8.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

व्यवस्था ने मजदूरों को बना दिया पशु

देश के तमाम लोगों ने अनाजों और साग-सब्जियों की मंडियां तो देखी होंगी, लेकिन क्या किसी ने मजदूरों की मंडी देखी है? देश के हर छोटे-बड़े शहर में मजदूरों की मंडी रोज सजती है. अलस्सुबह. जिस समय तक ज्यादातर लोग सोकर उठते भी नहीं होंगे, आसपास के गांव के लोग या शहरी मजदूर खुद को […]

देश के तमाम लोगों ने अनाजों और साग-सब्जियों की मंडियां तो देखी होंगी, लेकिन क्या किसी ने मजदूरों की मंडी देखी है? देश के हर छोटे-बड़े शहर में मजदूरों की मंडी रोज सजती है.
अलस्सुबह. जिस समय तक ज्यादातर लोग सोकर उठते भी नहीं होंगे, आसपास के गांव के लोग या शहरी मजदूर खुद को इस मंडी में दिहाड़ी पर बिकने के लिए पेश करते हैं. इस मंडी में कुली, रेजा, कुशल- अकुशल सभी प्रकार के मजदूर मिल जायेंगे.
इनको बेचने और खरीदने के लिए इस मंडी में भी दलालों का बोलबाला है. जिन्हें जितनी संख्या में जितने दिनों के लिए मजदूर की जरूरत होती है, वे उसी मुताबिक इन दलालों से संपर्क करते हैं और तभी शुरू होती है मजदूरों की खरीद-फरोख्त. इन्हें ट्रकों में जानवरों की तरह भर कर कार्यस्थल पर ले जाया जाता है. सवाल है कि क्या मजदूरों को हमारी व्यवस्था ने पशु बना दिया है?
अंबिका दास, जमशेदपुर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें