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हेलीकॉप्टर डील रद्द करने के मायने

।। प्रमोद भार्गव ।। वरिष्ठ पत्रकार भारत हथियार खरीदनेवाले देशों में अव्वल है, इसलिए हथियार बेचनेवाले दलालों का सेना अधिकारियों को प्रलोभन देना लाजिमी है. 2007 से 2011 के बीच भारत ने 11 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, जो वैश्विक बिक्री का 10 फीसदी है. मनमोहन सरकार ने विदेशी कंपनी से वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीदने […]

।। प्रमोद भार्गव ।।

वरिष्ठ पत्रकार

भारत हथियार खरीदनेवाले देशों में अव्वल है, इसलिए हथियार बेचनेवाले दलालों का सेना अधिकारियों को प्रलोभन देना लाजिमी है. 2007 से 2011 के बीच भारत ने 11 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, जो वैश्विक बिक्री का 10 फीसदी है. मनमोहन सरकार ने विदेशी कंपनी से वीवीआइपी हेलीकॉप्टर खरीदने का सौदा रद्द कर देश की जनता को संदेश दिया है कि वह अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ती दिखना चाहती है. इस सौदे का रद्द होना इसलिए भी जरूरी था, क्योंकि घोटाले में पूर्व वायु सेना अध्यक्ष एसपी त्यागी का नाम सीबीआइ की एफआइआर में पहले ही दर्ज हो चुका था.

एंग्लो-इतावली कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड से वायुसेना ने 12 हेलीकॉप्टर खरीदने का करार 2010 में किया था. इनकी कीमत 3600 करोड़ रुपये थी. आरोपों के मुताबिक इस करार के दौरान 360 करोड़ रुपये की रिश्वत सेना अधिकारियों एवं बिचैलियों के बीच बांटी गयी थी. इसका भंडाफोड़ इटली पुलिस ने किया था. बाद में सीबीआइ जांच में पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एसपी त्यागी भी इसमें लिप्त पाये गये थे.

सीबीआइ ने हेलीकॉप्टर घूसकांड में पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी सहित 13 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. त्यागी भारतीय वायुसेना के ऐसे पहले प्रमुख थे, जिनका नाम भ्रष्टाचार से जुड़े घोटाले में आपराधिक भूमिका की कूट रचना करने में सामने आया था.

सतीश बगरोडिया और उनकी कंपनी आइडीएस इन्फोटेक के प्रबंध निदेशक प्रताप अग्रवाल के नाम भी आपराधिक सूची में दर्ज हैं. सतीश पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री संतोष बगरोडिया के भाई हैं. सीबीआइ ने चार कंपनियों के नाम भी एफआइआर में दर्ज किये थे. सॉफ्टवेयर कंपनियों पर घूसकांड की आंच इसलिए आयी है, क्योंकि इन्हीं कंपनियों के माध्यम से रिश्वत का पैसा भारत लाया गया.

भारत में हेलीकॉप्टर घोटाले के संकेत तीन साल पहले ही मिल गये थे, लेकिन केंद्र सरकार चुप्पी साधे रही, क्योंकि वह लगातार घोटालों का सामना करने से बचना चाहती थी, वरना इटली की सबसे बड़ी औद्योगिक कंपनी फिनमैकनिका के सीइओ गुइसेपे ओरसी को तो इटली पुलिस ने इसी हेलीकॉप्टर सौदे में 12 फरवरी, 2010 को ही हिरासत में ले लिया था.

इसी समय यह सौदा मंजूर हुआ था और इस मंजूरी के साथ ही पूर्व वायुसेना अध्यक्ष एसपी त्यागी का नाम गड़बड़ घोटाले में उछलने लगा था. जांच में सीबीआइ को इटली में मौजूद बिचौलियों से जो दस्तावेज हाथ लगे, माना जा रहा है कि उन्हीं के आधार पर हेलीकॉप्टर डील को रद्द किया गया है.

वैसे नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी अपनी रिपोर्ट में इस सौदे में नियमों की अनदेखी की टीप लगायी थी. सौदे में वास्तविक मूल से कहीं ज्यादा का भुगतान किया गया, जिसमें 900 करोड़ रुपये की धांधली का अंदाजा कैग ने लगाया था.

इटली पुलिस ने भारत की सीबीआइ को जो जानकारी दी है, उसके मुताबिक अगस्तावेस्टलैंड से हेलीकॉप्टर खरीदने के लिए 3546 करोड़ रुपये के सौदे में 2004 से 2007 के बीच कार्यवाही आगे बढ़ाने की प्रक्रिया के दौरान एसपी त्यागी को रिश्वत दी गयी. इसकी सौदेबाजी त्यागी के चचेरे भाई संजीव कुमार त्यागी उर्फ जूली, संदीप त्यागी और डोक्सा त्यागी के माध्यम से हुई. ये सभी नाम इटली पुलिस द्वारा दर्ज की गयी एफआइआर में शामिल हैं.

त्यागी इन्हीं सालों में भारतीय वायुसेना के अध्यक्ष थे. हालांकि त्यागी ने इन आरोपों का खंडन इस आधार पर किया था कि ‘मैं सेनाध्यक्ष के पद से 2007 में सेवानिवृत्त हो गया था, जबकि सौदे के अनुबंध पर हस्ताक्षर 2010 में हुए हैं.’ लेकिन यहां गौरतलब है कि उन्हें कंपनी की मंशानुसार हेलीकॉप्टर खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में दोषी पाया गया है. यदि उनकी भूमिका निष्पक्ष व निर्लिप्त होती तो खरीद प्रक्रिया कंपनी की इच्छानुसार आगे बढ़ती ही नहीं.

दरअसल हेलीकॉप्टर के तकनीकी चयन में फेरबदल करने के लिए रिश्वत दी गयी थी. चूंकि अगस्तावेस्टलैंड से कथित रिश्वत लेना तय हो गया था, इसलिए हेलीकॉप्टर द्वारा उंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता को घटा दिया गया. निविदा की शर्तो में भी बदलाव किये गये.

भारत हथियार खरीदनेवाले देशों में अव्वल है, इसलिए हथियार बेचनेवाले दलालों का सेना अधिकारियों को प्रलोभन देना लाजिमी है. 2007 से 2011 के बीच भारत ने 11 अरब डॉलर के हथियार खरीदे हैं, जो दुनिया भर में हुई हथियारों की बिक्री का 10 फीसदी है. अंदाजा है कि अगले 10 साल में भारत 100 अरब डॉलर की कीमत के लड़ाकू विमान, युद्धपोत और पनडुब्बियां खरीदेगा.

10 अरब डॉलर के हेलिकॉप्टर भी खरीदे जाने हैं. जाहिर है, दलाल सेना अधिकारियों को पटाने की कोशिश में लगे रहते हैं. पूर्व थल सेना अध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने 2012 में सेवानिवृत्त होने से पहले आरोप लगाया था कि उन्हें 600 टैट्रा टक खरीदने के लिए 14 करोड़ रुपये रिश्वत देने की पेशकश की गयी थी.

यदि त्यागी दलालों के प्रलोभन में न आकर वीके सिंह की तरह लालच दिये जाने का परदाफाश करते तो आज वे भी वीके सिंह की तरह देश के आदर्श नायकों की श्रेणी में शामिल हो गये होते.

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