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खेती से तब्बू तक के एक्सपर्ट

II आलोक पुराणिक II वरिष्ठ व्यंग्यकार आज हमारे साथ एक ऐसे एक्सपर्ट हैं, जिन्हें हम टीवी चैनल एक्सपर्ट (टीए) के तौर पर जानते हैं. इनके साथ हुई बातचीत के कुछ अंश… मैं- आप आतंकवाद से लेकर फिल्म स्टार तब्बू के कुंआरेपन पर समान एक्सपर्टत्व से बोलते हैं. कृपया बताएं कि आप किस विषय के एक्सपर्ट […]

II आलोक पुराणिक II
वरिष्ठ व्यंग्यकार
आज हमारे साथ एक ऐसे एक्सपर्ट हैं, जिन्हें हम टीवी चैनल एक्सपर्ट (टीए) के तौर पर जानते हैं. इनके साथ हुई बातचीत के कुछ अंश…
मैं- आप आतंकवाद से लेकर फिल्म स्टार तब्बू के कुंआरेपन पर समान एक्सपर्टत्व से बोलते हैं. कृपया बताएं कि आप किस विषय के एक्सपर्ट हैं?
टीए- मैं टीवी चैनल एक्सपर्ट हूं फिर मुझे किसी विषय का एक्सपर्ट होने की जरूरत नहीं है. बस टीए होना ही काफी है.
मैं- आप तो बहुत अजीब बात कर रहे हैं!
टीए- एक बहुत बड़े क्रिकेटर ने एक बहुत बड़े बैंक को भरोसे का बैंक बताया था, उस बैंक से अरबों गायब हो गये. आप उस क्रिकेटर से कभी न पूछेंगे कि क्या आप बैंकिंग की बारीकियां समझते हैं. अगर नहीं, तो क्यों बैंक के बारे में अपनी राय देते हैं. एक बड़े फिल्म स्टार सोने के जेवरों के बारे में राय देते हैं. आप उनसे कभी नहीं पूछते कि ज्वेलरी के बारे में आप क्या जानते हैं. और मुझसे पूछते हैं कि काहे के एक्सपर्ट हैं?
मैं- अभी एक बड़े गायक से जुड़े मानव तस्करी (कबूतरबाजी) के मामले सामने आये. यानी जितने कबूतर उड़े, उतने वापस नहीं आये. आप एक टीवी पर कबूतरबाजी की डिबेट में कबूतरों के प्रकार बताने लगे कि मुगल बादशाहों में कबूतर पालने का शौक था. दिल्ली के लाल किले के संग्रहालय में तो एक मुगलकालीन कबूतरखाने के चीफ का फोटो भी है. इस तरह की बेहूदा बातों का क्या मतलब है?
टीए- थैंक्स.
मैं- थैंक्स क्यों. क्या मैंने आपकी तारीफ की है?
टीए- जिस प्रोग्राम को आप बेहूदा बता रहे हैं, उसे बहुत ऊंची रेटिंग मिली. जिस प्रोग्राम को बेहूदा बताया जाता है, उसे ऊंची रेटिंग मिलती है. इसलिए जब कोई मेरे प्रोग्राम को बेहूदा बताता है, तो उसे मैं थैंक्स बोलता हूं.
मैं- इतने विविध विषयों पर आप तैयारी कैसे करते हैं?
टीए- कृषि से जुड़े प्रोग्राम में जब मुझे एक्सपर्ट बनना होता है, तो मैं हरा कोट पहनकर जाता हूं. यही हरा कोट सेक्युलरवाद पर डिबेट में भी चल जाता है. भारत-पाक संबंधों की टीवी डिबेट में मैं सफेद कोट पहनकर जाता हूं.
मैं- क्या कोट पहनने से ही टीवी एक्सपर्ट बन जाते हैं‍?
टीए- लगता है आप इन दिनों टीवी प्रोग्राम नहीं देखते हैं. एक प्रोग्राम में 24 एक्सपर्ट बुलाये जाते हैं. अधिकतर को बताया जाता है कि आपको बोलना नहीं है. कई एक्सपर्ट तो इस आश्वासन पर ही जाते हैं कि उनसे कुछ बुलवाया नहीं जायेगा. इनका कहना रहता है कि टीवी पर शक्ल दिख जाये, तो हमें एक्सपर्ट मान लिया जायेगा, पर हमारी बात अगर लोगों ने सुन ली, तो हमारे एक्सपर्टत्व को मानने से पब्लिक इनकार कर देगी.
मैं- मतलब चुप्पी के भी एक्सपर्ट होते हैं क्या?
टीए- जी, एक टीवी चैनल के एक्सपर्ट सिर्फ फनी तरीके से आंख घुमाने के एक्सपर्ट हैं. पब्लिक बहुत हंसती है उन्हें देखकर. वह बहुत ही पॉपुलर टीवी एक्सपर्ट हैं.

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