By Prabhat Khabar | Updated Date: Feb 23 2018 9:26AM
रांची : पतरातू विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (पीवीयूएनएल) का निर्माण भारत हैवी इंजीनियरिंग लिमिटेड (भेल) करेगा. निर्माण कार्य का ठेका भेल को दिया गया है. भेल को वर्क ऑर्डर जारी किया जा रहा है. पीवीयूएनएल का निर्माण लगभग 18,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जायेगा.
ज्वाइंट वेंचर कंपनी पहले चरण में 800-800 मेगावाट की तीन इकाई स्थापित करेगी. इन इकाइयों से 2020 में उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके बाद छह माह के अंतराल पर 800-800 मेगावाट की दो इकाइयां लगेंगी. ज्वाइंट वेंचर के तहत उत्पादित बिजली का 85 फीसदी झारखंड को मिलेगा. वहीं एनटीपीसी को 15 फीसदी बिजली मिलेगी. हालांकि संयुक्त उद्यम कंपनी में 74 प्रतिशत हिस्सेदारी एनटीपीसी की और 26 प्रतिशत राज्य सरकार की है.
एक अप्रैल 2016 से झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) और नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीएस) का संयुक्त उपक्रम पीवीयूएनएल का संचालन कर रहा है. जेबीवीएनएल और एनटीपीएस की सहमति से जनवरी 2017 से ही पतरातू थर्मल पावर प्लांट स्टेशन (पीटीपीएस) से बिजली का उत्पादन बंद कर दिया था. नये ज्वाइंट वेंचर पीवीयूएनएल द्वारा पुरानी आधारभूत संरचना को हटा कर नया प्लांट तैयार करने के बाद से ही पतरातू से बिजली उत्पादन शुरू किया जा सकेगा. झारखंड बिजली वितरण निगम के अधिकारियों के अनुसार, इसका काम एक माह में शुरू कर दिया जायेगा. अगले दो वर्ष में नया प्लांट तैयार कर लिया जायेगा.
पहले चरण में बनेगा 2400 मेगावाट का प्लांट
जानकारी के मुताबिक पतरातू में 1850 एकड़ जमीन पर पीवीयूएनएल 4000 मेगावाट के दो पावर प्लांट दो चरणों में लगायेगा. पहले चरण में 2400 व दूसरे चरण में 1600 मेगावाट का पावर प्लांट तैयार होगा. पहले चरण के पावर प्लांट से 2020 से उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है. इन पावर प्लांट से उत्पादित होनेवाली बिजली में से 85 फीसदी झारखंड को मिलेगी.
प्रधानमंत्री कर सकते हैं शिलान्यास
पतरातू में नये पावर प्लांट का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर सकते हैं. राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री से शिलान्यास के लिए समय मांगा है. ऊर्जा विभाग के सूत्र बताते हैं कि नये प्लांट का निर्माण कर ने की तैयारी पूरी कर ली गयी है. शिलान्यास होते ही युद्ध स्तर पर काम शुरू कर दिया जायेगा. प्रधानमंत्री का समय नहीं मिलने की वजह से ही निर्माण के लिए हुए टेंडर का वर्क ऑर्डर जारी करने में विलंब हो रहा है.