टेलीविजन पर इनक्रेडिबल इंडिया (अतुल्य भारत) के विज्ञापन देख कर मुङो अपने भारतीय होने पर गर्व होता है. लेकिन जब देश की वास्तविक स्थिति से सामना होता है, तो भारत का परिदृश्य कुछ और ही नजर आता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व की एक तिहाई गरीबी भारत में है. भ्रष्टाचार में हमारे देश का कोई सानी नहीं है. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. उसी तरह महिलाओं पर अत्याचार भी लगातार बढ़ रहे हैं. क्षेत्रवाद बढ़ रहा है.
कानून-व्यवस्था की स्थिति दयनीय है. अर्थव्यवस्था लगातार हिचकोले खा रही है. राजनेता जनता के भरोसे को लगातार चोट पहुंचा रहे हैं. नक्सलवाद की समस्या भयावह रूप ले रही है. पड़ोसी हमारे देश को घेर रहे हैं और हम उसे जवाब तक नहीं दे पा रहे हैं. क्या ऐसे ही आजाद भारत की कल्पना की थी हमारे देश के महापुरुषों ने? नीरज कुमार, हेहल, रामगढ़