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पांच वर्षों में 100 बीघा कृषि भूमि नदी में समाहित

कटाव के चलते दिशा बदल रही डायना नदी केलाबाड़ी, हृदयपुर व केलाबाड़ी बस्ती के ग्रामीणों में आतंक नागराकाटा : डायना नदी धीरे-धीरे दिशा परिवर्तन करते हुए पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ रही है. स्थानीय लोगों का कहना है की नदी के कटाव से पिछले पांच वर्षों में एक हजार बीघा से अधिक कृषि योग्य […]

कटाव के चलते दिशा बदल रही डायना नदी

केलाबाड़ी, हृदयपुर व केलाबाड़ी बस्ती के ग्रामीणों में आतंक
नागराकाटा : डायना नदी धीरे-धीरे दिशा परिवर्तन करते हुए पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ रही है. स्थानीय लोगों का कहना है की नदी के कटाव से पिछले पांच वर्षों में एक हजार बीघा से अधिक कृषि योग्य जमीन नदी में समाहित हो चुका है. वर्षा शुरू होते ही नागराकाटा ब्लॉक स्थित आगंराभाषा-1 अंतर्गत स्थित अपर केलाबाड़ी, हृदयपुर और केलाबाड़ी बस्ती जैसे कृषि प्रधान स्थानों में आतंक छाने लगता है.
नदी के कटाव के कारण वहां के चार हजार लोग प्रभावित हैं. इन सभी गांवों में सबसे ज्यादा केलाबाड़ी बस्ती प्रभावित है. ब्लॉक प्रशासन से लेकर सिंचाई विभाग ने भी केलाबाड़ी बस्ती में नदी कटाव को एक बड़ी समस्या बताया है.
नागराकाटा प्रखंड अधिकारी स्मृता सुब्बा ने बताया कि मैंने खुद वहां पहुंचकर समस्या को देखा है. संबंधित विभाग को इस विषय में जानकारी दी गयी है. उन्होंने कहा कि उम्मीद करती हूं कि समस्या का समाधान जल्द होगा. केवल वर्षाकाल में ही नहीं बल्कि अन्य दिनों में भी ये तीन गांव परेशान रहते हैं. जब वर्षा होती है तो डायना नदी विशाल रुप धारण करते हुए बांध को झटके में नष्ट करते हुए कृषक के कई बीघे जमीन को अपने में समाहित कर लेते हैं.
उसके बाद जमीन कहां और नदी कहां इसको चिंह्नित नहीं किया जा सकता. तीन महीना लगातार वर्षा होने के बाद जल कम होता है तो जमीन का कोई अस्तित्व नहीं रहता. बाढ़ के बाद कई इंच तक बालू जमकर नदी का नया तट निर्माण होता है. इस तरह प्रतिवर्ष रोजी-रोटी का साधन कृषि जमीन नदी के तट में परिणत हो जाने के कारण कृषक सुबह होते ही अन्य गांव में काम की खोज में निकल पड़ते हैं.
स्थानीय कृषक सोमरा उरांव का 40 बीघा जमीन है. सोमरा वर्ष में दो बार फसल करते थे. लेकिन नदी कटाव के कारण अब सिर्फ 10 बीघा जमीन बचा हुआ है. सोमरा उरांव उदास होकर कहते हैं कि आने वाले बरसात में बचा जमीन भी रहेगा या नहीं, यह संदेह है. खेतीबारी के अलावा यहां अन्य कोई रोजगार भी नहीं है. परिवार को लेकर कैसे रह रहा हूं ये सिर्फ मुझे ही पता है. यदि जल्द से यहां पर बांध का निर्माण नहीं किया गया तो सम्पूर्ण गांव की जमीन नदी में समाहित हो जायेगी. जुलफिकार अली नामक एक अन्य कृषक का कहना है कि उनका 18 बीघा जमीन था.
डायना नदी के कटाव से 10 बीघा जमीन का अब कोई अस्तित्व नहीं है. बरसात होते ही चारो ओर पानी भर जाता है. वहां पर खेतीबारी नहीं किया जा सकता. डायना नदी की चपेट में लगभग पांच सौ बीघा जमीन है. नदी के भय से अन्य कृषक आबदार अली, रज्जाक अंसारी, खलिफिकुर रहमान जैसे कृषकों का नींद उड़ा हुआ है. केवल केलाबाड़ी बस्ती में 200 परिवार नदी के कटाव से प्रभावित है.
तृणमूल कांग्रेस आगंराभाषा अंचल सभापति राजेन फुयेल का कहना है कि नदी कटाव को रोकने के लिए कई बार प्रशासन के समक्ष गुहार लगाया गया. उनका कहाना है कि मैं छोटे उम्र से नदी को देखता आ रहा हूं. नदी पश्चिम से पूर्व की ओर चला आया है. इसको देखकर आश्चर्य लगता है. यदि जल्द से यहां बांध निर्माण नहीं किया गया तो तीन गांवों के लोगों को मुश्किल हो जाएगा.

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