हर ओर लगा है कचरे का अंबार
प्रबंधन नहीं कर रहा साफ-सफाई की पहल
सिलीगुड़ी : राज्य सरकार ने सिलीगुड़ी जिला अस्पताल तथा उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज व अस्पताल(एनबीएमसीएच) के बड़े-बड़ भवन का निर्माण कर इसको चकाचक तो कर दिया,लेकिन ढांचागत सुविधाओं की देखरेख की कोई व्यवस्था नहीं की गयी. जिसकी वजह से यहां ना केवल इलाज कराने आने वाले मरीजों बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
हर ओर गंदगी का आलम है. स्थति यह है कि जो लोग अपने मरीज को लेकर यहां इलाज करवाने आते हैं,वही खुद बीमार पड़ जायें. यहां उल्लेखनीय है मरीजों के साथ आने वाले रिश्तेदारों के रूकने के लिए एनबीएमसीएएच में लाखों रूपये खर्च कर एक शेड का निर्माण कराया गया है. अब यह शेड पूरी तरह से कचरा घर में तब्दील हो गया है. यहां परिस्थिती ऐसी है कि तेज दुर्गंध के कारण रूकना मुश्किल है. मजबूरी में लोग रात को भी खुले आसमान के नीचे बैठते हैं. बारिश के समय तो परेशानी और बढ़ जाती है.
उत्तर बंगाल में सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल होने के कारण एनबीएमसीएच में हर रोज काफी संख्या में रोगी यहां इलाज के लिए आते है. सिर्फ उत्तर बंगाल ही नहीं पड़ोसी राज्य बिहार, असम से भी लोगों का आना होता है. जाहिर है रोगियों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी होते हैं. इनको ही यहां रात को रूकने में परेशानी होती है. मेडिकल कॉलेज के प्रसुति विभाग के पास रोगियों के रिश्तेदारों के लिए एक विश्रामालय बनाया गया है. इसी की काफी भयानक स्थिति है. पिछले दिनों में लाखों रुपये कि लागत से दोनों तरफ शेड घर का निर्माण किया गया. लोगों के बैठने के लिए कंक्रीट के बेंच बनाये गये हैं. जिस पर टाइल्स भी लगा हुआ है.
गर्मी के समय रोगियों के परिजनों को कोई समस्या ना हो, इसके लिए पंखों की भी व्यवस्था की गई है. सरकार की ओर से यहां पुख्ता इंतजाम किये गए हैं. लेकिन देखरेख के आभाव में यह विश्रामालय कचरा घर बन गया है.यहां की स्थति को यदि सही रूप से बयां करें तो यह डंपिंग ग्राउंड जैसा हो गया है. यहां लगातार कचरे का अंबार लगा रहता है.जिससे तेज दुर्गंध निकलती है.गंदगी का आलम यह है कि कभी भी कोई बड़ी बीमारी फैल सकती है.लोगों को मुंह में रुमाल तथा कपड़ा डालकर मजबूरी में समय गुजारना पड़ रहा है.
उत्तर दिनाजपुर जिले के चोपड़ा से यहां इलाज कराने आये एक रोगी के रिश्तेदार ने बताया कि यहां एक पल भी रूक पाना संभव नहीं है. लेकिन कुछ कर नहीं सकते. यहां रूकने के सिवा उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं है. क्योंकि पास के होटल में रूकने के लिए काफी पैसे खर्च करने पड़ेंगे. उनके पास इतने रूपये नहीं हैं कि वह मोटी रकम खर्च कर किसी होटल में रूक सकेंगे. तेज दुर्गंध से कुछ दिनों से ठीक से भोजन नहीं कर पा रहे है. अगर ज्यादा दिनों तक रह गये तो उन्हें ही अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ेगा.
दूसरी ओर सिलीगुड़ी जिला अस्पताल की परिस्थिति भी कुछ इसी तरह की है. यहां भी दूर दराज से लोग इलाज के लिए आते है. रात के वक्त लोगों को अस्पताल के टिकट काउंटर तथा इधर-उधर जाकर सिर छिपाना पड़ता है. रंजन सरकार नामक एक व्यक्ति ने बताया कि दिन के मुकाबले रात के वक्त ज्यादा परेशानी होती है. हल्की बारिश होते ही लोग इधर-उधर भागने लगते है. यहां मच्छरों का भी उत्पात है. बाहर से आने वाले लोगों के लिए रात में रहने के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने बताया कि सभी बेहतर चिकित्सा परिसेवा चाहते है. इस समस्या पर संबंधित अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए.