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पूर्व मंत्री मंजू वर्मा को आज नहीं मिला राहत, मिलेगा बेल या होगा जेल, पढ़े पूरा मामला

पटना : आर्म्स एक्ट के मामले में आरोपी बिहार सरकार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पर आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. लेकिन, इस मामले में उन्हें बेल मिलेगी या जेल अब इसका फैसला सोमवार, यानी 17 सितंबर को होगा. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त न्यायाधीश […]

पटना : आर्म्स एक्ट के मामले में आरोपी बिहार सरकार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका पर आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. लेकिन, इस मामले में उन्हें बेल मिलेगी या जेल अब इसका फैसला सोमवार, यानी 17 सितंबर को होगा. इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश द्वारा नियुक्त न्यायाधीश एस कुमार ने की.

गौरतलब हो कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड की जांच कर रही सीबीआई द्वारा गत 17 अगस्त को की गयी छापेमारी के दौरान बेगूसराय जिला के चेरिया बरियारपुर थाना अंतर्गत अर्जुन टोला गांव स्थित मंजू वर्मा के पति के आवास से विभिन्न हथियारों के साथ 50 कारतूस बरामद किया गया था. इस मामले को लेकर सीबीआई ने स्थानीय अदालत में पूर्व मंत्री मंजू वर्मा एवं उनके पति चन्देश्वर वर्मा के विरुद्ध चेरिया बरियारपुर थाना में कांड संख्या 143 दर्ज कराया था. फोन सीडीआर में मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के फोन पर मंजू वर्मा के पति के 17 बार बातचीत करने की बात सामने आने पर मंजू ने गत आठ अगस्त को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

आर्म्स एक्ट में बेगूसराय में मुकदमा दर्ज होने के बाद वहां की स्थानीय अदालत ने मंजू वर्मा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जिसके बाद पटना हाइकोर्ट में याचिका दर्ज करायी गयी थी, जिस पर आज सुनवाई हुई. इससे पहले गुरुवार को न्यायाधीश एस कुमार की एकल पीठ में इस मामले की आंशिक सुनवाई हुई थी. सुनवाई के समय राज्य सरकार की ओर से अपर लोक अभियोजक अजय मिश्रा ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह निर्देश दिया है कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले के सभी अभियुक्तों की जमानत पर सुनवाई एक ही न्यायाधीश की पीठ करेगी. उन्होंने कहा कि उचित होगा कि मुख्य न्यायाधीश द्वारा गठित पीठ के यहां ही इसकी सुनवाई हो. हालांकि, यह मामला बालिका यौन उत्पीड़न से जुड़ा हुआ नहीं था. कोर्ट ने एपीपी को सुनने के बाद इस मामले को सुनवाई के लिए अधिकृत न्यायाधीश के यहां स्थानांतरित कर दिया था.

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