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श्री दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी गौशाला का गौरवशाली इतिहास

सिलीगुड़ी : देश की कई बड़े और नामी गौशालाओं में श्री दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी गौशाला का भी गिनती आती है. सिलीगुड़ी के बाबूपाड़ा-मिलनपल्ली स्थित यह गौशाला पूर्वोत्तर भारत का इकलौता सबसे पुरानी गौशाला है. इस गौशाला का इतिहास 120 वर्ष पुरानी है. इसका गौरवशाली इतिहास सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. इस एतिहासिक गौशाला को लेकर […]

सिलीगुड़ी : देश की कई बड़े और नामी गौशालाओं में श्री दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी गौशाला का भी गिनती आती है. सिलीगुड़ी के बाबूपाड़ा-मिलनपल्ली स्थित यह गौशाला पूर्वोत्तर भारत का इकलौता सबसे पुरानी गौशाला है. इस गौशाला का इतिहास 120 वर्ष पुरानी है. इसका गौरवशाली इतिहास सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है. इस एतिहासिक गौशाला को लेकर जब प्रभात खबर के रिपोर्टर ने विस्तृत जानकारी जुटायी, तो कई तथ्य सामने आये.

क्या है गौशाला का इतिहास
गौभक्त बनवारी लाल करनानी की मानें, तो आज से 120 वर्ष पहले यानी 1898 (विक्रम संवत 1955) में एक गाय को लेकर मार्मिक घटना तत्कालीन सिलीगुड़ी कस्बे में घटित हुई. वह मार्मिक घटना ही गौशाला की प्रेरणा का प्रतिफल है. तत्कालीन गौभक्तों की अनुप्रेरणा से ही गौशाला की नींव डाली गयी. हुआ यूं कि एक आदमी गौमाता को कसाईखाना में बेचने जा रहा था. तत्कालीन कुछ गौभक्तों की नजर गौमाता और उस आदमी पर पड़ी. गौमाता को बचाने कई गौभक्त आगे आये.
इस गौमाता को बचाने को लेकर काफी विवाद भी खड़ा हुआ. बाद में कुछ रुपये देकर गौमाता की रक्षा की गयी. अब उस गौमाता के रख-रखाव की समस्या समाज के सामने आयी. तब समाजसेवियों के काफी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय हुआ कि महावीर स्थान स्थित सत्यनारायण मंदिर के पीछेवाली जगह में एक गौशाला की स्थापना की जाये. सिलीगुड़ी के तत्कालीन गौभक्तों में से किसी ने अपनी गाय व बाछी दी. इस तरह 1898 में सिलीगुड़ी में गौशाला की नींव रखी गयी. श्री करनानी का कहना है कि तब से यह गौशाला अनवरत गौसेवा व गौसम्बर्द्धना का पुनीत कार्य निस्वार्थ भाव से करते आ रहा है.
एक मार्मिक घटना के बाद 1898 में डाली गयी गौशाला की नींव
120 साल पुरानी गौशाला सबकी प्रेरणा का स्त्रोत
गौशाला की नींव रखनेवाले गौभक्त
1898 में गौशाला की नींव रखनेवाले गौभक्तों की सूची में गोलोकवासी मंगतुराम मानसिंहका, रुपलाल थिरानी, मेघराज शर्मा, छगनलाल साह, डालुराम मूंदड़ा, मेघराज डालमिया, रामेश्वरदास परसरामपुरिया, तेजमल अग्रवाल, विलासराय डालमिया, नोपचंद धानुका, रामचरित्र प्रसाद जायसवाल, सोहनलाल चायवाला व अन्य समाजसेवियों का नाम शामिल है.
गौशाला की और चार शाखाएं
आज सिलीगुड़ी शहर में श्री दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी गौशाला की और चार शाखाएं जलपाई मोड़ गौशाला, सालबाड़ी गौशाला, सालबाड़ी के ही पंचनयी नदी स्थित पंचनयी गौशाला व माटीगाड़ा के टुम्बाजोत स्थित माटीगाड़ा गौशाला है. जहां 24 घंटे गायों की चिकित्सा एवं पेयजल की व्यवस्था है, सुविधायुक्त ग्वाल घर, गौ-खाद भंडार है. साथ ही बाबूपाड़ा स्थित गौशाला में सुव्यवस्थित कमप्यूटराइज्ड कार्यालय से सभी गौवंशों की देखरेख का काम 24 घंटे सुचारु रुप से हो रहा है. आज लावारिस गायों के उद्धार-संरक्षण एवं चिकित्सा हेतु ‘गौ एम्बुलेंस व रेस्क्यू वेन’ की भी व्यवस्था है. आज गौशाला से प्रतिदिन 980 लीटर दूध उत्पादित होता है और रोजाना तकरीबन सात सौ परिवार लाभांवित हो रहे हैं.
गौशाला तब और अब
तब के गौशाला और आज के गौशाला में काफी अंतर भी आया है. तब गौशाला एक झोपड़ीनुमा खटाल था. तब कुछ गायें और कुछ बाछियां ही थी. जिसकी सेवा कुछ गिनचुने गौभक्तों की संरक्षण में ही होता था. लेकिन आज कुल 1290 गौवंश (222 दुधारु गाय, 109 सांढ़, अन्य सभी बछड़े व बाछी) की सेवा हजारों गौभक्तों की देखरेख, सुविधायुक्त व आधुनिकरण ग्वालघर में 24 घंटे होती है.
गौशाला की वर्तमान कार्यकारिणी समिति: श्री दार्जिलिंग-सिलीगुड़ी गौशाला की वर्तमान कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष सांवरमल आलमपुरिया, उपाध्यक्ष किशन बापोड़िया, श्रवण चौधरी, सचिव बनवारीलाल करनानी, कोषाध्यक्ष पवन नकीपुरिया, सह-सचिव अतुल झंवर, मुकेश सिंहल व कार्यकारिणी सदस्य टोनी मोदी, रामनिवास गोयल, केशरीचंद अग्रवाल, कैलाशचंद तिवारी, विनोद अग्रवाल, मुद्रिका प्रसाद यादव, राम प्रताप अग्रवाल, ओमप्रकाश जैन, सुशील धनौठीवाला, भगवती अग्रवाल (बीटीसी), अधिवक्ता करन सिंह जैन, अधिवक्ता किशन लोहिया, घनश्याम मालपानी, अनिल बंसल, विजय मुंधड़ा, मुकेश देवसरिया, पवन भगलेवाला, संदीप मित्तल हैं. वहीं, सलाहकार समिति के चैयरपर्सन डॉ अजित अग्रवाल हैं
और सदस्यों में उमरावमल गोयल, आरके गोयल, रामावतार सुखियावाले, ओमप्रकाश गोयल (ओएसएल), कमल मित्तल, जितेंद्र मित्तल, रामलाल अग्रवाल, नेमचंद जैन, सीताराम डालमिया, हरिकृष्ण कल्लानी, धर्मचंद अग्रवाल, देवतराम बिसलानिया, रामानंद प्रसाद,चंनदमल चंगोईवाला, सुशील बरेलिया, संपतमल संचेती, निरंजन गोल्यान, गौरीप्रसाद तोषणीवाल, कैलाश नकिपुरिया, विजय चौधरी, कुलदीप बंसल व दीपक गर्ग हैं.
राजनीति. सिलीगुड़ी भाजपा में घमसान तेज
नयी कमेटी को लेकर विवाद
मंडल अध्यक्ष ने अपनाया बगावती तेवर
पार्टी ने थमाया कारण बताओ नोटिस
सात दिनों के अंदर मांगा जवाब
अनुशासनात्मक कार्रवाई की धमकी
सिलीगुड़ी : कुछ दिनों पहले भारतीय जनता पार्टी के सिलीगुड़ी जिला इकाई के गठन के बाद पार्टी में मतभेद होने की खबर है. भाजपा के ऐसे कई दिग्गज नेता हैं, जिन्हें नयी जिला कमेटी में जगह नहीं दी गयी है. ऐसे नेताओं में भारी असंतोष है. इनमें से कुछ ने जिला भाजपा अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. एक ओर जहां भाजपा के बड़े नेता असंतुष्ट लोगों को मनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खुलकर बगावत करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी धमकी दी जा रही है.
यहां उल्लेखनीय है कि न सिर्फ सिलीगुड़ी बल्कि पूरे पश्चिम बंगाल में भाजपा मिशन 2019 की तैयारी कर रही है. ऐसे में पार्टी के अंदर नेताओं के बगावती सुर से इस मिशन को झटका लग सकता है. इस एहसास बड़े नेताओं को भी है. यही कारण है कि एक ओर जहां समझा बुझाकर मामले की ठीक करने की कोशिश की जा रही है, वहीं दूसरी ओर कड़ा रुख भी अख्तियार किया जा रहा है. इसी कड़ी में भाजपा ने सिलीगुड़ी मंडल आठ कमेटी के अध्यक्ष हनुमान प्रसाद अग्रवाल के खिलाफ उनके बगावती रुख के लिए कड़ा तेवर अपनाया है.
पहले की कमेटी में हनुमान प्रसाद अग्रवाल भी थे. उन्हें आठ नंबर मंडल कमेटी के अध्यक्ष थे. इस बार जो नयी कमेटी बनी है उसमें से कुछ दिग्गजों के साथ ही हनुमान प्रसाद अग्रवाल का नाम भी गायब है. उन्हें मंडल कमेटी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. इससे नाराज श्री अग्रवाल ने जिला अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इस महीने के 8 तारीख को हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने प्रवीण अग्रवाल को एक चिट्ठी लिखकर कमेटी से बाहर किये जाने का कारण पूछा था. उन्होंने न केवल चिट्ठी लिखी बल्कि अपने समर्थन में 123 लोगों के हस्ताक्षर युक्त एक ज्ञापन भी सौंप दिया. उसके बाद से ही पार्टी में घमासान तेज है.
हनुमान प्रसाद अग्रवाल ने अपने पत्र में जिला अध्यक्ष पर ही पार्टी को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया. इधर भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहले इस स्थिति से निपटने के लिए हनुमान प्रसाद अग्रवाल से सुलह सफाई की कोशिश की गयी.
इस दौरान हनुमान प्रसाद अग्रवाल के तेवर और कड़े हो गये. इसके बाद ही पार्टी ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने का मन बना लिया. अब जिला अध्यक्ष प्रवीण अग्रवाल ने हनुमान अग्रवाल को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए अनुसाशनात्मक कार्यवाही करने की धमकी दी है. प्रवीण अग्रवाल ने कारण बताओ नोटिस में कहा है कि हनुमान अग्रवाल ने पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर अनुसाशन भंग किया है. सात दिनों के अंदर कारण बताओं नोटिस का जवाब मांगा गया है.

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