए, बाजार में आप मास्क लगाना न भूलें. इसी प्रकार किसी सभागार या मैरेज हॉल जैसी जगहों पर भी सावधानी रखनी चाहिए. घर में, परिवार के साथ या कहीं बाहर खाना खाते समय मास्क लगाना जरूरी नहीं है.

हमारी अनुसंधान संस्थाओं तथा सरकारी एजेंसियों को लगातार इस बात पर नजर रखनी चाहिए कि कहीं वायरस का कोई नया रूप तो नहीं आ रहा है. ऐसी निगरानी हमें भविष्य की किसी अवांछित समस्या से बचा सकती है. अभी भी जो मौतें हो रही हैं, उसे भी रोकना होगा और यह अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं पर समुचित ध्यान देकर किया जा सकता है.

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