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देश की स्वतंत्रता में आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान है : अशोक भगत

रांची/लातेहार: विकास भारती बिशुनपुर के संस्थापक पद्मश्री अशोक भगत एवं सांसद सुनील कुमार सिंह ने सदर प्रखंड के कोने ग्राम में स्वतंत्रता संग्राम के नायक नीलांबर-पीतांबर की प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर पद्मश्री श्री भगत ने कहा कि देश की स्वतंत्रता में आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान है. हमें उनके योगदान एवं कुर्बानियों […]

रांची/लातेहार: विकास भारती बिशुनपुर के संस्थापक पद्मश्री अशोक भगत एवं सांसद सुनील कुमार सिंह ने सदर प्रखंड के कोने ग्राम में स्वतंत्रता संग्राम के नायक नीलांबर-पीतांबर की प्रतिमा का अनावरण किया. इस मौके पर पद्मश्री श्री भगत ने कहा कि देश की स्वतंत्रता में आदिवासियों का बहुत बड़ा योगदान है. हमें उनके योगदान एवं कुर्बानियों को याद रखना है. नीलांबर व पीतांबर दो भाइयों ने आजादी की पहली लड़ाई में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये थे, उनके योगदान को हम नहीं भूल सकते हैं. उनके योगदानों को याद करने से आदिवासियों का सिर गर्व से उठ जाता है.
सांसद श्री सिंह ने कहा कि नीलांबर पीतांबर दोनों भाइयों ने जब अंग्रेजों को यहां रहना मुश्किल कर दिया, तो अंग्रेजों ने उन्हें धोखे से पकड़ कर फांसी दे दी थी. हमें उनकी कुर्बानी को याद रखना है. सांसद ने कहा कि आदिवासियों को अपनी सभ्यता एवं संस्कृति की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए. उन्हें सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं का लाभ लेना चाहिए. मनिका विधायक हरेकृष्ण सिंह ने कहा कि नीलांबर-पीतांबर ने देश और समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान दिया है.

आदिवासी समाज को संगठित और शिक्षित कर आगे बढ़ना होगा. उपायुक्त प्रमोद कुमार गुप्ता ने कहा कि सरकार की मंशा है कि योजनाओं का लाभ गांव के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे. जिला प्रशासन गांवों में विकास की किरण पहुंचाने के लिए कृतसंकल्प है. कार्यक्रम में नीलांबर पीतांबर के वंशज रामनदंन सिंह व कोमल खरवार के अलावा जिला 20 सूत्री कार्यक्रम समिति उपाध्यक्ष राजधनी प्रसाद यादव, सदस्य रामप्यारे प्रसाद आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के द्वारा स्टाल लगाये गये थे. वहीं कार्यक्रम के दौरान कई लोगों को सरकारी सुविधाएं भी दी गयी.

नक्सलियों ने मुझे जलील कर क्षेत्र छोड़ने को कहा था : अशोक भगत
पद्मश्री अशोक भगत ने कहा कि 15 जनवरी 1997 को इसी कोने ग्राम में नक्सलियों ने रेलवे ठेकेदार व बिचौलियों के कहने पर मुझ पर हमला किया था और मेरी हत्या की साजिश रची थी. लेकिन कोने के हजारों ग्रामीणों ने मुझे बचाया था. नक्सलियों ने मुझे बहुत जलील कर छोड़ा था. मैं लातेहार तक पैदल गया था मेरे अपने मुझे नहीं पहचान रहे थे. थाने में मामला दर्ज तक करने पर मना कर दिया था. लेकिन मैं विकास के दुश्मनों के समक्ष ग्रामीणों के साथ खड़ा रहा और कार्य करने के तरीके को बदला. गरीब बेसहारा बच्चों बच्चियों को चिह्नित किया उन्हें पढ़ाया व स्वावलंबी बनाया.

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