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जन धन का दुरुपयोग

निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों द्वारा आम लोगों की परेशानियों की अनदेखी कर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की परिपाटी-सी बन गयी है. इस कड़ी में ताजा उदाहरण तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव हैं. तेलंगाना को अलग राज्य बनाये जाने के आंदोलन में राव के संघर्षपूर्ण योगदान से प्रभावित जनता ने उन्हें सरकार की कमान सौंपी थी, लेकिन […]

निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों द्वारा आम लोगों की परेशानियों की अनदेखी कर सार्वजनिक धन के दुरुपयोग की परिपाटी-सी बन गयी है. इस कड़ी में ताजा उदाहरण तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव हैं. तेलंगाना को अलग राज्य बनाये जाने के आंदोलन में राव के संघर्षपूर्ण योगदान से प्रभावित जनता ने उन्हें सरकार की कमान सौंपी थी, लेकिन सत्ता में आने के साथ ही उनकी प्राथमिकताएं बदलने लगीं.
बुधवार को राव ने नये बने मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश किया है. करीब नौ एकड़ परिसर में बने इस भव्य भवन पर आधिकारिक रूप से 33 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. सुरक्षा के लिहाज से पूरी तरह चाक-चौबंद विशाल इमारत में स्नानघरों को भी बुलेट-प्रूफ बनाया गया है. उल्लेखनीय है कि मौजूदा मुख्यमंत्री आवास भी शानदार आवासों में गिना जाता है, जिसे संयुक्त आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाइएस राजशेखर रेड्डी ने पांच करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 2005 में बनवाया था.
अब सवाल यह है कि एक आवास के रहते हुए इतनी बड़ी दूसरी इमारत बनाने की जरूरत क्यों आन पड़ी. जाहिर है, शान-शौकत से रहने के आदी मुख्यमंत्री के पास इसका भी कोई तर्क होगा, जिनका दो साल का कार्यकाल परिवारवाद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है. तेलंगाना लगातार तीन साल से सूखे की चपेट में है और जल-संकट से गांवों से लेकर राजधानी हैदराबाद तक के लोग परेशान हैं.
वहां किसानों की आत्महत्या की खबरें आम हैं और रोजगार की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पलायन हो रहा है. खेती की ऊपज कम है और किसान पशुओं को औने-पौने दाम पर बेचने के लिए मजबूर हैं. राव सरकार यह दावा जरूर कर रही है कि लोगों को राहत पहुंचाने और हालात बेहतर बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं, पर अनाज वितरण के केंद्र और गरीबों के लिए भोजनालय जैसे उपाय सिर्फ फौरी तौर पर राहत मुहैया करा सकते हैं.
इनकी पहुंच भी सीमित है. राज्य की विकराल होती समस्याओं के लिए ठोस प्रशासनिक और नीतिगत पहल की जरूरत है. राव सरकार के पैंतरों से किसी गंभीरता का संकेत नहीं मिल रहा है. यह सही है कि राव या राजनेताओं के लिए पर्याप्त सुरक्षा के साथ आवासों तथा कार्यालयों की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए, लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री जिस प्रकार से जनता की गाढ़ी कमाई को अपनी सुख-सुविधा पर खर्च कर रहे हैं, उसे कतई उचित नहीं कहा जा सकता है.

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