19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड में कुपोषण की विकट चुनौती

यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकरिया ने राजधानी रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कुपोषण राज्य की सबसे बड़ी समस्या है. राज्य में 20 हजार बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं. इसकी गंभीरता को बताने के लिए आंकड़े काफी नहीं. कुपोषण की दृष्टि से झारखंड मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर आता […]

यूनिसेफ के झारखंड प्रमुख जॉब जकरिया ने राजधानी रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि कुपोषण राज्य की सबसे बड़ी समस्या है. राज्य में 20 हजार बच्चे कुपोषण के कारण मरते हैं. इसकी गंभीरता को बताने के लिए आंकड़े काफी नहीं. कुपोषण की दृष्टि से झारखंड मध्य प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर आता है.

गंभीर मसले को जब अगंभीरता से लिया जाता है तो उसकी गंभीरता कहीं अधिक मारक होती है. कुपोषण के मामले में प्रदेश का रवैया कुछ ऐसा ही है. नेशनल गाइडलाइन के साल भर पहले के आंकड़े के अनुसार, झारखंड में तब कुल 5.44 लाख बच्चे कुपोषण के शिकार थे. यह आकलन 2011 की जनगणना पर आधारित है. तब राज्य के समाज कल्याण विभाग का आंकड़ा इस बाबत कुछ और ही बयां कर रहा था. उसके मुताबिक झारखंड में तब सिर्फ 90 हजार बच्चे कुपोषण के शिकार थे. आंकड़ों का यह विरोधाभास अजब इसलिए लगता है कि इस मामले में राज्य के पास कोई अपडेट और प्रामाणिक आंकड़ा नहीं जिसे सर्वस्वीकृत माना जाये. तब महालेखाकार ने इस पर सवाल भी उठाये थे. यह सवाल दुमका, गढ़वा और धनबाद के सैंपल पर आधारित था.

महालेखाकार की इस आपत्ति के बावजूद अब भी इस स्थिति में कोई खास फर्क नहीं पड़ा. प्रदेश में बच्चों के कुपोषण का मामला ज्यादा गंभीर इसलिए भी है कि यही वह उम्र है जब जीवन के स्वप्नों की नींव पड़ती है. सारी अभिलाषा, आकांक्षा सार रूप में तभी अवचेतन को अपना घर बना लेती है. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि जीवन में हम जो भी बनते हैं उस पर इस उम्र की छाप कहीं न कहीं पड़ती है. एक तथ्य है कि ये बच्चे (पांच साल तक) झारखंड की कुल आबादी 3.29 करोड़ के 11.8 प्रतिशत हैं.

इस तरह 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य में इनकी संख्या 46.15 लाख होती है. आबादी में इतनी बड़ी संख्या की उपेक्षा तो हरगिज नहीं की जा सकती है, तब तो और भी नहीं जब यह हमारा आनेवाला कल है. इस दिशा में महत्वाकांक्षी कार्यक्रम और गंभीर कार्ययोजना के बिना कोई सार्थक पहल नहीं की जा सकती. उपेक्षा जारी रही तो बच्चों का कुपोषण, एक मसला भर नहीं रह कर भविष्य का गंभीर संकट बन जायेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें