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पाकिस्तान को मिली है मोहलत, ब्लैकलिस्ट होने का नहीं टला है खतरा

एफएटीएफ ने ब्लैकलिस्ट करने से पहले पाकिस्तान को एक मोहलत और दी है. इस लहजे के साथ कि अगर फरवरी, 2020 तक आतंकियों को पालने की अपनी नीति और नियत में बदलाव नहीं लाता है, तो उसे कालीसूची के कलंक से कोई नहीं बचा सकता. पाकिस्तान दुनिया के खतरनाक आतंकियों की शरणस्थली है, यह जानते […]

एफएटीएफ ने ब्लैकलिस्ट करने से पहले पाकिस्तान को एक मोहलत और दी है. इस लहजे के साथ कि अगर फरवरी, 2020 तक आतंकियों को पालने की अपनी नीति और नियत में बदलाव नहीं लाता है, तो उसे कालीसूची के कलंक से कोई नहीं बचा सकता. पाकिस्तान दुनिया के खतरनाक आतंकियों की शरणस्थली है, यह जानते हुए भी चीन उसके पक्ष में वैश्विक मंचों पर कंधा मिला कर खड़ा हो जाता है.

वर्तमान में एफएटीएफ के अध्यक्ष के तौर पर चीन ने भी पाकिस्तान को सुधरने के लिए फटकार लगायी है. एफएटीएफ की चेतावनी के बाद पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज आयेगा या बर्बाद होगा, यह वक्त बतायेगा, लेकिन उसके कारनामे को लेकर दुनिया की धारणा बिल्कुल स्पष्ट हो चुकी है.
एफएटीएफ लक्ष्य को हासिल करने में फेल रहा पाकिस्तान
वैश्विक स्तर पर आतंकवाद की निगरानी करनेवाले संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ‘कालीसूची’ में जाने से बचने के लिए चार महीने की मोहलत दी है. साथ ही चेतावनी दी है कि पाकिस्तान दिये गये 27 लक्ष्यों में से 22 को पूरा करने में असफल रहा है.
एफएटीएफ के अनुसार, पाकिस्तान ने आतंकियों को फंडिंग नहीं रोकी है. एफएटीएफ ने पाकिस्तान को फरवरी, 2020 तक का समय दिया है और कहा कि पाकिस्तान अगर निर्धारित लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाता है, तो ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जायेगा.
एफएटीएफ अध्यक्ष ने दी पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी
एफएटीएफ अध्यक्ष जियांगमिन लिउ ने पाकिस्तान को कड़े शब्दों में चेतावनी दी है, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को ज्यादा और तेजी से कार्रवाई करनी होगी. अगर फरवरी तक पाकिस्तान पर्याप्त कार्रवाई करने में असफल रहता है, तो कालीसूची में जाने से उसे कोई रोक नहीं सकता.
हालांकि, लिउ के कहा कि एक्शन प्लान को लागू करने में पाकिस्तान ने मजबूत राजनीति इच्छाशक्ति दिखायी है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पाकिस्तान को पर्याप्त प्रशिक्षण और सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. इस संबंध में सभी सदस्यों और नेटवर्क को मदद के लिए आगे आने को कहा गया है.
चीन ने ‘ब्लैकलिस्ट’ होने से बचाया!
फ्रांस की राजधानी पेरिस में पांच दिन की वार्ता के बाद एफएटीएफ ने अपना निर्णय दिया. एफएटीएफ के इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप (आईसीआरजी) ने पाकिस्तान द्वारा टेरर फंडिंग और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग पर की गयी कार्रवाई की समीक्षा की.
इसके बाद पाकिस्तान को फरवरी, 2020 तक सभी बिंदुओं पर सक्रियता के साथ कार्रवाई करने को कहा गया, जिस पर उसने बीते सात जून में वादा किया था. हालांकि, पाकिस्तान ने सिर्फ पांच बिंदुओं पर फोकस किया. इसके बावजूद उसके सदाबहार दोस्त चीन द्वारा उसे बचा लिया गया. वर्तमान में चीन एफएटीएफ का अध्यक्ष भी है.
पाकिस्तान के खिलाफ पर्याप्त सबूत
एफएटीएफ का फैसला सार्वजनिक होने के बाद सभी वैश्विक वित्तीय संस्थाओं को किसी भी अनियमितता की स्थिति में कार्रवाई के लिए तैयार रहने को कहा गया है. भारत सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार, पाकिस्तान के खिलाफ मजबूत साक्ष्य हैं, यहां तक कि चीन भी उसे नहीं बचा सकता है.
यह तय है कि पाकिस्तान का नाम अगले साल ‘काली सूची’ में दर्ज होगा. पाकिस्तान द्वारा की जा रही राजनीतिक पैरवी एफएटीएफ द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के खिलाफ है. पाकिस्तान को एफएटीएफ ब्लैकलिस्ट से बचाने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से यूएनजीए (संयुक्त राष्ट्र महासभा) के दौरान 24 देशों के साथ गुहार लगायी थी.
अब भी आतंकियों को पाल रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान ने दिखावे के लिए कुछ आतंकियों पर कार्रवाई की है. इसमें हाफिज सईद और चार अन्य आतंकी लश्कर-ए-तयबा और जमात-उद-दावा के हैं. पाकिस्तान ने प्रोफेसर जफर इकबाल, याहया अजीज, मोहम्मद अशरफ और अब्दुल सलाम पर आतंकियों को धन मुहैया कराने के आरोप में कुछ कार्रवाई की है.
लेकिन, भारत सरकार के अधिकारियों ने 118 खतरनाक आतंकियों को पाकिस्तान सरकार द्वारा संरक्षण देने का आरोप लगाया गया है. इसमें अमेरिका द्वारा घोषित हक्कानी, मसूद अजहर, जकी उर रहमान लखवी और सईद आदि आतंकी शामिल हैं.
पाक को तीन देशों का साथ
एफएटीएफ 39 सदस्यों का ऐसा समूह है, जो सर्व सहमति के सिद्धांत पर काम करता है. पाकिस्तान ने तीन देशों तुर्की, मलयेशिया और चीन को अपने पक्ष में राजी करने में सफल रहा. इन देशों ने फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी द्वारा लाये गये प्रस्ताव के खिलाफ मतदान किया. अमेरिका ने ब्लैकलिस्टिंग प्रपोजल का समर्थन किया था. हालांकि, इससे पहले इमरान खान ने वाशिंगटन दौरे पर अमेरिका को राजी करने की कोशिश की थी.
क्या है एफएटीएफ
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ)) पेरिस स्थित एक अंतर-सरकारी निकाय है. जी-7 देशों की पहल पर मनी लॉन्ड्रिंग से निबटने के लिए 1989 में इसकी स्थापना की गयी थी. शुरुआत में इस संगठन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विधायी, वित्तीय और कानून-प्रवर्तन गतिविधियों की निगरानी का दायित्व सौंपा गया था. वर्ष 2001 में 11 सितंबर को वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमले के बाद इसकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गयी.
इसने अपने दायरे को बढ़ा कर आतंकी वित्त पोषण को भी शामिल कर लिया. वर्ष 2003 में, एफएटीएफ नये दिशा-निर्देशों को लेकर आया, जिसमें राज्यों से अवैध लेनदेन को जब्त करने और संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट प्राप्त करने और उसकी जांच के लिए एक वित्तीय खुफिया इकाई बनाने की बात कही गयी थी.
एफएटीएफ की कार्यप्रणाली
इस संगठन का उद्देश्य कानूनी, नियामक और परिचालन उपायों (लीगल, रेगुलेटरी व ऑपरेशनल मेजर्स) के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए मानकों को निर्धारित करना है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी वित्तपोषण और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली से जुड़े खतरों से निबटा जा सके.
एफएटीएफ आवश्यक उपायों को लागू करने, मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकियों को धन मुहैया कराने की तकनीकों और काउंटर-मेजर्स की समीक्षा करता है. एफएटीएफ की सिफारिशों को सदस्य देश किस गति से लागू कर रहे हैं, वह इस बात की भी निगरानी करता है. इसके अलावा यह विश्व स्तर पर उपयुक्त उपायों को अपनाने और लागू करने को बढ़ावा भी देता है.
ब्लैक लिस्ट होने पर खस्ताहाल होगा पाक
पाकिस्तान को इससे पहले जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था. तब उसे 27 प्वाइंट एक्शन प्लान के कार्यान्वयन के लिए सितंबर 2019 तक का समय दिया गया था. इस अवधि में पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी संगठनों को मिलनेवाले धन को राेकने का उपाय करना था.
लश्कर-ए-तयबा और जैश-ए-मोहम्मद समेत दूसरे आतंकी संगठनों को धन मुहैया कराने पर राेक लगाने में नाकाम रहने के कारण पाकिस्तान एफएटीएफ के निशाने पर है. इसी वर्ष अगस्त में, मानकों पर खरा नहीं उतरने के कारण एफएटीएफ के एशिया-पैसिफिक ग्रुप ऑन मनी लॉन्ड्रिंग ने पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया था.
इतने पर भी अगर पाकिस्तान नहीं सुधरता है और उसे ब्लैक लिस्ट में डाला जाता है, तो आर्थिक तंगी से गुजरते इस देश के लिए बहुत बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. उसके लिए विदेशी निवेश के रास्ते भी बंद हो जायेंगे. आयात-निर्यात प्रभावित होगा व विश्व बैंक और आईएमएफ से पैसा लेना मुश्किल हो जायेगा. ऐसी स्थति में अन्य देशों से पैसे मिलने में भी उसे मुश्किल आयेगी.
मूडीज, एस एंड पी व फिंच जैसे वैश्विक वित्तीय संस्थाएं पाक की रेटिंग कम कर सकती हैं. लेकिन इन सबके लिए चिंतित होने और आतंकियों पर कार्रवाई करने की जगह वह भारत पर आरोप लगा रहा है. हाल ही में इमरान खान ने कहा है कि उनकी सरकार का मानना है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए भारत पूरी सक्रियता से कोशिश कर रहा था.

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