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झारखंड : रंग लायी परित्यक्त शिशुओं को बचाने की मुहिम, रांची में लगेंगे 4 पालना

रांची : परित्यक्त नवजात को नया जीवन देने के लिए झारखंड की राजधानी रांची में जल्द चार जगहों पर पालना लगाये जायेंगे. धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 तक किया जायेगा. रांची जिला प्रशासन ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए परित्यक्त शिशुओं के मुद्दे उठाने वाली संस्था से सुझाव मांगे हैं. प्रशासन ने पूछा है […]

रांची : परित्यक्त नवजात को नया जीवन देने के लिए झारखंड की राजधानी रांची में जल्द चार जगहों पर पालना लगाये जायेंगे. धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 तक किया जायेगा. रांची जिला प्रशासन ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए परित्यक्त शिशुओं के मुद्दे उठाने वाली संस्था से सुझाव मांगे हैं. प्रशासन ने पूछा है कि किन जगहों पर पालना रखेजानेसे ज्यादा फायदा होगा.

पा-लो-ना की प्रमुख आर्य मोनिका ने रांची जिला प्रशासन की इस पहल का स्वागत करते हुए कहा है कि राज्य के हर प्रखंड में पालना लगाना चाहिए. साथ ही परित्यक्त नवजात की रक्षा-सुरक्षा के लिए प्रचार-प्रसार पर जोर देना होगा. उन्होंने कहा कि अनचाहे शिशुओं को बचाने के लिए सरकार को एडॉप्शन सेंटर्स के अलावा अन्य चीजों पर भी ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि परित्याग रुके और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर कम की जा सके.

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रांची के जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने जून में आश्रयणी फाउंडेशन के तहत स्थापित संस्था पा-लो-ना की प्रमुख से संपर्क कियाथा.कहाथा कि शिशुपरित्याग की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर प्रशासन शहर में पालना लगानाचाहता है. इसके बाद पा-लो-ना की संस्थापक आर्य मोनिका ने राज्य के मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, समाज कल्याण सचिव हिमानी पांडेय, रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी नीरज मुखर्जी से मुलाकात की और इस संबंध में बातचीत की.

मोनिका चाहती थीं कि दुनिया में आते ही, जिन्हें लोग ठुकरा देते हैं, उन्हें सुरक्षित जीवन नसीब हो. इस काम में जितनी देरी होगी, उतने शिशुओं की मृत्यु होगी. इसलिए उन्होंने वरीय अधिकारियों के आश्वासन पर होने वाले काम का इंतजार करने की बजाय झारखंड के राज्यसभा सांसद महेश पोद्दार से मुलाकात की. उनसे पालना लगवाने की अपील की. सांसद ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और समस्या के समाधान में दिलचस्पी दिखायी. बातचीत में मृत बच्चों के अंतिम संस्कारसेलेकर इस मुद्दे पर सदन में चर्चा के साथ-साथ रांची रेलवे स्टेशन पर पालना लगाने तक की बात उन्होंने कही.

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इधर, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी ने रविवार को मोनिका से रांची में पालना लगाने के लिए स्थल चयन पर सलाह मांगी. उत्साहति पा-लो-नाकी प्रमुख ने पदाधिकारी से आग्रह किया कि वे इस काम के लिए कस्टमाइज्ड पालने लगवायें. साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलायें.यदि ऐसा नहीं हुआ, तो बच्चों का परित्याग करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी. कहा कि लोगों को अन्य विकल्पों के बारे में भी बताना होगा. उनकी काउंसलिंग करनी होगी. तभी नवजात की मृत्यु दर कम करने में मदद मिलेगी. सिर्फ पालना रखने से इसका उद्देश्य सफल नहीं होगा.

पालना के फायदे

1. बच्चों में इन्फेक्शन नहीं होता

2. आवारा जानवरों का शिकार नहीं होते बच्चे

3. मौसम की दुश्वारी उसकी जान नहीं ले पाती

4. देर रात और बहुत सुबह छोड़ने पर भी बच्चे को तुरंत अटेंशन मिलती है

5. बच्चे को तुरंत मेडिकल केयर मिल जाती है

6. बच्चा गलत यानी तस्करों के हाथों में जाने से बच जाता है

7. बच्चे का रिकॉर्ड रखने में भी आसानी होती है, जिससे उनसे संबंधित नीतियां बनाने में मदद मिलती है

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