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इन कारणों से बढ़ता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा, इलाज के लिए केवल 3 घंटे का समय होता है
वैस्क्युलर यानी नाड़ी से जुड़ी बीमारियों में एथेरोस्केलेरोसिस (धमनियों में वसा जमा होकर संकुचन होना) की समस्या आम है. इसमें नसों में फैट जमने से खून का प्रवाह कम होने लगता है, जिससे ब्लड क्लॉट्स हो जाता है, जो आगे ब्रेन स्ट्रोक का रूप लेता है. खतरा टीबी और फंगल इंफेक्शन से पीड़ित मरीजों को […]
वैस्क्युलर यानी नाड़ी से जुड़ी बीमारियों में एथेरोस्केलेरोसिस (धमनियों में वसा जमा होकर संकुचन होना) की समस्या आम है. इसमें नसों में फैट जमने से खून का प्रवाह कम होने लगता है, जिससे ब्लड क्लॉट्स हो जाता है, जो आगे ब्रेन स्ट्रोक का रूप लेता है.
खतरा टीबी और फंगल इंफेक्शन से पीड़ित मरीजों को ज्यादा होता है. चंडीगढ़ में न्यूरो पैथलॉजी सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से आयोजित नैपसीकॉन 2018 कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि ब्रेन स्ट्रोक होता है, तो इलाज के लिए केवल 3 घंटे का समय होता है, जिसमें इलाज मिल जाये तो जान बचायी जा सकती है. सिगरेट अधिक पीनेवालों को भी खतरा काफी ज्यादा होता है.
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