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बचाइए! वरना खत्म हो जायेंगे डैम, प्यासी रह जायेगी राजधानी

राणा प्रताप और राजेश झा रांची : राजधानी रांची की 16 लाख से ज्यादा की आबादी को पानी की आपूर्ति का भार शहर के तीन जलाशयों रुक्का डैम (गेतलसूद डैम), कांके डैम और हटिया डैम पर है. इन तीनों जलाशयों से शहर को रोजाना 40 से 45 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है. चिंता […]

राणा प्रताप और राजेश झा

रांची : राजधानी रांची की 16 लाख से ज्यादा की आबादी को पानी की आपूर्ति का भार शहर के तीन जलाशयों रुक्का डैम (गेतलसूद डैम), कांके डैम और हटिया डैम पर है. इन तीनों जलाशयों से शहर को रोजाना 40 से 45 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है.

चिंता की बात यह है कि राजधानी की प्यास बुझाने वाले इन तीनों जलाशयों की जल संचयन की क्षमता घट रही है. कांके डैम अतिक्रमण का शिकार हो चुका है, जिससे इसका दायरा घटता जा रहा है. वहीं, साफ-सफाई नहीं होने की वजह से इसका पानी भी दूषित होता जा रहा है. इधर, रुक्का डैम की भी यही समस्या है.
स्थापना काल से लेकर अब तक बीते 48 वर्षों में इस डैम में लगातार गंदगी जमा हो रही है, जिसकी वजह से इसमें इस्तेमाल लायक पानी तेजी से कम हो रहा है. उधर, हटिया डैम की अपनी समस्या है. पूरी तरह से बारिश पर निर्भर होने की वजह से इस डैम में भी पर्याप्त पानी जमा नहीं हो पा रहा है. अगर जल्द से जल्द इन जलाशयों के संरक्षण और सफाई पर ध्यान नहीं दिया गया, तो निकट भविष्य में राजधानी में घोर जल संकट पैदा होना तय है.
  • फिलहाल हटिया डैम का जलस्तर 18.5 फीट के करीब दिख रहा है.
  • अच्छी बारिश हुई तभी यहां पर्याप्त पानी स्टोर हो पायेगा.
  • 1962 में एचइसी की स्थापना हुआ था हटिया डैम का निर्माण
  • 08 फिल्टर बेस बने हुए हैं हटिया डैम में, दो नये बन रहे
  • 12 मिलियन गैलन पानी की सप्लाई होती है डैम से प्रतिदिन
रुक्का डैम
48 साल से नहीं हुई सफाई, हर साल छोटा हो रहा है रुक्का डैम
जधानी की लाइफ लाइन रुक्का डैम (गेतलसूद डैम) का कैचमेंट क्षेत्र हर साल घट रहा है. 1971 में डैम खोलने के बाद से लेकर आज तक कभी इसकी सफाई नहीं की गयी. गाद नहीं निकाला गया. इससे न केवल डैम छोटा हो रहा है, बल्कि पानी का प्रदूषण भी बढ़ रहा है. पिछले 48 सालों से डैम में जमा हो रही गंदगी की वजह से इस्तेमाल लायक पानी का स्तर तेजी से कम हो रहा है.
वर्तमान में रुक्का डैम में केवल चार फीट पानी ही इस्तेमाल के लायक है. डैम का जल स्तर 18.8 फीट पर पहुंच गया है. अब ज्यादा से ज्यादा चार फीट ही पानी ही रॉ वाटर के रूप में इस्तेमाल के लिए प्राप्त किया जा सकता है. पर्याप्त मानसून नहीं होने पर जून से रुक्का डैम से पानी की आपूर्ति बंद हो सकती है. हालांकि, जुलाई में बारिश शुरू होने की स्थिति में आपूर्ति पर संकट नहीं आयेगा.
कम बारिश होने के कारण भी हो रहा है नुकसान
रुक्का डैम में लगातार घट रहे जलस्तर का प्रमुख कारण कम बारिश का भी होना है. डैम का जल स्तर 2016 और 2018 में काफी कम हो गया था. पिछली मानसून में बारिश पर्याप्त बारिश नहीं होने की वजह से पानी का भंडारण इस साल भी कम हुआ है. 2018 में रुक्का डैम का जलस्तर 13.09 फीट हो गया था. गत वर्ष की तुलना में 2019 में स्थिति बेहतर है.
राजधानी की लाइफ लाइन है रुक्का डैम
राजधानी में रोज 40 से 45 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है. इसमें से अकेले रुक्का डैम से ही रोज 30 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है. रुक्का डैम से विकास, रुक्का, बूटी मोड़, कोकर, वर्द्धमान कंपाउंड, दीपाटोली, कांटा टोली, बहूबाजार, सिरम टोली, रेलवे, रेलवे कॉलानी, चुटिया, डोरंडा, निवारणपुर, मेन रोड, लालपुर, हिंदपीढ़ी, चर्च रोड, मोरहाबादी, बरियातू रोड, रिम्स, रातू रोड, पिस्का मोड़, हरमू रोड, किशोरगंज, मधुकम, पहाड़ी क्षेत्र, अपर बाजार व आसपास के क्षेत्र में पानी की आपूर्ति की जाती है. इसके अलावा विधि विज्ञान प्रयोगशाला होटवार, रांची रेलवे, एमईएस नामकुम, दीपाटोली, होटवार, महिला बटालियन जैप, जैप-टू, डेयरी फॉर्म, बिरसा मुंडा जेल, मॉडल हॉस्पिटल व झारखंड आर्म्ड फोर्स रुक्का डैम के बल्क कंज्यूमर हैं.
गाद और गंदगी से भर गया है कांके डैम, दूषित हो गया है पानी
जधानी रांची के सबसे पुराने जलाशयों में से एक कांके डैम की मौजूदा हालत बेहद खस्ता है. समय के साथ इस डैम के जल ग्रहण की क्षमता कम होती जा रही है. डैम की सतह उथली हो गयी है, जिसमें गाद व गंदगी भरी हुई है. इससे डैम का पानी गंदा व प्रदूषित हो गया है. कई जगहों पर पानी का रंग हरा व काला है और इससे दुर्गंध आती रहती है.
डैम के निर्माण के बाद से लेकर अब तक किसी भी सरकार ने इसकी साफ-सफाई पर ध्यान नहीं दिया. गंदे पानी को फिल्टर करनेवाला एसटीपी भी वर्षों से बंद पड़ा है. हालांकि, एकत्रित जल के मामले में पिछले साल की अपेक्षा इस बार की स्थिति कुछ ठीक बतायी जाती है.
अब भी डैम में जा रहा है नालियों का गंदा पानी
रातू रोड और कांके रोड के घरों से निकलनेवाली नालियों का गंदा व प्रदूषित जल कांके डैम में जा रहा है. बिहार सरकार ने पाइप लाइन के माध्यम से नालियों का गंदा जल डैम में जाने से रोकने की योजना बनायी थी.
लगभग 82 लाख रुपये खर्च कर पाइप लाइन बिछायी गयी थी. बाद में झारखंड सरकार ने उस कार्य को आगे बढ़ाया. 2.62 करोड़ रुपये की लागत से डैम के फाटक के नीचे हथिया गोंदा में एसटीपी का निर्माण कराया.
पाइप लाइन को डैम के बाहर से एसटीपी में जोड़ा गया. इसका उदघाटन 15 नवंबर 2004 को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. कुछ समय चलने के बाद यह एसटीपी बंद हो गया. अब मशीनें जंग खा रही हैं. पाइप लाइन कई जगहों पर टूट गयी है. गंदा पानी एसटीपी में जाने के बजाय डैम में जाता है.
2128.5 फीट है इस डैम की जल ग्रहण क्षमता
कांके डैम की जल ग्रहण क्षमता का अधिकतम स्तर 2128.5 फीट है. इसके बाद डैम का फाटक खोलने की नाैबत आती है. पिछले वर्ष बारिश में दो बार फाटक खोला गया था. डैम के फिल्टरेशन प्लांट से राजधानी को प्रतिदिन 1.60 करोड़ लीटर से अधिक जलापूर्ति की जाती है.
एक वीआइपी लाइन व एक पब्लिक लाइन से दिन में दो बार (सुबह व शाम) जलापूर्ति की जाती है. सुबह में दोनों लाइनें खोली जाती है. पब्लिक लाइन दो घंटे तक खुली रहती है. वीआइपी लाइन सुबह से शाम में बंद होने तक खुला रहता है.
1954-55 में हुई स्थापना, 1956 में बना फिल्टरेशन प्लांट
04 एमजीडी पानी रोजाना यहां से मिलता है राजधानी रांची को
चार साल तक करनी पड़ी राशनिंग
हटिया डैम में पानी की कमी के कारण राजधानी के लोगों को राशनिंग का सामना भी करना पड़ा है. वर्ष 2011 में हटिया डैम में महज 2.5 फीट पानी बचा था. इस कारण वहां से पानी की राशनिंग शुरू की गयी. पहली बार राजधानी में यह स्थिति बनी थी. वर्ष 2015 तक हर साल राशनिंग करना मजबूरी बन गयी. लोगों को एक से दो दिनों के अंतराल पर पानी की आपूर्ति की जाती थी.
वर्ष 2016 में हटिया डैम की खुदाई की गयी. गाद हटाया गया. लेकिन, उस साल भी बारिश कम होने की वजह से जलापूर्ति नियमित नहीं हो सकी. वर्ष 2017 में बारिश अच्छी हुई. डैम का जलस्तर बढ़ा. पिछले दो सालों से राशनिंग की जरूरत नहीं पड़ रही है.
अन्य डैमों की अपेक्षा यहां का पानी ज्यादा शुद्ध
हटिया डैम का पानी में कोई नाला नहीं गिरता है. इस वजह से राजधानी के अन्य डैमों की अपेक्षा हटिया डैम का पानी ज्यादा शुद्ध है. यहां आठ फिल्टर बेस बना हुआ है. उनमें से तीन का जीर्णोद्धार हो गया है. विभाग जून तक बच गये पांच फिल्टर बेस का भी जीर्णोद्धार करने का दावा किया गया है.
डैम में दो नया फिल्टर बेस बनाया जा रहा है. इसी साल अक्तूबर तक बेस तैयार हो जायेगा. नया बेस स्मार्ट सिटी, नवनिर्मित हाईकोर्ट, विधानसभा व सचिवालय में जलापूर्ति के लिए तैयार किया जा रहा है. फिल्टर प्लांट में दो मोटर पंप लगाया गया है. दो नये प्लांट और लगाये जा रहे हैं. हटिया डैम का रॉ वाटर पहले संप में मोटर द्वारा लाया जाता है फिर पाइप के माध्यम से टंकी में जाता है.
यहां संप में सीधे पानी लाने की व्यवस्था की गयी है. राज्य के किसी और डैम में ऐसी व्यवस्था नहीं है. ऐसे में मोटर की आवश्यकता कम होती है. बिजली की बचत भी होती है. डैम से प्रतिदिन 9 से 12 मिलियन गैलन पानी की सप्लाई हाेती है. एक संप से प्रतिदिन 10 लाख गैलन शुद्ध पानी निकलता है.
नागफेनी व लतरातू से पानी लाकर दूर कर सकते हैं जल संकट
रांची : राजधानी रांची में पानी की कमी गुमला जिले के नागफेनी और रांची के लतरातू से लाकर दूर की जा सकती है. राज्य सरकार द्वारा पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख की अध्यक्षता में बनायी गयी कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में तीन साल पहले ही यह सुझाव दिया था.
विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर सरकार की मंजूरी के लिए भेजा था. हालांकि, उस प्रस्ताव पर अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गयी है. कमेटी ने रांची में पानी लाने के लिए पतरातू, बासकी, तजना, नागफेनी व लतरातू पर विचार किया था.
पतरातू डैम पर कमेटी विचार नहीं कर सकी, क्योंकि एनटीपीसी वहां चार हजार मेगावाट का पावर प्लांट लगा रहा है. इसके चलते पानी की मांग पूरी नहीं हो सकती. कमेटी बासके भी नहीं गयी. खूंटी जिला से गुजरने वाली तजना नदी में डैम बनाने को लेकर विरोध हो रहा है. इस वजह से कमेटी ने इसे भी उपयुक्त नहीं माना था.
  • राज्य सरकार ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख की अध्यक्षता में बनायी थी कमेटी
  • तीन साल पहले कमेटी ने किया था पांच जल स्रोतों से पानी लाने का विचार, दो ही जगह फाइनल हुई
  • नागफेनी परियोजना पर 200 करोड़ और लतरातू परियोजना पर 150 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान
पाइप लाइन से पानी लाने की योजना
नागफेनी जाकर कमेटी द्वारा किये गये अध्ययन के बाद तैयार रिपोर्ट में लिखा गया है कि यहां साउथ कोयल नदी है.रांची से इसकी दूरी 85 किमी है, जिसे एनएच किनारे-किनारे रांची तक लाया जा सकता है. बरसात में ही इस नदी में ज्यादा पानी होता है. बरसात के समय ही पानी को रांची लाकर स्टोर किया जा सकता है. आनेवाले समय में पानी की कमी को पूरा करने के लिए यह अत्यावश्यक है.
नागफेनी से पानी को हटिया डैम और गोंदा डैम में स्टोर करने का सुझाव दिया गया था. इसी तरह लतरातू को भी कमेटी ने राजधानी तक पानी पहुंचाने के लिए उपयुक्त माना था. नागफेनी परियोजना पर 200 करोड़ रुपये और लतरातू परियोजना पर 150 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था.
  • नेशनल अरबन रेगुलेशन के तहत हर व्यक्ति को प्रतिदिन 135 लीटर पानी की जरूरत होती है
  • इस हिसाब से 15 लाख की आबादी को 203 मिलियन लीटर यानी 45 एमजीडी पानी चाहिए
  • अभी राजधानी में तीनों डैमों से कुल मिलाकर 40 से 45 एमजीडी पानी की आपूर्ति हो रही है

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