जयनगर : जून में झुलसा देने वाली गर्मी और चिलचिलाती धूप से जनजीवन अस्त-व्यस्त है. लोगों का घरों से निकला दूभर हो गया है. गर्मी ऐसी है कि लोग 11 बजते ही अपने घरों में दुबक जाते है. बाजार बंद और सड़कों पर सन्नाटा छा जाता है. बावजूद इसके स्कूलों का ग्रीष्मावकाश समाप्त हो गया है.
सभी सरकारी स्कूल खुल चुके है. अभिभावकों का कहना है कि अवकाश को विस्तार देने की जरूरत थी. इसी भीषण गर्मी में सरकार का स्कूल चले चलाये अभियान शुरू हुआ है. इस अभियान के तहत स्कूल से वंचित बच्चों को स्कूल से जोड़ना है, जबकि पहले से स्कूल से जुड़े बच्चे गर्मी के कारण स्कूल नहीं आ पा रहे हैं.
इस माह में सोमवार सर्वाधिक गर्म दिन रहा. अधिकतम तापमान 43 डिग्री पहुंच गया. सुबह सात बजते ही सूरज आग उगलने लगता है. लू के थपेड़े से शरीर झुलसने लगता है. सड़कों पर चलने वाले लोग गमछा-तोलिया से मुंह कान ढ़क कर चलने को मजबूर है. लोग छाता का भी सहारा ले रहे है. विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेन पकड़ने आनेवाले ग्रामीण पलाश के पतों से अपना सर ढक कर स्टेशन पहुंच रहे है.
रास्ते में जहां कहीं भी पेड़ का छांव मिला, गर्मी से बेहाल लोग वहां रुक कर सुस्ताने लगते हैं. गर्मी से बिजली की आंख-मिचौनी के कारण पंखा व कूलर भी लोगों का राहत नहीं दे पा रहा है.घड़ा, सुराही देशी फ्रिज के नाम पर खूब बिक रहे हैं. गर्मी में पेयजल की समस्या भी बढ़ती जा रही है. दर्जनों चापानल खराब पड़े है और जो ठीक है वह जलस्तर नीचे जाने के कारण पानी देने में हांफ रहा है. गर्मी का असर बाजार और यातायात पर भी प्रभाव दिख रहा है. गुलजार रहने वाला बाजार दोपहर होते ही वीरान हो जाता है. दुकानें का शटर गिर जाते हैं.