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एक वर्ष में 13 बार लगे शिविर में मात्र 68 यूनिट ही मिला ब्लड

85 लोगों ने किया खून का आदान-प्रदान सासाराम ऑफिस : सदर अस्पताल में ब्लड बैंक के स्थापना के करीब दो दशक हो चुके हैं. इसमें करीब 15 वर्षों तक संसाधन के अभाव में ब्लड बैंक लोगों के किसी काम नहीं आता था. हाल के वर्षों में जब संसाधन जुटे, तो प्रचार-प्रसार के अभाव में रक्तदाताओं […]

85 लोगों ने किया खून का आदान-प्रदान

सासाराम ऑफिस : सदर अस्पताल में ब्लड बैंक के स्थापना के करीब दो दशक हो चुके हैं. इसमें करीब 15 वर्षों तक संसाधन के अभाव में ब्लड बैंक लोगों के किसी काम नहीं आता था. हाल के वर्षों में जब संसाधन जुटे, तो प्रचार-प्रसार के अभाव में रक्तदाताओं की कमी अभी भी बनी हुई है. वर्ष 2017-18 के आंकड़ों पर नजर डालें, तो इस एक वर्ष में 13 बार रक्तदान शिविर लगा. इन शिविरों में मात्र 68 लोगों ने ही आना खून दान किया. मात्र 85 लोगों ने खून का आदान-प्रदान किया.
यानी एक वर्ष में 153 लोग ही खून का लेन-देन करने ब्लड बैंक पहुंचे.
लोगों की माने तो प्रचार-प्रसार सही नहीं होने के कारण ब्लड बैंक से संबंधित कोई भी जानकारी लोगों तक नहीं पहुंच पाती है. जन जागरूकता से ही किसी भी कार्य को बढ़ावा मिल सकता है. लेकिन शायद यह बात सदर अस्पताल का ब्लड बैंक नहीं जानता है. इसमें पदस्थापित अधिकारी को इस बात की चिंता ही नहीं कि ब्लड बैंक में खून की उपलब्धता रहे. जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके लिए कोई प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जाता है.
ब्लड के साथ कर्मचारियों की भी कमी
सदर अस्पताल परिसर स्थित ब्लड बैंक में कर्मचारियों की कमी है. नियमत: ब्लड बैंक में पैथोलाजिस्ट के अलावा एक टेक्निशियन व एक सहायक होना चाहिए. लेकिन, यहां मेडिकल आॅफिसर डॉ शिवशंकर प्रसाद के अलावा सिर्फ चार कर्मचारी हैं. जो तीन पालियों में ड्यूटी करते हैं. हर पाली में सिर्फ एक कर्मचारी यहां मौजूद होते हैं. इनके ऊपर ही सैंपल कलेक्ट करने से खून की जांच व मरीजों के रक्त से उसके मिलान की जिम्मेदारी होती है.
फिलहाल यहां एक और लैब टेक्निशियन, एक फोर्थ ग्रेड स्टाफ व एक नर्स की जरूरत है. जिससे कार्य में कुछ तेजी आ सके. ब्लड बैंक में ब्लड कलेक्शन मॉनीटर, ट्यूब सिलर, वजन मशीन व अन्य सभी प्रकार के मशीन उपलब्ध हैं. परंतु, डोनर कॉउच उपलब्ध नहीं है. इसके कारण भी कुछ दिक्कत होती है़ प्रयास रहता है कि सीमित साधनों में बेहतर सेवा हो.
ब्लड बैंक में मौजूद खून की स्थिति
सदर अस्पताल स्थित जिले के एक मात्र सरकारी ब्लड बैंक में गुरुवार की दोपहर तक ए पॉजिटिव तीन यूनिट, ए निगेटिव शून्य, बी पॉजिटिव शून्य, बी निगेटिव शून्य, ओ पॉजिटिव दो, ओ निगेटिव शून्य, एबी पॉजिटिव शून्य, एबी निगेटिव शून्य था. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां कि स्थिति किस तरह भयावह है.
जिले में चार ब्लड बैंक प्राइवेट भी
जिले में एक सरकारी ब्लड बैंक सदर अस्पताल में है. इसके इलावा अन्य चार प्राइवेट ब्लड बैंक है जिसमें पूनम ब्लड बैंक, रौजा रोड, माइक्रो ब्लड बैंक, कालीस्थान, एनएमसीएच, जमुहार व बोस क्लिनिक, डिहरी में है.
प्रचार के अभाव में रक्तदान करनेवालों की कमी
ओपीडी के अनुसार नहीं होता ब्लड डोनेट
अगर बात की जाये खून के आदान-प्रदान की तो यहां प्रतिदिन 10 से 20 यूनिट खून की लेन-देन होनी चाहिए. क्योंकि सदर अस्पताल के ओपीडी के सामान्य, अस्थि, महिला सहित अन्य विभागों में 150 से दौ सो मरीज तक इलाज कराने आते हैं. जिनमें से न जाने कितनों को खून की कमी होती होगी. यह कहीं बाहर से खून चढ़वाते होंगे. अगर वह अस्पताल के ब्लड से संपर्क करें तो लेन-देन में कोई तकलीफ नहीं होगी.
कुछ संस्थाएं स्वेच्छा से करती हैं रक्तदान
जिले में कई ऐसी संस्थाएं हैं जो स्वेच्छा से रक्तदान करती हैं. लोगों के सहयोग से ही अभी तक ब्लड बैंक चलता है. इसमें अभी एनसीसी बेहतर काम कर रही है. एनसीसी लगातार रक्तदान करते आयी है. यह टीम 2017-18 में 15 यूनिट ब्लड उपलब्ध कराया है. वहीं अन्य कई समाजिक संस्थाएं हैं जो अक्सर कैंप लगाती हैं. आखिरी कैंप अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा लगाया गया था. जिसमें मात्र एक यूनिट खून ही मिल पाया था.
तीन सौ यूनिट की क्षमता
जानकारी के अनुसार, सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक में कुल तीन सौ यूनिट ब्लड रखने की क्षमता है. ब्लड के इस्तेमाल नहीं होने पर यहां के ब्लड को औरंगाबाद भी भेजा जाता है. साथ ही जिले के बिक्रमगंज पीएचसी में ब्लड कलेक्ट किया जाता है. ब्लड बैंक सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से चल रहा है.
प्रचार के लिए नहीं मिलता कोई सहयोग
सदर अस्पताल स्थित ब्लड बैंक के मेडिकल आॅफिसर डॉ शिवशंकर प्रसाद के अनुसार अब तक प्रचार-प्रसार के लिए राज्य सरकार द्वारा कोई फंड उपलब्ध नहीं कराया गया है. जो भी प्रचार-प्रसार किया जाता है वह जिलास्तर से ही किया जाता है.
ब्लड देने के लिए होती है हर मुमकिन कोशिश
ब्लड बैंक में खून उपलब्ध कराने के लिए हर मुमकिन कोशिश की जा रही है. समय-समय पर कैंप भी लगाये जाते हैं. जिनसे ब्लड बैंक को ब्लड उपलब्ध हो पाता है. जल्द ही कैंप लगाया जायेगा, ताकि ब्लड की संख्या को बढ़ाया जा सके. इसका प्रचार-प्रसार भी होगागा.
डॉ नवल किशोर प्रसाद सिन्हा, सीएस
कांग्रेस की पोल खुलने पर भाजपा होती है मजबूत : गोपाल नारायण
तीन वर्षों में विदेशों में बढ़ी भारत की हैसियत
उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्ष में विदेशों में भारत की हैसियत बढ़ी है. यह भाजपा की विदेश नीति की देन है. देश के सभी धर्म व जाति के लोगों का विश्वास भाजपा में बढ़ा है. यह कांग्रेस को पच नहीं रहा है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष कभी जमीनी राजनीति नहीं की हैं. वह देश की प्रगति को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. उन्हें डर सताने लगा है कि अल्पसंख्यक वर्ग भी अगर भाजपा की नीतियों से प्रभावित हो गया, तो फिर कांग्रेस का क्या होगा? कांग्रेस को गरीबों के विकास को रोकने की राजनीति से बाज आना चाहिए. सांसद ने कहा कि गांधी परिवार हमेशा सत्ता में रहना चाहता है. इसके लिए वह कुछ भी कर गुजरती है. 150 सांसदों के साथ राष्ट्रपति से मिलना कांग्रेस की ढोंग साबित हुई है.

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