।। पुष्यमित्र।।
(पंचायतनामा, रांची)
देश के ‘समस्यानंदों’ को अब चुप हो जाना चाहिए. अब देश में क्या परेशानी बची है? अगर बची भी है, तो लोकसभा चुनाव के बाद नहीं बचेगी. अरे भाई, हवा-हवाई बात नहीं कर रहा. आप लोग चौबीस घंटा केजरीवाल की खबर सुनेंगे, तो कैसे पता चलेगा? राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी, देश के दो कद्दावर नेताओं ने जो उद्गार व्यक्त किये हैं, उनका भी तो मतलब समझिये. अब कहियेगा, क्या कहा उन लोगों ने, हमने तो ऐसा कुछ नहीं सुना जिससे सारी समस्या खत्म हो जायेगी. तो लीजिये, हम बता ही देते हैं.
सबसे पहले मोदी का बयान. अपने ब्लॉग पर ‘साहब’ ने साफ-साफ लिख दिया है कि गुजरात दंगों के कारण उनकी रात की नींदें उड़ गयी थीं. वे उन दिनों काफी उद्विग्न रहते थे. उन्हें विस्तार से बताया कि कैसे वे सांप्रदायिक सौहार्द के सबसे बड़े समर्थक हैं और दुनियावाले कैसे उन्हें दंगाई समझने और बताने लगे हैं. अब मेरी भी राय है कि उन लोगों को चुप हो जाना चाहिए जो मोदी जी को सांप्रदायिक बता कर उनके विकास को दागदार साबित करते रहते हैं. अदालत ने तो पहले ही उन्हें क्लीन चिट दे दी है, उन्होंने इसके बाद खुद ही खुद को एक क्लीन चिट की माला पहना दी है. अब आपलोग ज्यादा मीन मेख निकाल कर मोदी जी के क्लीन चिट पर दाग नहीं लगाइये. निश्चिंत रहिये, भारत का यह शेर अब इस देश में न दंगा करायेगा और न किसी को कराने देगा.
इसी तरह युवा हृदय सम्राट राहुल गांधी ने भी साफ कह दिया है कि भ्रष्टाचार को खत्म कर देना है. वे भ्रष्टाचार मिटाने के लिए कमर कस कर तैयार हैं. मगर देखिये विपक्षी दलों को वे इस लड़ाई में उनका साथ नहीं दे रहे. बहरहाल विपक्षी साथ दें, न दें, हमारे लालू जी और कोड़ा जी इस महत्वपूर्ण लड़ाई में उनका साथ देने के लिए कमर कस कर उतर गये हैं. उनकी ही पार्टी के महाराष्ट्र के नेता भी बखूबी साथ निभा रहे हैं. आदर्श मामले की जांच रिपोर्ट सामने आने ही नहीं दे रहे. अगर भ्रष्टाचार की रिपोर्ट सामने आ गयी तो विपक्षी हल्ला करने लगेंगे.
फिर देश को लगने लगेगा कि कोई भ्रष्टाचार हो गया और लोग भ्रष्टाचार से परेशान हो जायेंगे. इसलिए भ्रष्टाचार को खत्म करने का सबसे अच्छा उपाय है कि भ्रष्टाचार की शिकायत सुनी ही न जाये और कोई लफंगा शिकायत करने पर उतारू हो जाए तो उसे कठोर सजा दी जाये. शिकायत हो गयी हो, तो उसकी जांच न हो और जांच हो भी जाये तो रिपोर्ट दबा दी जाये. इस पूरी प्रक्रिया में नुकसान अंतत: जनता को होता है. वह बेवजह परेशान होती है. टेंशन में आ जाती है कि देखिये देश में कितना भ्रष्टाचार है. अगर जांच न हो और रिपोर्ट दबायी जाये, तो पब्लिक सोचेगी देश में भ्रष्टाचार नहीं है और एक वही अभागा है जिससे बाबू पैसा ले लेता है, बाकी देश में तो रामराज्य आ गया है.