रिपोर्टो के अनुसार, स्विट्जरलैंड की सरकार ने स्विस बैंकों के भारतीय खाताधारकों के बारे में भारत सरकार को जानकारी देनी शुरू कर दी है. कुछ दिन पहले ही वहां के बैंकिंग तंत्र की केंद्रीय संस्था स्विस नेशनल बैंक ने जानकारी दी थी कि 2013 के अंत तक 80 बैंकों में भारतीय खाताधारकों के लगभग 14,000 करोड़ रुपये जमा हैं.
इस आकलन की प्रक्रिया में स्विट्जरलैंड के अधिकारियों को यह अंदेशा हुआ है कि इस धन का एक बड़ा हिस्सा बिना वैधानिक कर चुकाये भारत से बाहर लाया गया है. स्विस सरकार का यह कदम काले धन पर अंकुश लगाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है. भारत कुछ समय से लगातार यह मांग कर रहा है कि स्विट्जरलैंड खाताधारकों की जानकारी प्रदान करे. स्विट्जरलैंड पर कुछ समय से वैश्विक दबाव भी बढ़ा है. इस दबाव का ही नतीजा है कि स्विस बैंकों में दुनियाभर से जमा होनेवाले धन में 2013 में काफी कमी हुई, लेकिन काले धन पर पिछली सरकार के ढुलमुल रवैये के कारण भारतीयों द्वारा जमा धन में 43 फीसदी की भारी वृद्धि देखने को मिली. काले धन का मसला हाल के वर्षो में भारतीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न बना हुआ है.
इसको लेकर न सिर्फ जनांदोलन हुए, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय को भी दखल देते हुए विशेष जांच दल का गठन करना पड़ा. इस जांच दल के अध्यक्ष न्यायाधीश एमबी शाह ने भरोसा दिलाया है कि स्विस सरकार द्वारा दी गयी सूची की समुचित जांच होगी और जो खाताधारक दोषी पाये जायेंगे, उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी. हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बारे में स्विस सरकार से कोई जानकारी मिलने से इंकार किया है, लेकिन यह भी कहा है कि सरकार स्विस अधिकारियों से इन सूचनाओं की मांग करेगी. यह जरूरी है कि विशेष जांच दल और सरकार इस मोरचे पर तेजी दिखायें तथा यह कोशिश भी करें कि कार्रवाई में देरी का लाभ उठाकर दोषी खाताधारक बैंकों से धन की निकासी न कर सकें. स्विस बैंकों में जमा धन काले धन के पूरे तंत्र का छोटा हिस्सा है. ‘टैक्स हेवन’ के नाम से कुख्यात द्वीप-देशों पर भी दबाव बढ़ाना होगा. पर सबसे जरूरी है कि देश में काले धन के निर्माण व बाहर ले जाने पर रोक लगे और दोषियों को दंड मिले.