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इलाज के दौरान अस्पताल में हुई युवक की मौत, परिजनों ने डॉक्टर पर लगाया लापरवाही का आरोप

गुमला : झारखंड के गुमला में तथाकथित तौर पर चिकित्सा के दौरान कोताही बरतने का मामला प्रकाश में आया है. मामला शहर के दुंदुरिया इलाके का है. आरोप है कि इलाज के दौरान डॉक्टर की लापरवाही की वजह से एक युवक की मौत हो गयी. युवक के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर की ओर […]

गुमला : झारखंड के गुमला में तथाकथित तौर पर चिकित्सा के दौरान कोताही बरतने का मामला प्रकाश में आया है. मामला शहर के दुंदुरिया इलाके का है. आरोप है कि इलाज के दौरान डॉक्टर की लापरवाही की वजह से एक युवक की मौत हो गयी. युवक के परिजनों का कहना है कि डॉक्टर की ओर से चिकित्सा में कोतही बरतने की वजह से यह घटना घटी है.

मिली जानकारी के अनुसार, गुमला शहर के दुंदुरिया निवासी कृष्णा सिंह के बेटे आकाश कुमार सिंह उर्फ छोटू (23) की गुमला सदर अस्पताल में मौत हो गयी. परिजनों ने आकाश की मौत पर चिकित्सीय लापरवाही का आरोप लगाया है. साथ इस मामले की जांच कर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की है. मृतक के भाई अमित सिंह व विकास सिंह ने सदर अस्पताल के चिकित्सक मनोज सुरीन पर इलाज नहीं करने के कारण उसकी भाई की मौत होने का आरोप लगाया है.

उन्होंने बताया कि उसका भाई आकाश सिंह गुरुवार की रात साढ़े आठ बजे बाइक से घर आया था, लेकिन घर के सामने गुमला और घाघरा की मेन रोड पर स्टेट हाइवे चौड़ीकरण का कार्य चल रहा था, जिसके कारण घर के दरवाजे पर वह बाइक लगाने के क्रम में अचानक अनियंत्रित होकर बाइक सहित नाली में जा गिरा. इससे उसका मुंह व नाक नाली के अंदर घुस गया था और बाइक उसके ऊपर गिरा पड़ा था. जैसे ही घर वालों को पता चला, तो उसे बाहर निकाला. नहलाकर उसे रात नौ बजे सदर अस्पताल ले गये.

अस्पताल में चिकित्सक मनोज सुरीन को नाली में अनियंत्रित होकर गिरने की बातें बतायी, तो उन्होंने कहा कि पानी पिलाकर उसे उल्टी कराइये. मैं दवा लिख देता हूं. उससे यह ठीक हो जायेगा. इसके बाद हम सभी उसे लेकर घर आ गये. घर आने के बाद रात साढ़े 10 बजे अचानक वह छटपटाने लगा. तभी जल्दबाजी में उसे फिर से अस्पताल ले जाया गया. जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया.

अमित व विकास ने बताया कि अगर समय से चिकित्सक उसे भरती कर इलाज शुरू कर देते, तो आज मेरा भाई जिंदा होता. यह सरासर चिकित्सक की लापरवाही के कारण उसकी मौत हुई है. इस संबंध में चिकित्सक मनोज सुरीन से पूछने पर कहा कि घायल के परिवार के सदस्य अस्पताल आये थे, लेकिन मरीज को लेकर नहीं आये थे. सिर्फ सलाह लेने आये थे. मैंने दवा लिखकर दी थी. उन्होंने कहा कि रात 11 बजे पीड़ित युवक को अस्पताल लेकर आये. जिसकी मौत हो चुकी थी.

इस संबंध में डीएस डॉ आरएन यादव ने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में आने के बाद मैंने चिकित्सक मनोज सुरीन से पूछताछ की थी. चिकित्सक ने बताया था कि मरीज लेकर परिजन नहीं आये थे. मौत के बाद मरीज को लेकर अस्पताल आये थे. इसमें चिकित्सक का कोई दोष नहीं है.

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