शिक्षा की राजधानी कहे जाने वाले बोकारो के मजदूर मैदान में गत 19 से 25 नवंबर तक चले झारखंड पुस्तक मेले में झारखंडी भाषा- साहित्य को स्थान नहीं मिलना, आयोजकों की गंभीर भूल की ओर इशारा करता है. इस कमी का एहसास संभवत: अनेक पुस्तकप्रेमियों को हुआ होगा.
रांची में कई प्रकाशन संस्थान एवं पुस्तक प्रतिष्ठान झारखंडी भाषा साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन में जुटे हैं, जिनमें प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, शहीद रघुनाथ महतो फाउंडेशन, संथाली साहित्य विकास परिषद, झारखंड झरोखा आदि प्रमुख हैं. संभवत: संपर्क के अभाव में यह स्थिति बनी हो. धमाकेदार उद्घाटन और रंगारंग कार्यक्र म के साथ समाप्त हुए इस पुस्तक मेले का आयोजन बोकारो में होना, अपने आप में बहुत बड़ी बात है. आशा है कि आगे होनेवाले आयोजन बेहतर होंगे.
महादेव महतो, बोकारो