30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

चुनाव मार्फत सोशल मीडिया

अरविंद दास पत्रकार एवं लेखक arvindkdas@gmail.com पिछले दिनों चुनाव विश्लेषक और चर्चित टीवी पत्रकार प्रणय राय ने एक बातचीत के दौरान लोकसभा चुनाव (2019) को ‘व्हाॅट्सएप इलेक्शन’ कहा. दस वर्ष पहले लोगों के बीच आपसी संवाद के लिए व्हाॅट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल शुरू हुआ और देखते ही देखेते ‘एसएमएस’ के इस्तेमाल को इसने […]

अरविंद दास

पत्रकार एवं लेखक

arvindkdas@gmail.com

पिछले दिनों चुनाव विश्लेषक और चर्चित टीवी पत्रकार प्रणय राय ने एक बातचीत के दौरान लोकसभा चुनाव (2019) को ‘व्हाॅट्सएप इलेक्शन’ कहा. दस वर्ष पहले लोगों के बीच आपसी संवाद के लिए व्हाॅट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफाॅर्म का इस्तेमाल शुरू हुआ और देखते ही देखेते ‘एसएमएस’ के इस्तेमाल को इसने काफी पीछे छोड़ दिया.

लेकिन हाल के वर्षों में भारत में व्हाॅट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर कई बार झूठी खबरों (ऑडियो, वीडियो और फोटोशॉप) को इस तरह परोसा व प्रसारित किया गया कि कई जगहों पर हिंसा भड़क उठी और ‘मॉब लिंचिंग’ में जानें गयीं.

अब व्हाॅट्सएप ने एक साथ मैसेज को कई समूहों में फाॅरवर्ड करने की सीमा तय कर दी है. साथ ही यदि कोई संवाद फाॅरवर्ड होकर किसी के पास पहुंचता है तो संवाद पाने वालों को इस बात की जानकारी मिल जाती है. इससे संवादों, खबरों के उत्पादन के स्रोत के बारे में अंदाजा मिल जाता है.

हालांकि, फेक न्यूज, दुष्प्रचार, प्रोपेगैंडा रोकने में ये पहल नाकाफी साबित हुए हैं. इसके मद्देनजर हाल ही में संसदीय समिति ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के कर्ताधर्ताओं को तलब किया, ताकि लोकसभा चुनाव में इन प्लेटफॉर्म के माध्यम से फैलनेवाली अफवाहों और फेक न्यूज पर रोक लगे और नागरिकों के हितों और अधिकारों की रक्षा की जा सके. चुनाव आयोग ने भी सोशल मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है.

एक आंकड़े के मुताबिक, भारत में करीब 90 करोड़ वोटर हैं, जिसमें से करीब 50 करोड़ के पास इंटरनेट की सुविधा है. करीब 30 करोड़ फेसबुक यूजर्स हैं, जबकि 20 करोड़ व्हाॅट्सएप मैसेज सेवा का इस्तेमाल करते हैं.

लोकसभा चुनावों के दौरान हर राजनीतिक पार्टियां सोशल मीडिया के माध्यम से ज्यादा-से-ज्यादा फायदा उठाना चाह रही है. यहां व्हाॅट्सएप के साथ-साथ शेयरचैट जैसे मैसेजिंग के देसी अवतारों पर भी राजनीतिक दलों की नजर है, पर यह समकालीन विमर्श का हिस्सा नहीं बन पाया है और ज्यादातर लोगों की नजर से ओझल ही है.

केपीएमजी और गूगल के मुताबिक वर्ष 2011 में भारतीय भाषाओं में इंटरनेट इस्तेमाल करनेवालों की संख्या 4 करोड़ 20 लाख थी, जो वर्ष 2016 में बढ़कर 23 करोड़ 40 लाख हो गयी, और वर्ष 2021 में यह संख्या बढ़कर 53 करोड़ 60 लाख हो जायेगी.

साथ ही वर्तमान में करीब 96 प्रतिशत लोग इंटरनेट का इस्तेमाल मोबाइल के माध्यम से करते हैं. किसी भी लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियों और कार्यकर्ताओं के लिए जहां मास मीडिया आपसी संवाद का एक माध्यम होता है, वहीं पिछले कुछ वर्षों में दुनियाभर में सोशल मीडिया एक-दूसरे से संवाद करने के साथ-साथ चुनावी रणनीति का हथियार भी बनकर उभरा है.

चुनावों के दौरान हर बड़ी-छोटी राजनीतिक पार्टियों के अपने ‘वार रूम’ होते हैं, जहां से मीडिया पर निगाह रखी जाती है और इन्हें प्रभावित करने की कोशिश होती है, ताकि अपने एजेंडे को लागू किया जा सके.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें