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रांची : राहगीरों से छिन गया धूप से बचने का सहारा, कट गये 25 हजार से ज्यादा पेड़, वीरान हो गयीं सड़कें

रांची : राजधानी रांची और उसके आसपास की महत्वपूर्ण व बड़ी सड़कें वृक्षों के अभाव में वीरान हो गयी हैं. राहगीरों को चिलचिलाती धूप से राहत दिलाने वाले सारे वृक्ष सड़क किनारे से गायब हो गये हैं. यह स्थिति पिछले पांच से छह साल के अंदर उत्पन्न हुई है, जब इन सड़कों को चौड़ा करने […]

रांची : राजधानी रांची और उसके आसपास की महत्वपूर्ण व बड़ी सड़कें वृक्षों के अभाव में वीरान हो गयी हैं. राहगीरों को चिलचिलाती धूप से राहत दिलाने वाले सारे वृक्ष सड़क किनारे से गायब हो गये हैं.
यह स्थिति पिछले पांच से छह साल के अंदर उत्पन्न हुई है, जब इन सड़कों को चौड़ा करने का काम शुरू हुआ. नयी सड़कें बनी भी, तो उनके किनारे पेड़ नहीं लगाये गये. ऐसा प्रावधान ही नहीं किया गया. सड़क निर्माण में लगे सारे तंत्र पुराने व परंपरागत तथा राहगीरों को राहत देनेवाले तरीके को ही भूल गये. इसका खमियाजा राहगीरों को भुगतना पड़ रहा है. मौसम वैज्ञानिक कहते हैं कि पेड़ के अभाव में सड़क तप रही है. सड़क के आसपास का तापमान भी बढ़ा रहता है. इससे पहले बिना एसी के गाड़ियों पर सफर भी आसान था.
हाल के वर्षों में करीब सात-अाठ प्रमुख सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है. उन्हें फोर लेन का बनाया गया है. रांची रिंग रोड बिल्कुल नयी सड़क छह लेन की बनायी गयी है.
यह आकलन किया जा रहा है कि इन सड़कों के चौड़ीकरण में 25 हजार से अधिक छोटे-बड़े पेड़ काटे गये हैं. इनमें कई बड़े-विशालकाय वृक्ष भी शामिल हैं. पीपल, बरगद के वर्षों पुराने वृक्ष भी काटे गये. ये वैसे वृक्ष थे, जो अपने इलाके के लिए लैंड मार्क का काम करते. साथ ही राहगीरों को इससे बड़ा सहारा मिलता था. यहीं पर राहगीर यात्री वाहनों का इंतजार करते थे. चौड़ीकरण के दौरान कई दुर्लभ वृक्ष भी काटे गये. कटहल, आम, इमली, नीम के भी वृक्ष बड़ी संख्या में काटने पड़े.
छायादार वृक्ष के पास हुआ करते थे वाहन पड़ाव
अक्सर सड़क किनारे छायादार वृक्ष के पास वाहनों का प ड़ाव होता था. यात्री वृक्ष के छाया में खड़ा होकर वाहनों का इंतजार करते थे. यानी अघोषित रूप से यहीं पर स्टॉपेज बन जाता था, लेकिन अब ऐसा स्टॉपेज किसी भी सड़क पर नहीं है. टाटा रोड में अभी बुंडू के पास एक छायादार वृक्ष बच गया है, जिसकी छांव में लोगों को बस के इंतजार में देखा जा सकता है.
क्या है प्रावधान
सरकार ने यह प्रावधान किया है कि परियोजना के मुताबिक काटे गये पेड़ की तुलना में दोगुना से चार गुना तक पौधे लगाने हैं. यानी पर्यावरण का संतुलन नहीं बिगड़े, इसके लिए पौधे लगाने हैं, लेकिन यह प्रावधान किया गया है कि जहां भी वन विभाग को उपयुक्त जमीन मिलती है, वहीं पर प्लांटेशन किया जायेगा. यह आवश्यक नहीं है कि जहां पर सड़क किनारे पेड़ काटे गये हैं, वहीं किनारे पेड़ लगाये जायें. पेड़ काटने की अनुमति भी वन विभाग को देना है और प्लांटेशन की जिम्मेवारी भी उसकी ही है.
रांची से रामगढ़-हजारीबाग पथ : इस मार्ग पर फोर लेन के लिए कई बड़े वृक्ष काटे गये. अनुमान है कि पांच हजार से ज्यादा छोटे-बड़े पेड़ काटे गये. इस मार्ग पर वन क्षेत्र भी था. वहां भी पेड़ काटने पड़े, लेकिन सड़क किनारे अभी पेड़ दिखते ही नहीं हैं.
पिस्का मोड़-बेड़ो रोड : इसके फोर लेन का काम अभी हो रहा है. इस सड़क को फोर लेन करने के लिए 700 से ज्यादा छोटे-बड़े पेड़ काटने का अनुमान है, पर जहां भी सड़क पूर्ण हो गयी है, वहां अॉप्शन ही नहीं है कि पौधे लगाये जायें, तो वृक्ष का आकार ले ले.
पिस्का मोड़-बिजूपाड़ा रोड : इस मार्ग पर 1000 से अधिक पेड़ काट दिये गये हैं. कई बड़े व विशाल पेड़ कटे हैं. बड़ी संख्या में इमली, आम, कटहल, पीपल, बरगद के पेड़ काटे गये, लेकिन अब पौधे नहीं लगाये गये.
रांची-टाटा रोड : इसके चौड़ीकरण के भी 7000 से अधिक पेड़ काटे गये हैं. इस मार्ग पर भी वन क्षेत्र के कारण कई बड़े वृक्ष थे. पहले सड़क किनारे केवल वृक्ष नजर आते थे.
हजारीबाग-बरही रोड : हजारीबाग से बरही के बीच भी फोर लेन का काम लगभग हो गया है. इस क्रम में भी 3000 से अधिक पेड़ काटे गये. कई विशालकाय पेड़ काटने पड़े. वन क्षेत्र में भी पेड़ काटने पड़े हैं.
रामगढ़-बोकारो रोड : इस मार्ग पर भी चार हजार से ज्यादा पेड़ काटने पड़े. सड़क फोर लेन बन गयी है, लेकिन अभी भी सड़क किनारे पौधे नहीं लगे. केवल कंक्रीट नजर आ रहा है.

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