बदलती जीवन शैली ने रिश्तों के ताने – बाने पर भी असर दिखाना शुरू कर दिया है. इसका नतीजा यह हो रहा है कि पति – पत्नी के बीच पहले जैसी सहन शक्ति नहीं रही. नतीजा उनके बीच के झगड़े तलाक तक पहुंच रहे हैं. इसका सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ रहा है. कई स्टडी बताती है कि बच्चे पर माता – पिता के झगड़ों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. पेश है जुही स्मिता की रिपोर्ट…
केस 1
18 साल का बच्चा कई दिनों से डिप्रेशन में है. माता-पिता के झगड़े में न तो उसकी जरूरत पूछी जाती है और न ही पूरी की जाती है. इस दौरान वह मोबाइल के करीब जाता है, अपने मन की करता है और सही गलत का फर्क उसे पता नहीं है. क्योंकि उसे कभी किसी ने बताया ही नहीं. ये कहानी है पटना के एक पुलिस अधिकारी के बेटे की. अधिकारी और उनकी पत्नी के बीच वर्षों से विवाद चलता आ रहा है. इगो-क्लैश और अनगीनत शिकायतें. मामला महिला हेल्पलाइन में जब आया तो दोनों की काउंसेलिंग शुरू की गयी. बेटा मां के साथ आता था. धीरे-धीरे जब वो काउंसेलर के करीब आया तो उसने बहुत सारी बातें बतायी. उसका कहना था कि मैं घर में शांति चाहता हूं. रोज-रोज के झगड़े से हम सब थक चूके हैं. पापा मां को पीटते हैं, वो अच्छे नहीं है. महिला हेल्पलाइन की काउंसेलर साधना बताती हैं कि ये बच्चा डिप्रेशन में जा चुका था. घर में उसके साथ ऐसा कोई नहीं था जो उसकी बात सुने. हमने जब उसे बहुत समझाया तो उसने अपने अंदर कई बदलाव लाये. उसने पब्जी खेलना बंद किया और कई बूरी आदतों को छोड़ दिया. बता दें कि मामले की काउंसलिंग जारी है. लेकिन स्थिति अभी भी अच्छी नहीं.
केस 2
पति-पत्नी के बीच छोटी-छोटी बातों पर हर दिन झगड़ा होता था. पति को शक था उसके ऑफिस जाने के बाद पत्नी किसी से मिलती है. वो अपने बेटे को अपनी पत्नी के खिलाफ इस्तेमाल करने लगा और उससे अपनी पत्नी की पल-पल का खबर लेता था. धीरे-धीरे बच्चे को मां बुरी लगने लगी और एक दिन उसने अपनी मां पर हाथ उठा दिया. उसका रिश्तों पर से विश्वास उठ गया. माता-पिता के साथ बच्चे की काउंसेलिंग जारी है.
केस 3
मां पेशे से डॉक्टर है. पति से उस वक्त तलाक लिया जब उसकी बेटी सात साल की थी. बेटी पिता के साथ न रहकर अपनी मां के साथ रहने लगी. आज वो 18 साल की हो गयी है लेकिन उसे रिश्तों पर विश्वास नहीं है. शादी का नाम सुनते ही गुस्से से पागल हो जाती है. मां से कई-कई दिनों तक बात नहीं करती है. काउंसेलिंग के दौरान पता चला कि बच्ची बचपन से पिता के करीब थी. पिता से दूरी होने के बाद उसकी पढ़ाई पर काफी असर हुआ. अच्छे मार्क्स नहीं लाने पर अगर उसकी मां शादी की बात करती तो वह गुस्सा करने लगती. वह कहती कि आप और पापा की तरह मैं भी पति से अलग हो जाऊंगी इसलिए मुझे शादी कभी नहीं करनी है. लड़की की काउंसेलिंग जारी है.
केस 4
पति-पत्नी उस वक्त अलग हो गये जब उनकी बेटी सात साल की थी. बेटी की कस्टडी मां को मिली. अमीर होने की वजह से वह बेटी को मेड के भरोसे छोड़ कर पार्टी और दोस्तों के साथ ज्यादा समय बिताती थी. बच्ची ने अपने पिता को रो कर फोन किया वे उन्हें आकर ले जाये. पति ने पत्नी से बेटी को भेजने की बात की. उस वक्त पत्नी ने हेल्पलाइन में पति के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी. प्रोजेक्ट मैनेजर प्रमीला कुमारी ने पहले दोनों पति-पत्नी को बुलाया उनसे पता चला कि वे दोनों अलग हो चुके हैं. पत्नी का ज्यादातर समय दोस्तों के साथ बीतता था. ऐसे में उन्होंने बच्ची को छुट्टियों में पति के साथ रहने की अनुमति दी. काउंसेलिंग के दौरान बच्ची ने मां के बजाय पिता के साथ रहने की इच्छा बतायी. अब बच्ची अपने पिता के साथ रह रही है.
एक दूसरे को गलत साबित करने के लिए बच्चों को बना रहे सबूत
झगड़ों में कई बार दोनों एक दूसरे को गलत साबित करने के लिए बच्चों को सबूत बनाकर महिला हेल्पलाइन ले आते हैं. पैरेंट्स ये भी नहीं सोचते कि उनके झगड़े से बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ेगा. नतीजा ये होता है कि बच्चे कई बार या तो मां से दूर हो जाते हैं या फिर अपने पिता से. कोई न कोई उनकी नजर में बुरा बनता है और जीवन भर के लिए रिश्ते में दूरी बन जाती हैं.
विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा होने पर बच्चा जब बड़ा होता है तो उसका रिश्तों पर से विश्वास खत्म हो जाता है. कई बार उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है. जरूरत है अपने बीच के विवादों को खुद से दूर करें और बच्चों के सामने एक रोल मॉडल बनें. बच्चों का मन कोरे कागज की तरह होता है. आप जैसा चाहे वैसा रूप दे सकते हैं. उस वक्त जरूरी है कि माता-पिता दोनों प्यार से रहे और बच्चों को उसी प्यार से पाले ताकि उन्हें रिश्तों पर भरोसा रहे.
हमारे पास पति-पत्नी के बीच विवाद के मामले आते रहते हैं. कई बार बच्चों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है. जिसकी वजह से उनके मानसिक विकास पर काफी बुरा असर पड़ता है. काउंसेलिंग में हम पूरी कोशिश करते हैं कि कपल आपसी झगड़े को भूल कर बच्चे के लिए साथ रहे ताकि उसे अच्छा माहौल मिलें. अगर कपल अलग हो जाते हैं तो ऐसे में बच्चों की काउंसेलिंग जरूरी है. यहीं नहीं बच्चों की इच्छा का भी सम्मान हो. उन्हें मौका मिलना चाहिए कि वे किन के साथ रहना चाहते हैं यह तय कर सके.
प्रमीला कुमारी, प्रोजेक्ट मैनेजर, महिला हेल्पलाइन
घर के तनाव का सीधा असर बच्चों पर होता है और उसकी वजह से वो हमेशा असुरक्षित महसूस करते हैं. उनके अंदर से सारा आत्मविश्वास खत्म हो जाता है. जो प्यार लगाव उन्हें घर से नहीं मिलता उसे वे बाहर खोजते हैं. कई बार इस चक्कर में गलत संगत में चले जाते हैं. भविष्य में ये बच्चे रिश्तों और शादी में विश्वास नहीं करते. माता-पिता के संबंध का सीधा असर उनके बच्चे पर होता है. कई बार बच्चे अपने माता-पिता से भी दूर हो जाते हैं. ऐसे में पति-पत्नी को बंद कमरे में अपने विवाद सुलझाने चाहिए. बच्चों के सामने जाहिर न करे. रोल मॉडल बनें. छोटी-मोटी नोक झोक चल सकती है, लेकिन अपने आप पर नियंत्रण रखें.
डॉ बिंदा सिंह, मनोचिकित्सक