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शिक्षकों की कमी दूर करने को आवाज उठाएं अभिभावक
किसी भी राष्ट्र या राज्य की उन्नति में शिक्षा का अहम योगदान होता है और बच्चे देश के भविष्य होते हैं. शिक्षा के बगैर समाज का विकास संभव नहीं है. बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के दो लाख से अधिक पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाना […]
किसी भी राष्ट्र या राज्य की उन्नति में शिक्षा का अहम योगदान होता है और बच्चे देश के भविष्य होते हैं. शिक्षा के बगैर समाज का विकास संभव नहीं है.
बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों के दो लाख से अधिक पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं. ऐसे में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाना संभव नहीं दिखता. राज्य के हजारों ऐसे विद्यालय हैं, जो एकल शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे में बच्चों के अभिभावकों का भी दायित्व बनता है कि उनके बच्चे जिस सरकारी विद्यालय में पढ़ते हैं, वहां पर्याप्त संख्या में शिक्षक नहीं हैं, तो इसकी शिकायत प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी या समकक्ष पदाधिकारी से करें.
स्थिति में त्वरित सुधार की मांग करें. ऐसा कदम राज्य के सभी ग्रामीण व शहरी इलाकों के विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को एक साथ उठाना होगा. इससे बहुत हद तक सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था की स्थिति में सुधार हो जायेगी.
सोनू कुमार सोनी, लौरिया (प. चंपारण)
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