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होली खेलने को दौरान लाल व पीले रंग का प्रयोग होगा आपकी त्वचा के लिए बेहतर

सहरसा : फागुन का मस्त महीना इन दिनों पूरी तरह अपने शबाब पर है, रंगों का त्योहार होली भी दरवाजे पर दस्तक देने लगा है. हालांकि चुनाव के कारण शबाब अपने चरम पर नहीं पहुंच पायी है. लेकिन विभिन्न संगठनों के द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन शुरू कर दिया गया है. वही बाजार में […]

सहरसा : फागुन का मस्त महीना इन दिनों पूरी तरह अपने शबाब पर है, रंगों का त्योहार होली भी दरवाजे पर दस्तक देने लगा है. हालांकि चुनाव के कारण शबाब अपने चरम पर नहीं पहुंच पायी है. लेकिन विभिन्न संगठनों के द्वारा होली मिलन समारोह का आयोजन शुरू कर दिया गया है.

वही बाजार में भी रंग, अबीर व पिचकारी की दर्जनों दुकानें सज गयी हैं. स्थायी दुकानों के अलावे बाजार के फुटपाथ से लेकर मोहल्ला तक में कई दुकानें खुल चुकी है. जहां बच्चों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है. वही घरों में पकवान की तैयारी भी शुरू कर दी गयी है.
दूध से लेकर मांस व मछली का भी अग्रिम बुकिंग शुरू कर दी गयी है. हालांकि होली शहर में गुरुवार को होने के कारण इस बार मांस, मछली की मांग अन्य वर्षों की अपेक्षा कुछ कम है तो पनीर की मांग ज्यादा हो गयी है.
रंगों का मिश्रण कर सकता है मजा किरकिरा : रंग बिरंगे इस खास त्योहार को मनाने के लिए कुछ प्लानिंग की भी जरूरत है. चलिए रंग में न पड़ जाये भंग, रंगों का चुनाव करे हमारे संग. चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ कुणाल उत्कर्ष झा कहते है कि रंग खेलते समय लाल एवं पीले का प्रयोग करना ही आपके त्वचा के लिए बेहतर होगा.
वहीं हरा सहित अन्य रंगों का मिश्रण आपके मजे को किरकिरा भी कर सकता है. उन्होंने कहा कि हरे रंग में कॉपर सल्फेट मिला होता, इससे आंख सहित मानव शरीर के सभी अति संवेदनशील हिस्सों में एलर्जी की शिकायत होती है.
उन्होंने कहा कि लोगों को बैगनी रंग से भी परहेज करना चाहिए क्योंकि इसमें क्रोमियम आयोडाइड होता है. इससे अस्थमा व अन्य तरह के एलर्जी रहने का खतरा होता है. आपकी पहचान बन चुके आपके चेहरे से यह उत्सव कही चमक न उड़ा दे. इ
सके लिये आपको खास सावधानी बरतनी होगी. चमकता चेहरा दिखने एवं दिखाने के लिये होली में लोग सिल्वर अथवा पैंट का प्रयोग करते हैं. यह दिखने में भले ही सुंदर लगता हो लेकिन लंबे समय तक शरीर में लगे रहने के बाद यह कैंसर का कारक होता है. इसमें अल्युमिनियम ब्रोमाइड का मिश्रण होता है.
नशे से करें परहेज: शराबबंदी के बावजूद होली का पर्व रंग से ज्यादा शराब व अन्य मादक पदार्थों के सेवन के लिये बदनाम होता जा रहा है. प्रत्येक साल होली में दर्जनों लोग नशे की हालत में गंभीर रोगों सहित दुर्घटनाओं के शिकार हो जाते है. जहरीली शराब बेचने वाले भी होली के मौके पर काफी सक्रिय हो नशेड़ियों को अपनी गिरफ्त में ले लेते है.
जानकारी के अनुसार शराबबंदी के कारण लोग चोरी छिपे इंतजाम में जुट गये है. जिसका फायदा अवैध कारोबारी भी उठा सकते है. वह नकली शराब भी खपाने के चक्कर में है. हालांकि पुलिस व उत्पाद विभाग काफी सक्रिय है.
लगातार छापेमारी हो रही है. शराब, कारोबारी व नशेड़ी पकड़ा रहे है. लेकिन कही ऐसा नहीं हो कि आप चोरी छिपे शराब का सेवन करें और प्रशासन के हत्थे चढ़ जायें. इससे बचने के लिए होली का मजा लेने के लिए नशा से परहेज करने की शपथ ले.
खाइए जरूर मगर हिसाब से: होली का संबंध खाने खिलाने से भी है. लेकिन खाने में जरा सी लापरवाही आपकी होली तो बरबाद करेगी ही, अगले कई दिनों तक आपको डॉक्टर की मुरीद बननी पड़ सकती है.
चिकित्सक डॉ अभिषेक कुणाल कहते है कि पर्व पर खाये लेकिन हिसाब से. उतना ही खाये जितना आपका पेट हजम कर सकता है. लोगों के दबाव को अपनी प्रतिष्ठा न बनाये. खासकर पेट, मधुमेह एवं गैस्टिक एवं बवासीर के मरीज को काफी सावधानी बरतने की जरूरत होती है.

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