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पटना : मांझी को अप्रासंगिक लगने लगा है महागठबंधन

पटना : हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महागठबंधन का आइना तोड़ सकते हैं. अगर यह आइना टूटा तो सभी दलों के चेहरे खंड-खंड दिखने लगेंगे. पिछले दिनों उन्होंने पार्टी की सदस्यता अभियान शुरू करते हुए कहा था कि संभव हुआ, तो वह 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे. […]

पटना : हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी महागठबंधन का आइना तोड़ सकते हैं. अगर यह आइना टूटा तो सभी दलों के चेहरे खंड-खंड दिखने लगेंगे.
पिछले दिनों उन्होंने पार्टी की सदस्यता अभियान शुरू करते हुए कहा था कि संभव हुआ, तो वह 2020 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेंगे.
उनको अब महागठबंधन अप्रासंगिक लगने लगा है, जहां पर वह ठगे गये महसूस करने लगे हैं. महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा, हम और वीआइपी शामिल हैं. अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाला है. लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जीतन राम मांझी की पीड़ा सामने आने लगी है.
हालांकि, मांझी के बयान के बाद महागठबंधन के बड़े घटक दल राजद और कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है. मांझी ने कहा था कि पहले एनडीए और उसके बाद बिहार के महागठबंधन ने उन्हें ठगा है. उनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में सिर्फ तीन सीटें दी गयीं.
सही मायने में तीन में से सिर्फ एक सीट पर उनका प्रत्याशी था. महागठबंधन के अंदर बड़ा टुकड़ा राजद के पास है. इसके बाद कांग्रेस का स्थान है. इधर, कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह का मानना है कि जीतन राम मांझी की महागठबंधन में उपयोगिता और प्रासंगिकता है. वह एक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं. महागठबंधन में उनके रहने से विपक्ष को शक्ति मिलेगी.

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