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राजपथ पर नारीशक्ति को सम्मान

भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व के अवसर पर 26 जनवरी को राजपथ पर नारीशक्ति का प्रदर्शन लोगों को गौरवान्वित करनेवाला था. सेना के सभी अंगों और अन्य अर्धसैनिक बलों के द्वारा नारीशक्ति का प्रदर्शन किया गया. परेड में शामिल विभिन्न झांकियां भी देश की आन, बान और शान को प्रदर्शित कर रही थीं. नारीशक्ति […]

भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व के अवसर पर 26 जनवरी को राजपथ पर नारीशक्ति का प्रदर्शन लोगों को गौरवान्वित करनेवाला था. सेना के सभी अंगों और अन्य अर्धसैनिक बलों के द्वारा नारीशक्ति का प्रदर्शन किया गया. परेड में शामिल विभिन्न झांकियां भी देश की आन, बान और शान को प्रदर्शित कर रही थीं. नारीशक्ति के साथ सैन्यशक्ति का प्रदर्शन भी अलौकिक छटा प्रस्तुत कर रहा था.

परेड में शामिल नारियों के चेहरे पर आत्मविश्वास स्पष्ट परिलक्षित हो रहा था. वे इस बात को दर्शाना चाह रही थीं कि दुनिया में कोई काम ऐसा नहीं बचा है, जिसे नारियां नहीं कर सकती हैं. महिला दस्तों ने मोदी से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, अमेरिका की प्रथम महिला मिशेल ओबामा और देश के सवा सौ करोड़ निवासियों का मन मोह लिया. महिलाओं के इस प्रदर्शन से मंत्रमुग्ध अमेरिकी मेहमान भी उनकी तारीफ करने से खुद को नहीं रोक सके. अब यह बात सबको माननी पड़ेगी कि नारी पुरुषों के समान सभी कार्यो को अंजाम देने का माद्दा रखती है. गणतंत्र दिवस के थीम में नारीशक्ति को प्रथम स्थान देकर सरकार ने भारतीय महिलाओं को सम्मान दिया है और तीनों सेनाओं ने महिलाओं को एक शक्ति और हौसला बढ़ाने का प्रभावी संदेश दिया है.

सरकारी स्तर पर हौसला बढ़ाने के लिए किये जानेवाले उपाय के बावजूद आज देश में आधी आबादी बेचारी बनी हुई है. इस आधी आबादी का विकास जरूरी है, तभी देश का विकास होगा. बिना नारी के विकास के देश का विकास संभव ही नहीं है. ठीक ही कहा गया है कि कोई देश कितना सभ्य है, इसका पता इससे चलता है कि वह अपनी स्त्रियों के साथ कैसा व्यवहार करता है.

पूनम गुप्ता, मधुपुर

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