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बिहार तक पहुंची सिलीगुड़ी के स्ट्रॉबेरी की महक

उत्तर बंग विश्वविद्यालय में सीखेंगे खेती के गुर हर दो महीने में प्रति बीघा दो लाख तक आमदनी अबतक उत्तर बंगाल के दो हजार किसान लाभान्वित सिलीगुड़ी : देश में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. परंपरागत खेती कर किसान पैसे कमाना तो दूर बल्कि लगातार कर्ज के बोझ में दब रहे हैं. […]

उत्तर बंग विश्वविद्यालय में सीखेंगे खेती के गुर

हर दो महीने में प्रति बीघा दो लाख तक आमदनी

अबतक उत्तर बंगाल के दो हजार किसान लाभान्वित

सिलीगुड़ी : देश में किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. परंपरागत खेती कर किसान पैसे कमाना तो दूर बल्कि लगातार कर्ज के बोझ में दब रहे हैं. यही कारण है कि देश के विभिन्न भागों में किसानों द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबरें आती रहती है. ऐसी परिस्थिति में ना केवल किसान बल्कि कृषि भी संकट के दौर से गुजर रहा है.

किसानों को इस संकट से कैसे निकाला जाए, इसकी तमाम कोशिशें सरकार की ओर से की जा रही है. जबकि किसान परंपरागत धान- गेहूं की खेती न कर किसी अन्य वैकल्पिक खेती के माध्यम से मालामाल हो सकते हैं. इसी में स्ट्रॉबेरी की खेती भी शामिल है. सिलीगुड़ी सहित पूरे उत्तर बंगाल में करीब दो हजार किसान कुछ वर्षों में स्ट्रॉबेरी की खेती कर मालामाल हो रहे हैं.

किसानों को स्ट्रॉबेरी सहित अन्य वैकल्पिक खेती के लिए प्रेरित करने तथा प्रशिक्षण देने का काम उत्तरबंग विश्वविद्यालय के अधीन सेंटर ऑफ फ्लोरीकल्चर एंड एग्री बिजनेस मैनेजमेंट (कोफम)की ओर से किया जा रहा है. यहां प्रशिक्षण प्राप्त कर काफी संख्या में किसान ना केवल स्ट्रॉबेरी बल्कि कैप्सिकम, ड्रैगन फ्रूट आदि की खेती कर मोटी आमदनी कर रहे हैं.

अब तो सिलीगुड़ी में उत्पादित स्ट्रॉबेरी की महक बिहार तक पहुंच गई है. बिहार से भी कई किसान स्ट्रॉबेरी की खेती का प्रशिक्षण लेने उत्तरबंग विश्वविद्यालय आ रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार इस दिशा में बिहार सरकार ने पहल की है. बिहार सरकार की ओर से भागलपुर के 20 किसान स्ट्रॉबेरी तथा वैकल्पिक खेती का प्रशिक्षण लेने के लिए 12 मार्च को सिलीगुड़ी आएंगे.

12 मार्च से 14 मार्च तक इन किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसकी सूचना उत्तरबंग विश्वविद्यालय के बायो टेक्नोलॉजी विभाग तथा कोफम की प्रमुख डॉ दीपनविता साहा को दे दी गई है.

बिहार सरकार के जिला उद्यान कार्यालय, भागलपुर की ओर से किसानों को प्रशिक्षण के लिए यहां भेजा जा रहा है. स्ट्रॉबेरी बहुत ही नाज़ुक फल होता है. यह स्वाद में हल्का खट्टा और हल्का मीठा होता है. दिल के आकर का दिखने वाले इस फल का रंग चटक लाल होता है. यही एक मात्र ऐसा फल हैं. स्ट्रॉबेरी की सैकड़ों किस्में होती है. स्ट्रॉबेरी की एक अलग ही खुशबू होती है.

खासकर इस फ्लेवर का उपयोग आइसक्रीम आदि में किया जाता है. मिली जानकारी के अनुसार विभिन्न विटामिन और लवण के कारण स्ट्रॉबेरी स्वास्थ के लिए काफी लाभदायक माना जाता है कि सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल में स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए मौसम काफी अनुकूल है. विशेषज्ञों के अनुसार यहां का जलवायु और मिट्टी स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए काफी उपयुक्त है. 20 से 30 डिग्री का तापमान इस फसल के लिए जरूरी है. सिलीगुड़ी और उत्तर बंगाल के कई इलाकों में औसतन तापमान यही है.

कोफम के तकनीकी सहायक अमरेंद्र पांडे ने बिहार के किसानों के प्रशिक्षण के लिए आने को एक बड़ी उपलब्धि बताया है.उन्होंने कहा है कि परंपरागत खेती कर किसान कभी भी मुनाफा नहीं कमा सकते. क्योंकि उत्पादन लागत के अनुसार उन्हें कीमत नहीं मिलती. कई बार तो किसान अधिक फसल उगाकर मुनाफा तो दूर,नुकसान उठाते हैं. श्री पांडे ने बताया कि अब तक उत्तर बंगाल के अलावा पड़ोसी राज्य असम से भी कुछ किसान यहां प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए आ चुके हैं. सभी अपने इलाके में जाकर स्ट्रॉबेरी एवं अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती कर रहे हैं.

उन्होंने आगे बताया कि अब परंपरागत खेती का जमाना नहीं है. जब तक किसान परंपरागत खेती छोड़कर वैकल्पिक खेती की ओर कदम नहीं बढ़ाएंगे तब तक उनका कल्याण नहीं हो सकता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई किसान 1 बीघा जमीन पर धान अथवा गेहूं की खेती करता है, तो अधिकतम 10 से 15 हजार रूपये कमा सकता है. यह भी निश्चित नहीं है. कई बार तो किसानों को नुकसान ही उठानापड़ता है.

सब्जियों आदि की खेती कर किसान तो और भी बुरी तरह से फंसते हैं. आलू, प्याज, मिर्च आदि फसल की उचित कीमत नहीं मिलने पर किसान इन फसलों को फेंकने के लिए मजबूर हो जाते हैं.जबकि वैकल्पिक खेती से यह समस्या नहीं आएगी. स्ट्रॉबेरी की खेती में ज्यादा समय नहीं लगता है. अगर स्ट्रॉबेरी की खेती ठीक से वैज्ञानिक तरीके से की जाए तो एक बीघा जमीन में सिर्फ 2 महीने के अंदर ही दो लाख रूपये तक की आमदनी की जा सकती है. पहले जो किसान काफी परेशान रहते थे वह अब स्ट्रॉबेरी की खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं.

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