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नागराकाटा के चार चाय बागानों में ओलावृष्टि से भारी नुकसान

600 हेक्टेयर में लगी चाय की नयी कलियां हुई बर्बाद बागान प्रबंधन ने कहा-इस आपदा से उबरना मुश्किल नागराकाटा : नागराकाटा के चार चाय बागानों में ओलावृष्टि से भारी नुकसान पहुंचा है. संबंधित सूत्रों से पता चला है कि कुल मिलाकर लगभग 600 हेक्टेयर जमीन के चाय के पौधे की नयी कलियां ओलावृष्टि से झड़ […]

600 हेक्टेयर में लगी चाय की नयी कलियां हुई बर्बाद

बागान प्रबंधन ने कहा-इस आपदा से उबरना मुश्किल

नागराकाटा : नागराकाटा के चार चाय बागानों में ओलावृष्टि से भारी नुकसान पहुंचा है. संबंधित सूत्रों से पता चला है कि कुल मिलाकर लगभग 600 हेक्टेयर जमीन के चाय के पौधे की नयी कलियां ओलावृष्टि से झड़ गयीं. उत्पादन का मौसम शुरू होते ही मालिक पक्ष को एक जोरदार धक्का लगा. इसमें करोड़ों रुपए के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है.

चाय बागान के साथ ही इस ओलावृष्टि से सैंकड़ो श्रमिक आवास क्षतिग्रस्त हुआ है. नागराकाटा की बीडीओ स्मृता सुब्बा ने कहा कि प्राकृतिक आपदा से जिन बागानों को नुकसान हुआ है वह सभी चंपागुड़ी ग्राम पंचायत अंतर्गत पड़ता है. नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है. ग्राम पंचायत से एक रिपोर्ट जमा किया गया है.

स्थानीय सूत्रों से पता चला है कि सुबह लगभग सात बजे से एक घंटे तक लगातार ओलावृष्टि होती रही. इसमें सबसे ज्यादा नुकसान होप चाय बागान को हुआ है. वहां के 150 हेक्टयेर जमीन के नयी कलियां झड़ गयी. बागान के धर्मा लाइन, सावना लाइन जैसे श्रमिक मुहल्लों में लगभग 30 मकानों को नुकसान हुआ है. बागान के श्रमिक कल्याण अधिकारी अशोक झा ने कहा कि स्थिति इतनी बदतर हो गयी है कि अब इससे उबरना काफी मुश्किल हो जायेगा. पास के भूटान सीमांत के जीती चाय बागान की भी यही स्थिति है.

100 हेक्टेयर जमीन से भी ज्यादा खेती को नुकसान हुआ है. उन्होंने बताया कि 30 श्रमिक आवास के टीन का छत में पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है. नया शाइली चाय बागान की भी यही दशा है. वहां के सहकारी मैनेजर अजय बार ने कहा कि लगभग पूरा बागान ओलीवृष्टि से छिन्न-भिन्न हो गया है. हिला चाय बगान संचालक ने बताया कि वहां के 70 हेक्टेयर चाय की खेती पूरी तरह से नष्ट हो गया है. पौधों में पत्ती है ही नहीं. पूरे इलाके में 6 इंच तक बर्फ से ढंक गया.

बागान मैनेजर ब्रजेश राई ने बताया कि हेक्टेयर प्रति लगभग 300 किलोग्राम का नुकसान हुआ है. मतलब सिर्फ इस बागान में कुल 21 हजार किलोग्राम का नुकसान हुआ है. वह भी फस्ट प्लस की चाय थी. प्रीमियम क्वालिटी की चाय प्रति किलो 250 रुपए के दर से बिकते है. उन्होंने कहा कि अब बागान चलाना ही मुश्किल हो जायेगा.

चाय षोध कंपनी (टीआरए) के उत्तर बंगाल आंचलिक शोध व विकास केंद्र के एग्रोनॉमी विभाग के प्रधान डॉ. सोमेन वैश्य ने कहा ओला वृष्टी के क्षतिग्रस्त पौधे में नयी कलियां निकलने में काफी समय लगता है. इसके लिए रासायनिक का छिड़काव जरुरी है. इससे लागत बढ़ जायेगी. उत्तर बंगाल के चाय बागान विशेषज्ञ राम अवतार शर्मा ने कहा कि चार बागानों का नुकसान चिंताजनक है. नुकसान का आंकड़ा करोड़ों में आ सकता है.

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