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उम्मीदवारों के चुनाव में समय के साथ बदल जाता है धनबाद के वोटरों का मन, अभी चल रहा है भाजपा का जलवा

संजीव झा धनबाद संसदीय सीट में पहले कांग्रेस, फिर लेफ्ट, अब भाजपा का चल रहा है जलवा धनबाद : समय के साथ धनबाद लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की पसंद बदलती रही है. अाजादी के बाद कई चुनावों तक यहां कांग्रेस का जलवा था. अापातकाल के बाद देश में चली कांग्रेस विरोधी लहर से यह सीट […]

संजीव झा

धनबाद संसदीय सीट में पहले कांग्रेस, फिर लेफ्ट, अब भाजपा का चल रहा है जलवा

धनबाद : समय के साथ धनबाद लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं की पसंद बदलती रही है. अाजादी के बाद कई चुनावों तक यहां कांग्रेस का जलवा था. अापातकाल के बाद देश में चली कांग्रेस विरोधी लहर से यह सीट भी अछूती नहीं रही. विपक्षी दलों के सहयोग से 1977 में मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) प्रत्याशी एके राय ने कांग्रेस के किले को ध्वस्त किया.

वह तीन बार यहां से सांसद रहे. बीच में 1984 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी शंकर दयाल सिंह ने सहानुभूति लहर पर सवार होकर इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाला. वर्ष 1991 के लोकसभा चुनाव में धनबाद सीट का समीकरण ही बदल गया.

अब तक यहां लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला से दूर रहने वाली भाजपा ने सारी राजनीतिक भविष्यवाणियों को ध्वस्त करते हुए पहली बार कोयलांचल में भगवा ध्वज लहराया. अातंकवादियों से लड़ते हुए उसी वर्ष शहीद हुए धनबाद के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रणधीर प्रसाद वर्मा की पत्नी प्रोफेसर रीता वर्मा को अंतिम क्षणों में टिकट देकर भाजपा ने सहानुभूति लहर का पूरा लाभ उठाया. श्रीमती वर्मा इस सीट से लगातार चार बार सांसद चुनी गयी. यह एक रिकॉर्ड है.

कोई भी दल या प्रत्याशी अब तक एेसा नहीं कर पाया है. वर्ष 2004 के चुनाव में कांग्रेस की तरफ से मजदूर नेता चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने प्रोफेसर वर्मा को परास्त कर भगवा के अभेद्य दुर्ग को ध्वस्त किया.

हालांकि, 2009 के चुनाव में भाजपा की तरफ से उतरे पशुपति नाथ सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी को पराजित कर पुनः यह सीट भाजपा के खाते में डाल दिया. 2014 के चुनाव में न केवल श्री सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा, बल्कि पूरे पूर्वी भारत में सबसे ज्यादा वोट से जीतने का रिकॉर्ड बनाया. इस चुनाव में सबकी निगाहें मतदाताओं की तरफ है. क्या धनबाद में बदलाव होगा या फिर भाजपा का कब्जा बरकरार रहेगा.

छह-छह बार कांग्रेस व भाजपा की हुई है जीत

अाजाद भारत में धनबाद लोकसभा सीट के लिए अब तक 16 बार हुए चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियों ने छह-छह बार जीत हासिल की है. जबकि मार्क्सवादी समन्वय समिति (मासस) प्रत्याशी को तीन बार तथा एक बार निर्दलीय प्रत्याशी को कामयाबी मिली है.

पीएन सिंह ने सर्वाधिक मतों से हासिल की थी जीत

वर्ष 2014 के आम चुनाव में धनबाद लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी पशुपति नाथ सिंह ने सबसे अधिक मतों से जीत हासिल की थी. 2014 के चुनाव में पीएन सिंह को कुल 5,43,491 मत मिले थे. जबकि उनके निकट प्रतिद्वंदी कांग्रेस के अजय कुमार दुबे को 2,50, 537 मत ही मिल पाया था.

इस तरह भाजपा प्रत्याशी ने 2,92,954 मतों से जीत हासिल की. इससे पहले धनबाद से सबसे ज्यादा मतों से जीतने का रिकॉर्ड भाजपा की ही प्रो रीता वर्मा के नाम था. 1998 के चुनाव में प्रो वर्मा ने 1,78,000 मतों से जीत हासिल की थी.

धनबाद के सांसदों की सूची

1951 पीसी बोस कांग्रेस

1957 पीसी बोस कांग्रेस

1962 पीअार चक्रवर्ती कांग्रेस

1967 रानी ललिता राजलक्ष्मी निर्दलीय

1971 राम नारायण शर्मा कांग्रेस

1977 एके राय मासस

1980 एके राय मासस

1984 शंकर दयाल सिंह कांग्रेस

1989 एके राय मासस

1991 रीता वर्मा भाजपा

1996 रीता वर्मा भाजपा

1998 रीता वर्मा भाजपा

1999 रीता वर्मा भाजपा

2004 चंद्रशेखर दुबे कांग्रेस

2009 पशुपति नाथ सिंह भाजपा

2014 पशुपति नाथ सिंह भाजपा

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